शराब के खेल में माहिर आबकारी विभाग में अब अधिकारियों के साथ सीनियर अधिकारियों ने ही खेला कर दिया है। मजे की बात यह है कि डिप्टी सीएम और विभागीय मंत्री जगदीश देवड़ा, पीएस अमित राठौर, आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल की मंजूरी के बाद भी यह हो गया।
खबर यह भी- इंदौर के रजत पाटीदार बने RCB के नए कप्तान, 4 साल में चमकी किस्मत
यह है पूरा मामला
आबकारी विभाग में साल 2005, 2007 बैच के सब इंस्पेक्टर का प्रमोशन 18 साल से अटका हुआ है। जो सात साल में हो जाता है और यह एडीईओ (सहायक जिला आबकारी अधिकारी) बन जाते हैं। सालों के बाद इस पर सहमति बनी की इन्हें उच्च पदनाम, प्रभार दे दिया जाए। दो-तीन सालों से यह प्रयास चल रहे हैं। इस दौरान लगभग हर विभाग में यह उच्च पदनाम देने का काम हो चुका है। आखिरकार आबकारी आयुक्त ने लिस्ट मंजूर की और फाइल मंजूरी के लिए प्रमुख सचिव राठौर के पास भेजी, वहां से भी मंजूर हुई। फिर यह मंत्री देवड़ा के पास गई और वहां से भी यह दो घंटे में ओके हो गई।
खबर यह भी- इंदौर में सट्टा चलाने वाले अपराधी ने आजादनगर एसीपी को दिया बुके, फोटो भी डाली
अब यहां हो गया खेल
आयुक्त, पीएस, मंत्री की मंजूरी के बाद इस लिस्ट को जारी करना ही बाकी था। लेकिन इस लिस्ट के जारी होने की भनक कुछ जादूगर एडीईओ को लगी, जो पहले से ही कई सर्कल के इंचार्ज है और मलाई खाने में लगे हुए हैं। उन्हें इससे अपने सर्कल जाते हुए दिखे, क्योंकि सब इंस्पेक्टर को पदनाम मिल गया तो फिर उनके हाथ से यह सर्कल निकलेंगे। इन्होंने अपना पॉवर दिखाया और इस लिस्ट को जारी होने से ऐन वक्त पर रोक दिया गया। अब सबसे बड़ा सवाल यही उठा कि मंत्री, पीएस, आयुक्त के बाद विभाग में ऐसा कौन सा अधिकारी हो गया, जो इन सभी से पावरफुल है। अब इसमें बड़े स्तर पर लेन-देन के भी आरोप लग रहे हैं। आरोप है कि कुछ सक्षम लोगों द्वारा इसमें बड़ी राशि जमा करके एक अदृश्य शक्ति को दी है, जिसने इस लिस्ट को जारी करने से रुकवा दिया है।
खबर यह भी- इंदौर में बीजेपी विधायकों ने लगाई बोलियां- मेरे 51 लाख रुपए, मेरे 15 लाख
खबर यह भी- इंदौर CA ब्रांच एसोसिएशन चुनाव में कर सलाहकार की एंट्री, होटलों में करा रहे पार्टी, भड़के सीए
दूसरे विभाग में तो हो गया उच्च पद
आश्चर्य इस बात का भी है कि पीएस अमित राठौर पंजीयन विभाग, वाणिज्यिक कर विभाग के भी पीएस है, इन विभागों में तो उच्च पदनाम दे दिए गए हैं, पंजीयन में तो कुछ दिन पहले ही लिस्ट जारी हुई है। फिर जब आबकारी लिस्ट को वह खुद मंजूर कर चुके हैं तो इसे क्यों रोका गया है। इस संबंध में द सूत्र ने पीएस अमित राठौर को फोन किया और मैसेज भी डाला लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया।
हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें