डिप्टी सीएम देवड़ा, पीएस और आयुक्त ने की ADEO प्रभार देने की लिस्ट मंजूर, फिर हो गया खेल

आबकारी विभाग में 2005 और 2007 बैच के सब इंस्पेक्टर का प्रमोशन 18 साल से अटका था। डिप्टी सीएम देवड़ा और आयुक्त की मंजूरी के बाद भी लिस्ट को कुछ अधिकारियों ने रोक दिया। आरोप है कि बड़े पैमाने पर लेन-देन के कारण यह लिस्ट जारी नहीं हो सकी।

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Sanjay Gupta
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डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा(सफेद शर्ट में) , पीएस अमित राठौर (चश्मे में), आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल (हाफ कोट में)

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शराब के खेल में माहिर आबकारी विभाग में अब अधिकारियों के साथ सीनियर अधिकारियों ने ही खेला कर दिया है। मजे की बात यह है कि डिप्टी सीएम और विभागीय मंत्री जगदीश देवड़ा, पीएस अमित राठौर, आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल की मंजूरी के बाद भी यह हो गया। 

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यह है पूरा मामला

आबकारी विभाग में साल 2005, 2007 बैच के सब इंस्पेक्टर का प्रमोशन 18 साल से अटका हुआ है। जो सात साल में हो जाता है और यह एडीईओ (सहायक जिला आबकारी अधिकारी) बन जाते हैं। सालों के बाद इस पर सहमति बनी की इन्हें उच्च पदनाम, प्रभार दे दिया जाए। दो-तीन सालों से यह प्रयास चल रहे हैं। इस दौरान लगभग हर विभाग में यह उच्च पदनाम देने का काम हो चुका है। आखिरकार आबकारी आयुक्त ने लिस्ट मंजूर की और फाइल मंजूरी के लिए प्रमुख सचिव राठौर के पास भेजी, वहां से भी मंजूर हुई। फिर यह मंत्री देवड़ा के पास गई और वहां से भी यह दो घंटे में ओके हो गई। 

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अब यहां हो गया खेल

आयुक्त, पीएस, मंत्री की मंजूरी के बाद इस लिस्ट को जारी करना ही बाकी था। लेकिन इस लिस्ट के जारी होने की भनक कुछ जादूगर एडीईओ को लगी, जो पहले से ही कई सर्कल के इंचार्ज है और मलाई खाने में लगे हुए हैं। उन्हें इससे अपने सर्कल जाते हुए दिखे, क्योंकि सब इंस्पेक्टर को पदनाम मिल गया तो फिर उनके हाथ से यह सर्कल निकलेंगे। इन्होंने अपना पॉवर दिखाया और इस लिस्ट को जारी होने से ऐन वक्त पर रोक दिया गया। अब सबसे बड़ा सवाल यही उठा कि मंत्री, पीएस, आयुक्त के बाद विभाग में ऐसा कौन सा अधिकारी हो गया, जो इन सभी से पावरफुल है। अब इसमें बड़े स्तर पर लेन-देन के भी आरोप लग रहे हैं। आरोप है कि कुछ सक्षम लोगों द्वारा इसमें बड़ी राशि जमा करके एक अदृश्य शक्ति को दी है, जिसने इस लिस्ट को जारी करने से रुकवा दिया है।

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दूसरे विभाग में तो हो गया उच्च पद

आश्चर्य इस बात का भी है कि पीएस अमित राठौर पंजीयन विभाग, वाणिज्यिक कर विभाग के भी पीएस है, इन विभागों में तो उच्च पदनाम दे दिए गए हैं, पंजीयन में तो कुछ दिन पहले ही लिस्ट जारी हुई है। फिर जब आबकारी लिस्ट को वह खुद मंजूर कर चुके हैं तो इसे क्यों रोका गया है। इस संबंध में द सूत्र ने पीएस अमित राठौर को फोन किया और मैसेज भी डाला लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया।

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