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नई आबकारी (शराब) नीति के बाद मप्र के सबसे चर्चित जिले धार, झाबुआ और अलीराजपुर के ठेकों को लेकर जैसा द सूत्र ने खेल की आशंका जताई थी, वही हुआ। 20 फीसदी अधिक लाइसेंस फीस पर कोई भी इन जिलों को लेने को तैयार नहीं हुआ और इसमें खेल करने की तैयारी में लगे हुए हैं। इंदौर में भी करीब 64 फीसदी दुकान रिन्यू हुई हैं, जो क्रीम एरिया की थी, बाकी जगह पर ठेकेदारों ने ठेके रिन्यू नहीं कराए हैं।
ठेकेदारों ने की मिलीभगत
कुल मिलाकर चर्चित जिलों में शराब ठेकेदारों ने मिलीभगत करते हुए जिले लेने के लिए आवेदन ही नहीं किया है। उन्हें यह जिले तो चाहिए लेकिन महंगी फीस पर नहीं, कुल मिलाकर ठेकेदार सरकार के राजस्व में चूना लगाने के लिए इन जिलों के टूटने का इंतजार कर रहे हैं। वह पूरे जिले को 20 फीसदी में नहीं लेकर चुनिंदा दुकान लेकर अपनी गुजरात की लाइन को जिंदा रखना चाहते हैं। अभी पूरा जिला नीलामी में था, जब जिला नहीं जाएगा तो यह छोटे ग्रुप में बंटेगा, तब खेल किया जाएगा। इन चर्चित जिलों में रमेश राय, नन्हे सिंह, एके सिंह, पिंटू भाटिया, रिंकू भाटिया, सूरज रजक यह सभी माहिर खिलाड़ी मौजूद है। ऐसे में किसी ने भी धार, झाबुआ, अलीराजपुर के जिलों में हाथ नहीं डाला, जो बताता है कि फिलहाल मिली जुली कुश्ती चल रही है।
धार, झाबुआ, अलीराजपुर में क्या हुआ?
धार
धार का ठेका अभी सूरज रजक के साथ गठबंधन में रमेश राय, नन्हे सिंह, लल्ला शिवहरे ने मिलकर लिया हुआ था, जो 403 करोड़ रुपए का था। नई नीति के तहत यह करीब 480 करोड़ में रिन्यू होना था। लेकिन यह गठबंधन अब टूट गया है और किसी ने भी इसके लिए रिन्यू नहीं कराया है। गुजरात की अवैध शराब लाइन धार होते हुए जाती है, ऐसे में कई ठेकेदारों की नजर इस जिले पर है, ऐसे वह जिले को हाथ से नहीं जाने देंगे। लेकिन अधिक फीस के कारण इसके लिए जिले के टूटने का इंतजार किया जा रहा है, जिससे टुकड़ों में कुछ ग्रुप में यह दुकान ले ली जाए और इससे उनका काम भी चलता रहेगा और अधिक राशि भी नहीं फसेगी।
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झाबुआ
गुजरात से लगे इस जिले का पूरा ठेका अभी गुरूकृपा बायोफ्यूल ने 214 करोड़ में लिया था। जो कागजों पर जो नीरज कुमार, संदीप जुनेजा, ओम पुरोहित का है लेकिन असल में यह एके सिंह, पिंटू भाटिया, अल्केश बाकलिया का है। बाकलिया गुजरात में अवैध शराब लाइन डिस्ट्रीब्यूशन का माहिर खिलाड़ी है। इस जिले में भी धार जैसा ही खेल हो रहा है। क्योंकि अभी पूरा जिला एक साथ नीलामी में था जो नहीं लिया, क्योंकि यह करीब 250 करोड़ रुपए का पड़ता, अब इसके भी टूटने का इंतजार हो रहा है। साल 2022-23 में ठेकेदार यह खेल कर चुके हैं जब ठेका 246 करोड़ रुपए से घटकर 214 करोड़ में लिया गया था।
अलीराजपुर
इस जिले में गुरूसिंघ सभा के पूर्व प्रधान रिंकू उर्फ मनजीत सिंह भाटिया सक्रिय है और खालसा एंड कंपनी ने पूरा ठेका अभी 98 करोड़ में उठा लिया था। बाद में यह ठेका उन्होंने पेटी कॉट्रेक्ट करते हुए अन्य शराब ठेकेदार और उनके रिश्तेदार आबकारी अधिकारी को पर्दे के पीछे पेटी दे दिया। इस जिले को अब 120 करोड़ में दिया जा रहा है। गुजरात लाइन के लिए यह जिला अहम है। ऐसे में अभी अधिक राशि फंसाने की जगह शराब के खिलाड़ी इसके टूटने का और ग्रुप में दुकान लेने के इंतजार में है, जिससे कम दाम में जिला मिल जाए। अलीराजपुर में शराब के खिलाड़ी यह पहले कर चुके हैं, साल 2022-23 में यह ठेका 118 करोड़ का था जो 2023-24 में 98 करोड़ में गया था।
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इंदौर में क्रीम एरिया के ठेके हुए रिन्यू
उधर, इंदौर जिले में साल 2023-24 में करीब 60 ग्रुप में 172 शराब दुकानों के ठेके 1 हजार 501 करोड़ में गए थे, इस बार लक्ष्य 20 फीसदी अधिक होकर 1 हजार 800 करोड़ रुपए का है। लेकिन अभी 40 ग्रुप की 109 दुकान रिन्यू हुई है जिससे करीब 1 हजार 100 करोड़ का राजस्व मिल गया। बाकी 700 करोड़ की व्यवस्था करना बाकी है।
इंदौर में इन्होंने लिए महंगे ठेके
- इंदौर में सबसे महंगा ठेका 66.79 करोड़ रुपए का निपानिया का था जो सूरज रजक ने अपने पास ही रखा है। इसी तरह उन्होंने कनाडिया का ठेका भी 49 करोड़ रुपए में अपने पास रखा है।
- आनंद बाजार का 65 करोड़ का महंगा ठेका सागर लखनवी ने अपने पास रखा है। वहीं एक अन्य महंगा 61 करोड़ का द्वारिकापुरी का ठेका जय माता दी ट्रेडर्स ने अपने पास रखा है।
- एक अन्य करीब 58 करोड़ का शराब ठेका चंद्रगुप्त चौराहे का एसआर ग्रुप ने अपने पास बनाए रखा है। इसी तरह मार्डन चौराहे का 50 करोड़ का ठेका प्रगति यादव पति योगेंद्र यादव ने अपने पास रखा है। रेवती का भी ठेका लिया है।
- संतोष रघुवंशी ने पिपल्यापाला कास, हिमालय ट्रेडर्स ने पिगंडबंर का, सुरेश ठाकुर ने चोरल का, गौरव शर्मा ने चिमनबाग का, लवलीन चड्ढा चंदननगर ने ठेका अपने पास रखा है।
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अब नए समीकरण इस तरह से जमा रहे ठेकेदार
नई आबकारी नीति में 80 फीसदी दुकान यदि 20 फीसदी पर रिन्यू आफर दिया जाता है तो संबंधित ठेकेदार को यह लाइसेंस दिया जाएगा। इसके पहले चरण में 21 फरवरी तक ऑफर मांगे गए थे। इसमें कई जिलों के ठेके नहीं उठे हैं और इंदौर में भी 40 फीसदी ग्रुप नहीं गए हैं। अब इसमें लॉटरी के जरिए फिर ऑफर 27 फरवरी तक लिए जा रहे हैं। इनका फैसला लॉटरी से होगा। इसके बाद दुकान बचने के बाद स्थानीय स्तर पर टेंडर करके यह ठेके होंगे जिसमें ठेकेदार काम भाव पर दुकान मिलने की उम्मीद कर रहे हैं और इसी की जुगत में हैं।
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