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पांच प्वाइंट्स में समझें पूरा मामला
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Khargone. मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में एक बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। सरकारी कर्मचारियों ने प्राकृतिक आपदा के पीड़ितों को मिलने वाली मुआवजा राशि से बड़ा खेल कर दिया। उन्होंने इसे अपने रिश्तेदारों के खातों में ही ट्रांसफर कर दिए। इस मामले में चार बाबू बर्खास्त कर दिए गए हैं। अब तक की जांच में 16 लाख से अधिक का गबन सामने आया है।
तीन विकासखंडों में गड़बड़ी
खरगोन के तीन प्रमुख विकासखंडों-भीकनगांव, भगवानपुरा और खरगोन में एक बड़ा घोटाला हुआ। यहां के बाबू और एक निजी ऑपरेटर मिलकर मुआवजा राशि में गड़बड़ी कर रहे थे। इन कर्मचारियों ने गरीबों और जरूरतमंदों के नाम पर राशि ली। फिर इसे अपने परिवार, रिश्तेदारों और अपात्र लोगों के खातों में ट्रांसफर कर दिया। इस गड़बड़ी की वजह से मुआवजा पाने वाले असली लोग अब भी परेशान हैं।
कैसे सामने आया मुआवजा राशि का घोटाला
यह घोटाला तब सामने आया जब महालेखाकार मध्य प्रदेश ग्वालियर की ऑडिट रिपोर्ट सामने आई। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि सरकारी कर्मचारियों ने अनुकंपा राशि पात्र व्यक्तियों के बजाय अपने परिवारों और रिश्तेदारों के खातों में भेज दी।
बाबूओं और निजी ऑपरेटर के खिलाफ सख्त कार्रवाई
कलेक्टर भव्या मित्तल ने चार बाबूओं को सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया है। इनमें भीकनगांव के संतोष मंडलोई, भगवानपुरा के मनीष चौहान, प्रवीण मंडलोई और खरगोन के मनोज कदम शामिल हैं। साथ ही निजी ऑपरेटर श्याम सोलंकी के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
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113 प्रकरणों में हुई हेराफेरी
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, करीब 13 सालों में इन कर्मचारियों ने 113 प्राकृतिक आपदा के मामलों में 16 लाख रुपए से ज्यादा की हेराफेरी की है। इनमें से कुछ मामलों में तो पीड़ितों के नाम पर मुआवजा राशि किसी और के खाते में डाली गई। जैसे रामलाल की फसल की हानि राशि श्यामलाल के खाते में डाली गई। वहीं, रामेश्वर कुशवाह की राहत राशि प्रताप सिंह चौहान के खाते में ट्रांसफर कर दी गई।
शिकायतों के बाद दिसंबर 2024 में जांच शुरू की गई थी। अब इन बाबूओं को बर्खास्त कर दिया गया है। तहसीलदारों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे इस मामले में किसी भी तरह की ढिलाई न बरतें और सख्त कदम उठाएं।
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