कवि व कथाकार कुमार विश्वास की कमर्शियल रामकथा मनोरंजन टैक्स से ऐसे बची

सवाल यह है कि कुमार विश्वास की रामकथा पर इंदौर निगम ने टैक्स क्यों नहीं लिया? जबकि कार्यक्रम कमर्शियल था और आयोजन में टिकट बेचे गए थे… thesootr सब खोजकर आपके लिए लाया है

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Sanjay Gupta
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कवि और कथाकार कुमार विश्वास इंदौर में दो दिनों तक रामकथा करके बिना टैक्स दिए ससम्मान विदा हो गए। वहीं दिलजीत दोसांझ और हनी सिंह पर टैक्स की भारी मार पड़ गई..! ये तीनों ही इवेंट कमर्शियल थे। सभी के टिकट बिके। स्पॉन्सरशिप भी जमकर मिली थी फिर ये कैसे हुआ कि विश्वास भैया टैक्स की मार से बच गए? ये सवाल इंदौर के लोग हर गली- नुक्कड़ पर पूछ रहे है। वो जानना चाहते हैं कि भिया, नगर निगम ने विश्वास भैया पर ये मेहरबानी क्यों की? तो thesootr वो सब खोजकर आपके लिए लाया है, जिसके चलते कुमार विश्वास कथा की फीस और दक्षिणा के साथ ही टैक्स चुकाए बिना विदा हुए….।

कौन- कब आया इंदौर

दिलजीत दोसांझ- 8 दिसंबर 2024
हनी सिंह - 8 मार्च 2025
कुमार विश्वास - 16-17 मार्च 2025

क्यों वसूला दिलजीत और हनी सिंह से मनोरंजन कर

यो-यो हनी सिंह के कंसर्ट पर मनोरंजन कर लगाने को जमकर बवाल हुआ। नगर निगम ने दूध का जला छाछ को भी फूंक-फूंक कर पीता है, वाली कहावत पर चलते हुए आयोजकों के एक करोड़ के साउंड सिस्टम तक जब्त कर लिए। क्योंकि दिलजीत के शो में वह ठगा गए और आयोजकों से कोई एडवांस टैक्स नहीं मिला था। हनी सिंह ने 7.84 लाख का टैक्स दिया, लेकिन निगम की डिमांड 50 लाख की थी। दूसरी ओर 16 व 17 मार्च को कवि व कथाकार कुमार विश्वास की रामकथा हुई। यह कमर्शियल थी। इसमें टिकट बेचे गए। फिर सवाल उठा कि इस पर नगर निगम ने टैक्स क्यों नहीं लिया? तो thesootr ने जब निगम के दस्तावेज खंगाले तो हुआ ये बड़ा खुलासा… 

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मनोरंजन कर क्या है और क्यों लगता है?

दरअसल मनोरंजन कर वह स्थानीय अप्रत्यक्ष कर है जो नगर निगम द्वारा उन गतिविधियों पर लगाया जाता है, जिनमें सार्वजनिक मनोरंजन होता है। 16 अगस्त 2018 को यह कर लागू किया गया था, और इसे मप्र नगर पालिका (मनोरंजन व आमोद) कर नियम 2018 के तहत मंजूरी मिली। इसके पहले यह कर 2008 में लागू था, लेकिन नए नियमों के बाद पुराने कर को खत्म कर दिया गया था। इस कर को लागू करने का उद्देश्य नगर निगम की आय बढ़ाना था।

मनोरंजन कर के तहत टैक्स की दरें:

  • सिनेमा: सिनेमा थिएटरों में फिल्मों के प्रदर्शन पर, सकल आय का 5% कर।
  • नृत्य और संगीत प्रदर्शन: होटल, रेस्त्रां या संगीत बैंड कंसर्ट आदि पर प्रदर्शन से प्राप्त आय का 10% कर।
  • खेल आयोजनों: क्रिकेट मैचों या अन्य खेल आयोजनों पर, सकल आय का 5% कर।
  • डिस्को, पब और क्लब: इन स्थानों पर मनोरंजन की सेवाओं के लिए वार्षिक टर्नओवर पर 20% टैक्स।

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तो कुमार विश्वास के आयोजन पर क्यों नहीं लगा मनोरंजन कर?

यह सच है  कि कुमार विश्वास की रामकथा एक कमर्शियल आयोजन था, जिसमें टिकट बेचे गए और स्पॉन्सरशिप से भी आय प्राप्त हुई। इस आयोजन की आयोजनकर्ता रेंजल डेंजल की टीम थी। कार्यक्रम के लिए बकायदा एड और ऑनलाइन टिकट बुकिंग की गई थी। जब इस पर विवाद हुआ, तो निगमायुक्त शिवम वर्मा ने अधिकारियों से इस मामले की चर्चा की। इसके बाद यह तथ्य सामने आया कि रामकथा जैसे आयोजनों पर मनोरंजन कर लगाने का कोई स्पष्ट प्रावधान है ही नहीं है। इस कारण, कुमार विश्वास की रामकथा पर टैक्स नहीं लिया गया। निगम द्वारा बनाए गए मनोरंजन कर प्रस्ताव में सभी कमर्शियल गतिविधियों को शामिल नहीं किया गया था, और यही कारण था कि कुमार विश्वास का कार्यक्रम टैक्स के दायरे से बाहर रहा।

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इंदौर में लगातार जारी है मनोरंजन कर विवाद

इंदौर में मनोरजंन कर को लेकर विवाद नया नहीं है, नगर निगम की सख्ती कई बार चौंकाती है तो कई बार चुप्पी भी चौंका देती है। कुछ साल पहले एमपीसीए द्वारा हुए इंटरनेशनल क्रिकेट मैच के दौरान तो निगम की टीम एमपीसीए के आफिस भी पहुंच गई थी कि मैच के पहले चेक दो। इसमें भी विवाद चीफ सेक्रेटरी तक गया था और एमपीसीए प्रेसीडेंट अभिलाष खांडेकर ने खुलकर निगम की कार्रवाई पर आपत्ति ली थी। हाल ही में दिलजीत शो के दौरान टैक्स नहीं मिला। वहीं हनी सिंह के आयोजन में निगम को केवल 7.84 लाख टैक्स मिला। फिर 50 लाख का नोटिस दिया, नहीं मिलने पर साउंड सिस्टम जब्त किए, मामला फिर हाईकोर्ट गया, जहां आयोजकों से 5-5 लाख रुपए और अंडरटेकिंग लेकर साउंड सिस्टम छोड़ने के आदेश हुए। 

अभी तो अरिजीत सिंह को आना है

अप्रैल माह में सिंगर अरिजीत सिंह का भी आयोजन होना है। यह भी काफी बूम पर है। ऐसे में विवाद होना है। इसलिए जरूरी है क नगर निगम इसे लेकर पहले से ही पुलिस व प्रशासन के साथ सामंजस्य बैठाए। क्योंकि इस बार हनी शो के दौरान निगम की फायर एनओसी नहीं होने के बाद भी और महापौर के पत्र के बाद भी पुलिस ने पूरी व्यवस्था की और मंजूरी जारी कर दी थी। ऐसे में भी विवाद हुआ था।

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