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परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण एक्ट 1988 भोपाल कोर्ट में लगी अग्रिम जमानत याचिका गुरुवार को खारिज हो गई है। यह याचिका उसकी मां उमा शर्मा द्वारा लगाई गई थी। इस याचिका के दौरान लोकायुक्त की ओर से औपचारिक तौर पर सौरभ शर्मा को लेकर कई खुलासे किए गए हैं। इसमें खासकर इनोवा कार से मिला 52 किलो सोना और एक करोड़ की नकदी को लेकर भी रिपोर्ट है।
52 किलो सोना और 1 करोड़ की नकदी को लेकर यह
कोर्ट में लोकायुक्त की ओर से बताया गया कि सौरभ शर्मा पर लोकायुक्त ने 195/2024 अपराध क्रमांक पंजीबद्ध किया है। इसमें भ्रष्टाचार निवारण एक्ट 1988 की धारा 13(1) बी व 13 (2) में केस हुआ है। केस होने के बाद से ही वह गायब है और विभाग के सामने नहीं आया है और पत्नी सहित खुद को छिपाए हुए हैं और संभवतः वह दुबई में है। अभियुक्त (शर्मा) के मकान की तलाशी के दौरान अभियुक्त के परिवार के साथ चेतन सिंह गौड़ के नाम पर पंजीकृत वाहन इनोवा में आयकर विभाग द्वारा 52 किलो सोना और एक करोड़ की नकदी बरामद की गई है। इस संबंध में भी अभियुक्त से पूछताछ की जानी है।
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संपत्ति को लेकर भी यह बोला लोकायुक्त
लोकायुक्त ने कोर्ट को बताया कि लोकायुक्त छापे के दौरान उसके निवास ई7, 78 अरेरा कॉलोनी भोपाल से 28.50 लाख रुपए नकद, 5 लाख से ज्यादा के आभूषण, 21 लाख से ज्यादा की चांदी और कई करोड़ के वाहन के साथ ही विलासिता पूर्ण जीवन में उपयोग में आने वाला सामान मिला है। साथ ही अचल संपत्ति को लेकर कई दस्तावेज मिले हैं। इसके लिए अभियुक्त शर्मा से जानकारी लेना जरूरी है।
सौरभ शर्मा की ओर से यह बोला गया
शर्मा की ओर से अधिवक्ता राकेश पाराशर ने तर्क रखा कि लोकायुक्त ने झूठा केस लगाया है। वह जून 2023 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्त हो चुका है। वह अब लोकसेवक नहीं है, इसलिए छापा और केस नहीं बनता है। वह प्रतिष्ठित व्यक्ति है और जमानत मिलती है तो उसके कहीं भागकर जाने या साक्ष्य प्रभावित करने की संभावना नहीं है। गिरफ्तार होने पर सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल होगी, इसलिए जमानत दी जाए। वहीं लोकायुक्त ओर से विशेष लोक अभियोजक विवेक गोड़ ने आपत्ति लेते हुए कहा कि केस के दौरान से ही शर्मा गायब है और अकूत संपत्ति का पता चला है। वह अभी भी संभवतः दुबई भागा हुआ है, ऐसे में जमानत दिया जाना उचित नहीं है।
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कोर्ट ने यह कहा
सभी तर्कों को सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश रामप्रताप मिश्रा ने कहा कहा कि अपराध के स्वरूप व गंभीरता व जांच में अभियुक्त से पूछताछ की जरूरत को देखते हुए और उसके अभी तक पेश नहीं होने को ध्यान देते हुए अग्रिम जमानत पर छोड़ा जाना उचित नहीं है। इसलिए आवेदन निरस्त किया जाता है।
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