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दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने मध्य प्रदेश के पूर्व विधायक किशोर समरीते को संसद को डायनामाइट से उड़ा देने की धमकी देने के आरोप में दोषी ठहराया है। यह मामला संसद की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता का विषय बन गया था, और कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है।
हालांकि, समरीते को विस्फोटक अधिनियम के तहत आरोपों से बरी कर दिया गया है, लेकिन अब 27 फरवरी को सजा पर बहस करने की तारीख तय की है।
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आखिरी सुनवाई की तारीख
अदालत ने 27 फरवरी को सजा पर बहस करने की तारीख तय की है। इस तारीख को समरीते को उनकी सजा सुनाई जाएगी। समरीते के खिलाफ यह मामला एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में सामने आया है, जिसमें एक पूर्व विधायक द्वारा संसद को धमकी देने की घटना ने देशभर में हलचल मचा दी।
क्या है पूरा मामला
किशोर समरीते ने साल 2022 के सितंबर महीने में राज्यसभा के महासचिव को एक धमकी भरा पत्र भेजा था। इस पत्र में समरीते ने संसद को 30 सितंबर 2022 को डायनामाइट से उड़ाने की धमकी दी थी। साथ ही, पत्र में कुछ राजनीतिक मांगें भी शामिल थीं। समरीते ने पत्र के साथ एक संदिग्ध पदार्थ भी भेजा था, जिससे जांच अधिकारियों को यह संदेह हुआ कि वह किसी आतंकवादी गतिविधि की योजना बना रहे थे।
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किशोर समरीते ठहराए गए दोषी
एवेन्यू कोर्ट ने यह कहा कि, भले ही पत्र में भेजे गए पदार्थ को विस्फोटक नहीं माना गया, लेकिन समरीते का पत्र संसद भवन को नष्ट करने की धमकी देने के लिए था, जिससे आईपीसी की धारा 506 के तहत उन्हें दोषी ठहराया जा सकता है। समरीते ने 17 पार्सल भेजे थे, जिनमें भारत के संविधान की पुस्तक और राष्ट्रीय ध्वज शामिल थे, और इन पार्सलों को विभिन्न राजनीतिक नेताओं और सरकारी अधिकारियों को भेजा गया था।
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सपा नेता हैं किशोर समरीते
किशोर समरीते मध्य प्रदेश के एक पूर्व विधायक और विवादास्पद राजनीतिक शख्सियत हैं। वे मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के लांजी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं। समाजवादी पार्टी (SP) से जुड़े हुए हैं। समरीते का राजनीतिक करियर उतार-चढ़ाव भरा रहा है, और वे अपनी राजनीतिक गतिविधियों के साथ-साथ कई कानूनी विवादों के कारण भी सुर्खियों में रहे हैं।
वकीलों का पक्ष और अदालत का आदेश
दिल्ली की विशेष जज विशाल गोगने ने 18 फरवरी को अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष ने यह साबित कर दिया कि समरीते ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 506 भाग II के तहत दंडनीय अपराध किया। हालांकि, अदालत ने उन्हें विस्फोटक अधिनियम के तहत आरोपों से बरी कर दिया, क्योंकि पत्र में भेजे गए पदार्थ को विस्फोटक नहीं माना गया। समरीते का पत्र संसद भवन को आग से नष्ट करने की धमकी देने के लिए था, जिसके चलते उन्हें आईपीसी की धारा 506 के तहत दोषी ठहराया गया।
पहले भी रहे विवादों में
समरीते 2004 में बालाघाट के लांजी में हुए एक बड़े विवाद में शामिल थे। इस घटना में एसडीएम कार्यालय में दंगा और आगजनी हुई थी। इस मामले में उन्हें दोषी ठहराया गया और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मई 2024 में उनकी पांच साल की सजा को बरकरार रखा। हालांकि, अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत लगे आरोपों से उन्हें बरी कर दिया गया।
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