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आरोपी सुमित पांडे
जबलपुर में 'द सूत्र' के द्वारा मुद्रा लोन फर्जीवाड़े का बड़ा खुलासा किया गया था। जिसमें इस फर्जीवाड़े के शिकार हुए लोगों की पड़ताल कर हमने इस मामले को उजागर किया था। आखिरकार पुलिस को इन पीड़ितों की शिकायत पर FIR दर्ज करना पड़ा और आरोपी की तलाश तेजी से शुरू कर दी गई। हालांकि, इस पूरे समय आरोपी अपने घर में ही रह रहा था और यहां तक कि उसका मोबाइल फोन भी लगातार चालू था, क्योंकि 'द सूत्र' से बात कर सुमित ने अपना पक्ष रखा था और बैंक कर्मचारियों को बचाने की कोशिश भी की थी। आखिरकार कागजी ही सही पर बहुत जद्दोजहद के बाद पुलिस को आरोपी मिला और मुद्रा लोन फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड सुमित पांडे को गिरफ्तार किया गया।
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मुद्रा लोन फर्जीवाड़ा किए जाने का मामला
जबलपुर में बीते दिनों में मुद्रा लोन के फर्जीवाड़े का मामला उजागर हुआ था। जिसमें ' 'द सूत्र'' ने खुलासा करते हुए इस फर्जीवाड़े के मास्टर माइंड पर कार्यवाही नहीं होने में पुलिस और बैंक की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे। जिसके बाद आखिरकार जबलपुर के अधारताल थाने में पुलिस को आरोपी सुमित पांडे के खिलाफ FIR दर्ज करनी पड़ी। सुमित पांडे पर आरोप है कि उसने दो व्यक्तियों को व्यवसाय के लिए लोन दिलाने का झांसा देकर ठगी की। जांच में पाया गया कि आरोपी ने पीड़ितों के नाम पर लोन स्वीकृत करवाया और लोन की राशि को अपने फर्म के खाते में ट्रांसफर करा लिया। इस तरह सुमित पांडे ने 24 लाख रुपए हड़प लिए। पीड़ितों की शिकायत पर पुलिस ने फर्जी कंपनी के मालिक सुमित पांडे के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। हालांकि, यदि केवल जबलपुर शहर के सभी थानों में ऐसे मामलों की जांच की जाए, तो आधा सैकड़ा (half a hundred) से अधिक मामले सामने आ सकते हैं।
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'द सूत्र' ने किया था 32 लाख रुपए के मुद्रा लोन फर्जीवाड़े का खुलासा
क्रिस्टल डील ऑल सॉल्यूशन कंपनी के संचालक सुमित पांडे के द्वारा किए गए प्रधानमंत्री मुद्रा लोन फर्जीवाड़े के मामले में 32 लाख रुपए की धोखाधड़ी किए जाने के मामले को 'द सूत्र' ने उजागर किया था। जिसमें पड़ताल में यह पाया गया था कि ग्वारीघाट निवासी कमल गढ़वाल के साथ 13 लाख 60 हजार रुपए , जबलपुर के देवताल निवासी विजय तिवारी के साथ 10 लाख 40 हजार रुपए और भेड़ाघाट के रहने वाले शैलेंद्र केवट के साथ 8 लाख की धोखाधड़ी कर फर्जीवाड़ा किया था। पड़ताल में एक और बात का खुलासा हुआ था कि इन सभी में पाटन की यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के बैंक मैनेजर की भी मिलीभगत के आसार नजर आए थे। हालांकि मामले में अब भी पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि जैसे तैसे सुमित पांडे पर तो फिर की गई और उसकी गिरफ्तारी भी हुई लेकिन उसके अलावा कोटेशन देने वाले कुछ फॉर्म के संचालकों सहित बैंक के कर्मचारियों की इसमें मिलीभगत थी जिन पर अब तक पुलिस की नजर टेढ़ी नहीं हुई है।
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पैसों के दम पर बच निकलता था आरोपी
प्रधानमंत्री मुद्रा लोन फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड आरोपी सुमित पांडे हमेशा पैसों की दम पर बचने की फिराक में रहता था। उसके द्वारा पहले किए गए किसी फर्जीवाड़े के मामले में पीड़ित से 10 लाख रुपए की धोखाधड़ी की गई थी, जिसमें पीड़ित की शिकायत के बाद आरोपी सुमित पांडे ने उसे 4 लाख रुपए लौटा दिए थे। वहीं बाकी बचे 6 लाख रुपए एक महीने में देने का वादा न्यायालय से कर 50 हजार के मुचलके पर अग्रिम जमानत ले ली थी।
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पुलिस ने किया आरोपी को गिरफ्तार
मुद्रा लोन के नाम पर लाखों रुपए की धोखाधड़ी करने वाले को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर ही लिया। पिछले कई महीनों से लगातार पुलिस मुद्रा लोन फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड सुमित पांडे की तलाश में थी। जिसमें पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी में आरोपी सुमित पांडे को खजरी खिरिया में उसी के घर से गढ़ा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इसके द्वारा अधारताल थाना, ग्वारीघाट थाना एवं गढ़ा थाना में धोखाधड़ी की कई शिकायत दर्ज थी।
पड़ताल से हो सकता है बड़ा खुलासा
सूत्रों के मुताबिक सुमित पांडे की पूरी डीलिंग करने में एक मुस्लिम महिला का हाथ है जो पैसों का लेनदेन और ग्राहकों को फसाने का काम करती थी। वहीं फर्जी फॉर्म और डॉक्यूमेंट के आधार पर बिना वेरिफिकेशन के लोन अप्रूव करने में बैंक कर्मियों की भी बड़ी मिलीभगत है। विश्वसनीय सूत्र ने हमें बताया कि सुमित पांडे रुपयों के आते ही उन्हें अपने चाचा और पिता के खातों में ट्रांसफर करता था, वहीं अन्य रिश्तेदारों के खातों में भी यह रुपए डाले जाते थे। मगर अब तक इस मामले में किसी अन्य व्यक्ति को आरोपी बनाने या अकाउंट फ्रीज करने की जानकारी नहीं मिली है। इस मामले की गहन पड़ताल की जाए तो सुमित पांडे सिर्फ एक मछली है इस फर्जीवाड़े के मगरमच्छ अभी भी खुले घूम रहे हैं।
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