LN Malviya : धोखाधड़ी से सड़क, फ्लाई ओवर, रेलवे ओवर ब्रिज, मेडिकल कॉलेजों के ठेके लेने वाले एलएन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड को लेकर नए खुलासे हो रहे हैं। जबलपुर क्षेत्र में फर्जीवाड़े से सरकार को करोड़ों का चूना लगाने वाली कंपनी की नींव ही फर्जी दस्तावेजों पर टिकी हुई है। कंपनी ने अधिकारियों से गठजोड़ कर न केवल जबलपुर क्षेत्र बल्कि, पूरे प्रदेश भर में कंस्ट्रक्शन और कंसल्टेंसी सेवा के नाम पर फर्जीवाड़े का महीन जाल बुना था। अब एलएन मालवीय की धोखाधड़ी के जाल का एक-एक तार खुल रहा है।
कंसल्टेंट कंपनी में कर्मचारी था एलएन मालवीय
एलएन मालवीय कैसे सरकारी ठेकों में फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड बना और उसने कैसे सरकार अफसरों को अपने जाल में फांसा। द सूत्र ने इसकी विस्तृत पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। कुछ साल पहले तक कोलार रोड पर एक कंसल्टेंट कंपनी में कर्मचारी के रूप में काम करने वाले एलएन मालवीय ने साल 2005 में अपनी फर्म का पंजीयन कराया था। छह साल बाद यानी साल 2011 में उसने एलएन इंफ्रा प्रोजेक्ट्स प्रा.लि. नाम से कंपनी रजिस्टर्ड कराई। इसके बाद वह अपनी कंपनी के लिए सरकारी प्रोजेक्ट हथियाने की तिकड़मों में जुट गया। कुछ साल बाद उसने अधिकारियों से संपर्क बढ़ाए और फिर इन्हीं संबंधों के सहारे काम लेना शुरू किया।
ये खबरें भी पढ़ें...
LN Malviya : व्यापमं घोटाले का आरोपी भी है TV 27 का डायरेक्टर
thesootr.com TV 27 के डायरेक्टर सहित PWD के 4 अधिकारियों पर EOW में मामला दर्ज
चार मेडिकल कॉलेज बनाने का भी लिया ठेका
मालवीय की कंपनी ने बड़े प्रोजेक्ट हासिल करने दस्तावेजों में भी जमकर फर्जीवाड़ा किया। उसने विदिशा मेडिकल कॉलेज का ठेका लेने के लिए राजधानी के बैरागढ़ में स्थित नामी मेडिकल कॉलेज और उसके अस्पताल के निर्माण के भी फर्जी दस्तावेज और बैलेंस सीट तैयार कराई। मेडिकल कॉलेज का निर्माण करने और उसमें तकनीकी दक्षता का सर्टिफिकेट भी उसने तैयार कराया था। इसी बैलेंस सीट और सर्टिफिकेट के सहारे उसने विदिशा मेडिकल कॉलेज बनाने का ठेका हासिल किया। कंपनी ने सिवनी, शहडोल और श्योपुर मेडिकल कॉलेज निर्माण की कंसल्टेंसी का काम भी हथिया लिया। इन कामों के बदले में मालवीय को सरकार से करोड़ों रुपया भी मिला।
प्रदेश सहित कई राज्यों में काम कर रही कंपनी
काम बढ़ाने और ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए एलएन मालवीय ने सरकारी विभागों में अपनी पकड़ मजबूत की। उसने अफसरों को भी फर्जी दस्तावेजों के सहारे अपने जाल में फांसा। मालवीय ने कुछ ही समय में अपनी कंपनी को एनएचएआई, सड़क परिवहन विभाग, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग, रेलवे और एचएससीएल जैसी कंपनियों के अलावा प्रदेश में एमपीआरडीसी, एमपीआरआरडीए, पीडब्ल्यूडी, जल संसाधन विभाग, पीएचई और एमपीयूएडीडी में इंपेनलमेंट करा लिया। उसकी कंपनी अब बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और गोवा जैसे राज्यों में भी विभागों में इंपेनल्ड हो चुकी है। फर्जीवाड़े की नींव पर खड़ी कंपनी को मालवीय ने अपने प्रभाव के सहारे छत्तीसगढ़ में भी काम दिलाना शुरू कर दिया है।
वेबसाइट के बॉयोडेटा प्रिंटकर बनाया एक्सपर्ट पैनल
एलएन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट्स ने बड़े कामों के लिए किस स्तर पर फर्जीवाड़ा किया यह भी बताते हैं। जबलपुर ईओडब्ल्यूडी को जो शिकायत की गई है। उसमें वे दस्तावेज भी हैं जो कार्रवाई का आधार बने हैं। कंपनी ने प्रदेश में पुल और सड़क निर्माण में कंसल्टेंसी सर्विसेज का ठेका लेने जो एक्सपर्ट पैनल दर्शाया था वह असल में उसके कर्मचारी नहीं थे। एक्सपर्ट के लिए तय दक्षता वाले कर्मचारियों का पैनल बनाने मालवीय ने जॉब साइट से बॉयोडेटा प्रिंट किए और कंपनी को बिड में शामिल कराया। बिड में अव्वल रहने के लिए कंपनी कर्मचारियों के फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र और नेशनल रोड सेफ्टी कांग्रेस की फर्जी रसीदें छापीं और उन्हें सदस्य बताकर भ्रमित किया गया।
फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट से एक्सपर्ट को दी छुट्टी
एलएन मालवीय किसी भी लेवल के फर्जीवाड़े से करोड़ों के काम हासिल करना चाहता है। इसका एक और उदाहरण सामने है। दरअसल कंसल्टेंट टेंडर हासिल करने मालवीय की कंपनी ने टेंडर के दस्तावेजों के साथ एक्सपर्ट पैनल की एक सूची दी थी। जब कंपनी को काम मिल गया तो कुछ समय बाद ही इन एक्सपर्ट को जेपी अस्पताल के डॉक्टरों से सर्टिफिकेट लेकर अनफिट बता दिया। टेंडर की शर्तों में यह भी था कि एक्सपर्ट के नौकरी छोड़ने या हटाए जाने पर उसी दक्षता वाले को काम पर रखना होगा। लेकिन एलएन से साठगांठ के चलते अधिकारियों ने शर्त के उल्लंघन को अनदेखा कर कंपनी को भुगतान भी कर दिया।