New Update
/sootr/media/media_files/2025/05/22/JSYEIRNGBPtTYUTYCOvU.jpg)
00:00
/ 00:00
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
लोकायुक्त संगठन ने सरकारी अफसरों की अघोषित संपत्तियों का पर्दाफाश करते हुए पांच अफसरों की 9 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जब्त करने के लिए कोर्ट में केस दायर किए हैं। इन अफसरों ने अपनी मूल आय से 300-400 गुना अधिक काली कमाई जमा कर, पत्नियों और बच्चों के नाम पर प्लॉट, मकान और बैंक खाते खोलकर पैसे जमा कर रखे थे।
लोकायुक्त की जांच में खुलासा हुआ कि जिन परिजनों के नाम पर करोड़ों की संपत्ति है, उनके पास आय का कोई वैध जरिया ही नहीं था। जांच में यह भी सामने आया कि अफसरों ने अपने भाई, बहन, मां, बेटा, बेटी तक के नाम पर संपत्ति कर रखी थी। साथ ही इनके पास इनकम का कोई वैलिड प्रूफ नहीं मिला।
जगदीश राठी, सहायक आबकारी आयुक्त ने अपनी पत्नी, बेटी और अन्य रिश्तेदारों के नाम से कुल 3.15 करोड़ की अवैध संपत्ति जमा की थी। उनका तबादला सागर जिले में था, लेकिन उन्होंने इंदौर में संपत्तियां खरीदीं।
नवलसिंह जामोद, पूर्व आबकारी उपायुक्त ने खुद समेत 7 परिजनों के नाम से संपत्तियां खरीदी थीं। उनके बिस्तर के नीचे से भी नोटों की गड्डियां मिली थीं। उनकी 37.25 लाख की संपत्ति जब्त की जा रही है।
अश्विनी नायक, पूर्व कनिष्ठ खाद्य आपूर्ति अधिकारी के घर किचन के डिब्बों में भी कैश मिला। उनकी 76.49 लाख की संपत्ति आय से अधिक पाई गई है।
बाबूलाल पटेल, पूर्व लिपिक (जनपद पंचायत) ने अपनी पत्नी और बेटे के नाम पर 1.24 करोड़ की संपत्ति जुटाई थी।
गुरुकृपाल सिंह सुजलाना, एक मामूली टाइमकीपर, लेकिन 4.73 करोड़ की संपत्ति जमा कर बड़े अफसरों को भी पीछे छोड़ दिया।
इन मामलों के अलावा भी पिछले 8 महीनों में 12 अफसरों को कोर्ट से सजा हो चुकी है। इनमें शिक्षा, आदिम जाति, राजस्व, सहकारी बैंक और पटवारी स्तर के अफसर शामिल हैं।
thesootr links
छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
MP News | मध्यप्रदेश में भ्रष्ट अफसर | करप्शन