जमीनों के खेल में महेंद्र गोयनका भी, शर्मा के जरिए 300 करोड़ लगाए

रायपुर बेस्ड खनन कारोबारी महेंद्र गोयनका ने मध्‍य प्रदेश के विंध्य अंचल में पहले से भारी निवेश किया हुआ है। आयकर विभाग की जांच में पता चला है कि गोयनका ने भोपाल के बिल्डर राजेश शर्मा के जरिए राजधानी में करीब 300 करोड़ से ज्यादा का निवेश किया है... 

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Ravi Kant Dixit
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Land games Mahendra Goenka Photograph: (thesootr)

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BHOPAL. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में जमीनों की खरीद-फरोख्त का मामला गहराता जा रहा है। आयकर विभाग की कार्रवाई जैसे-जैसे आगे बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे रसूखदार और माफियाओं के नाम सामने आते जा रहे हैं। इस मामले में अब रायपुर के खनन कारोबारी महेंद्र गोयनका का नाम भी उभर कर सामने आया है, जिन पर राजधानी भोपाल में करोड़ों रुपये के निवेश के आरोप हैं।
रायपुर बेस्ड खनन कारोबारी महेंद्र गोयनका ने मध्यप्रदेश के विंध्य अंचल में पहले से भारी निवेश किया हुआ है। आयकर विभाग की जांच में अब पता चला है कि गोयनका ने भोपाल के बिल्डर राजेश शर्मा के जरिए राजधानी में करीब 300 करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया है। यह इन्वेस्टमेंट भोपाल में बेनामी जमीनों की खरीदारी में किया गया है, जिसमें आयकर विभाग को शैल कंपनियों के जरिए टैक्स चोरी के भी संकेत मिले हैं। रायपुर, कटनी और जबलपुर में ये शैल कंपनियां बनाई गईं हैं, जिनके जरिए करोड़ों रुपए का रोटेशन किया गया है। 

भोपाल में 110 एकड़ जमीन और बेनामी संपत्तियां

गोयनका के खिलाफ चल रही जांच में यह बात सामने आई है कि भोपाल के होशंगाबाद रोड पर स्थित सहारा सिटी में 110 एकड़ जमीन खरीदी गई है। यह जमीन सरकार और जांच एजेंसियों की नजर से बचने के लिए कर्मचारियों और परिचितों के नाम पर ली गई थी। इसके अलावा, इंदौर और ग्वालियर में भी बेनामी संपत्तियों की खरीदारी की गई है। आयकर विभाग अब इन संपत्तियों के लेन-देन की जांच कर रहा है।  

नीलबड़ में चार मंजिला होटल  

पता चला है कि राजेश शर्मा की मदद से भोपाल के नीलबड़ क्षेत्र में चार मंजिला होटल बनाई गई है। इस होटल में भी ब्लैक मनी का इस्तेमाल किया गया है। राजेश शर्मा को एक लाइजनर के रूप में देखा जा रहा है, जो भोपाल में नौकरशाहों और नेताओं से संपर्क कर रसूखदारों से जमीनों में निवेश करवा रहा था। सूत्रों के अनुसार, इन बेनामी संपत्तियों में उन नौकरशाहों और नेताओं की ब्लैक मनी भी निवेश की गई है। 

52 किलो सोना और दो कारों का चक्कर 

कहानी यहीं खत्म नहीं होती। इधर, अब भोपाल में एक कार से 52 किलो सोना मिला है। इसे भोपाल के पास मेंडोरी के जंगल में छिपाकर रखा गया था। इस सोने की अनुमानित कीमत 40 करोड़ 47 लाख रुपए बताई जा रही है। 'द सूत्र' को इससे जुड़ी एक जरूरी जानकारी और मिली है। वह यह है कि इसमें दो कारों की तस्वीरें सामने आई हैं। इस बात की पुष्टि है कि दोनों कारों में से किसी एक में ही ये सोना लाया गया था। 'द सूत्र' आपके साथ इन दोनों कारों से जुड़ी Exclusive जानकारी साझा कर रहा है।

कार नंबर 1: MP 07BA 6882
DHARMENDRA PATEL
'द सूत्र' को मिली जानकारी के मुताबिक, ये कार ग्वालियर के धर्मेंद्र पटेल के नाम पर रजिस्टर्ड है।

कार नंबर 2: MP 07 BA 0050
Chetan Singh Gour
'द सूत्र' को मिली जानकारी के मुताबिक, ये कार ग्वालियर के चेतन सिंह गौर के नाम पर रजिस्टर्ड है। 

हालांकि अभी यह पुष्टि नहीं हुई है कि सोना दोनों कारों में से किस कार में था, लेकिन 'द सूत्र' आपको इस बात की पुष्टि कर रहा है कि इन दोनों गाड़ियों में से एक में ही ये सोना लाया गया थ। यह मध्यप्रदेश के इतिहास में सबसे बड़ी जब्ती मानी जा रही है।

खेल कैसे-कैसे : जमीनों के रेट बढ़ाने के लिए सड़क प्रोजेक्ट

इस पूरी कार्रवाई से यह तो साफ है कि ये खेल बरसों से चल रहा है। अब इसमें बड़ी मछलियों के नाम सामने आ रहे हैं। भोपाल में ही जमीन की खरीद-फरोख्त के बहाने काले धन को सफेद किया जा रहा था। बिल्डर सस्ते दामों में जमीन खरीदते। फिर उन पर फर्जी रजिस्ट्रियां कराते। जमीन के दाम बढ़ाने के लिए एक ऐसी सड़क बनाने की भी तैयारी थी, जिसकी सही मायनों में जरूरत ही नहीं है। इसके पीछे मकसद यही था कि जमीनों के रेट बढ़ जाएं।

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अब आयकर विभाग की छापेमारी ने नेतानगरी और अफसरशाही में भूचाल ला दिया है। यह कोई मामूली कार्रवाई नहीं, बल्कि ऐसी बड़ी रणनीति है, जिसने नेता, अफसर और बिल्डरों के गंदे गठजोड़ को बेनकाब कर दिया है। आयकर विभाग की छापेमारी में जो नाम सामने आए हैं, वे न केवल चौंकाने वाले हैं, बल्कि सिस्टम के सबसे ऊंचे ओहदों तक फैली भ्रष्टाचार की जड़ें दिखाते हैं।

त्रिशूल कंस्ट्रक्शन कंपनी पर फोकस

त्रिशूल कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक राजेश शर्मा के 52 ठिकानों पर छापेमारी की गई है। अब तक ठिकानों से पांच करोड़ से ज्यादा नकद रुपए, बैंक लॉकर, ज्वैलरी, बुलियन के अलावा जमीनों से जुड़े दस्तावेज मिले हैं। कुछ कागजात बेनामी संपत्ति से जुड़े हैं। इंदौर में दो और ग्वालियर में एक ठिकाने पर कार्रवाई की जा रही है। जिन बिल्डरों के यहां जांच चल रही है, उनसे जमीन, प्लॉट्स आदि खरीदने वालों पर भी विभाग की नजर है।

राजधानी में कस्तूरबा नगर स्थित जिस बिल्डर के यहां जांच हो रही है, उसकी प्रशासनिक अफसरों से मजबूत पकड़ है। यही कारण है जमीनों के सौदों में बड़े निवेशक अफसर हैं। विभाग ने उनके नाम का खुलासा नहीं किया है। अफसरों की मिलीभगत से ही जमीनों के बड़े सौदे हुए। 

10 साल पहले जमा की थी बैलेंस शीट 

मिनिस्ट्री ऑफ कार्पोरेट अफेयर्स (एमसीए) की रिपोर्ट के मुताबिक राजेश शर्मा की अगुआई वाली कंपनी त्रिशूल इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड की आखिरी मीटिंग वर्ष 2014 में हुई थी। इस मीटिंग से पहले कंपनी ने अपनी बैलेंस शीट मिनिस्ट्री ऑफ कार्पोरेट अफेयर्स को सबमिट की थी। तब से अब तक डायरेक्टर राजेश शर्मा ने कंपनी की बैलेंस शीट जमा नहीं की है। 

अन्य कारोबारियों पर भी कार्रवाई

भोपाल में दीपक भावसार, विनोद अग्रवाल और रूपम सेबानी के यहां भी छापे मारे गए हैं। ये सभी प्रॉपर्टी डीलिंग और होटल सेक्टर में इन्वेस्टमेंट करते हैं। 

इन लोगों पर आयकर का एक्शन...

सूत्रों के अनुसार, आयकर विभाग की टीमों ने इन बड़े नामों के यहां छापेमारी की 

राजेश शर्मा (कस्तूरबा नगर निवासी, कंस्ट्रक्शन कारोबारी और त्रिशूल कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक)।

राजकुमार सिकरवार ( कंस्ट्रक्शन कारोबारी )

रामवीर सिंह सिकरवार ( कंस्ट्रक्शन कारोबारी )

विश्वनाथ साहू (रियल एस्टेट कारोबारी)

दीपक भावसार (पूर्व मंत्री के करीबी )

विनोद अग्रवाल (रियल एस्टेट कारोबारी)

प्रदीप अग्रवाल ( विनोद अग्रवाल के भाई )

रूपम सेबानी (रियल एस्टेट कारोबारी)

इसी के साथ कुणाल अग्रवाल, अल्का अग्रवाल, वीरेंद्र पाल सिंह, हरदीप कौर, तेजींदर सिंह, सूरजीत कौर, राकेश शर्मा, किशोरी देवी शर्मा, संजय जैन, राधिका शर्मा और प्रेम नारायण शर्मा का नाम सामने आया है। 

'द सूत्र' को मिली जानकारी के अनुसार, दीपक भावसार का नाम खास तौर पर चर्चा में है, क्योंकि वह एक प्रभावशाली पूर्व मंत्री के बेहद करीबी है। इसी तरह एक पूर्व मुख्य सचिव का नाम भी उछल रहा है। 

सबके सब ऊंचे ओहदों के मालिक, लेकिन जमीनों के दीवाने

  1. राजेश शर्मा : त्रिशूल कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक राजेश शर्मा न केवल कंस्ट्रक्शन के धंधे में हैं, बल्कि भोपाल में क्रशर संचालकों के संगठन का नेतृत्व भी करते हैं। उनका नाम बिल्डर और जमीन के बड़े खेल में भी शामिल है।

  2. दीपक भावसार : पूर्व मंत्री के खास माने जाने वाले दीपक भावसार राजधानी के बेहद प्रतिष्ठित क्लब के अन ऑफिशियल संचालक हैं। यह भी पता चला है कि दीपक के माध्यम से ही भोपाल से संचालित एक बड़े अखबार समूह के परिवार के सदस्य का नाम भी प्राइम लोकेशन की जमीन के लेन-देन में शामिल है।

  3. रूपम सेबानी : भोपाल के न्यू मार्केट में 400 करोड़ के होटल प्रोजेक्ट का मालिकाना हक रखने वाले रूपम सेबानी का नाम स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से भी जुड़ा है।

  4. विनोद अग्रवाल, प्रदीप अग्रवाल : दोनों भाई हैं, जो क्वालिटी बिल्डर के नाम से फर्म चलाते हैं। बता दें कि प्रदीप अग्रवाल भोपाल के चर्चित प्यारे मियां कांड में भी लिप्त था। उस पर भी नाबालिक लड़कियों के यौन शोषण मामले में FIR हुई थी।

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