भगवान जगन्नाथ स्वामी क्यों खा रहे दलिया-खिचड़ी, इधर... रथ यात्रा की तैयारी शुरू

मध्यप्रदेश के दमोह स्थित जगदीश स्वामी मंदिर के पुजारी पंडित नर्मदा प्रसाद गर्ग ने बताया कि भगवान का बीमार होना यह सब परंपरा का हिस्सा है, जिसे पुरातन काल से निभाया जा रहा है। किवदंती है कि भगवान अपने भक्त की सेवा करने स्वयं पहुंचे थे...

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Jitendra Shrivastava
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Lord Jagannath Swami
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BHOPAL. दमोह में भगवान जगनाथ स्वामी अभी बीमार हैं, लेकिन उनकी रथयात्रा की तैयारियां शुरू हो गई है। शहर के दो मंदिरों से भगवान की रथयात्रा निकाली जाती है, जिसमें पुरैना तालाब के पास स्थित भगवान जगदीश स्वामी मंदिर से और दूसरी हनुमानगढ़ी मंदिर से निकलती है। प्राचीन परंपरा अनुसार भगवान जगन्नाथ स्वामी बीमार चल रहे हैं, जो मंदिरों में छह जुलाई तक शयन मुद्रा में लीन हैं। इस दौरान उनको केवल भगवान को दलिया, खिचड़ी और मूंग की दाल सहित हल्के खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जा रहा है।

7 जुलाई को भगवान भक्तों के हालचाल जानेंगे

दमोह में सात जुलाई को निकलने वाली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की तैयारियां शुरू हो गई है। प्राचीन परंपरा अनुसार भगवान जगन्नाथ स्वामी बीमार चल रहे हैं, जो मंदिरों में छह जुलाई तक शयन मुद्रा में लीन हैं। इस दौरान उनको केवल भगवान को दलिया, खिचड़ी और मूंग की दाल सहित हल्के खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जा रहा है। वैद्यराज भी मंदिर आकर भगवान की नाड़ी देखकर जड़ी-बूटियां दे रहे हैं। इसी के साथ भगवान छह जुलाई को पूर्ण रूप से स्वस्थ होंगे। सात जुलाई को भगवान जगन्नाथ भाई बलदाऊ व बहिन सुभद्रा के साथ सुसज्जित रथ में शहर का भ्रमण करेंगे। साथ ही अपने भक्तों को दर्शन देकर हालचाल जानेंगे।

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भगवान का बीमार होना परंपरा का हिस्सा

उड़ीसा के पुरी के जगन्नाथ स्वामी मंदिर के साथ देशभर के सभी जगन्नाथ स्वामी मंदिरों मे ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा से आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा तक भगवान जगन्नाथ स्वामी बीमार रहते हैं एवं आषाढ़ शुक्ल द्वितीया रथ दोज को भगवान अपने भाई बलभद्र बहिन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर भ्रमण के लिए निकलकर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं, इसके पीछे एक कथा है। जगदीश स्वामी मंदिर के पुजारी पंडित नर्मदा प्रसाद गर्ग ने बताया कि भगवान का बीमार होना यह सब परंपरा का हिस्सा है, जिसे पुरातन काल से निभाया जा रहा है। पुजारी ने कथा सुनाते हुए कहा कि उड़ीसा प्रांत के जगन्नाथ पुरी में माधवदास नामक भगवान के परम भक्त रहते थे। एक बार माधवदास को अतिसार का रोग हो गया। वह इतने दुर्बल हो गए कि उठ-बैठ नहीं पा रहे थे, पर जब तक इनसे बना तब तक ये अपना कार्य स्वयं करते थे और सेवा किसी से लेते भी नहीं थे। तब श्री जगनाथ जी स्वयं सेवक बनकर इनके पर पहुंचे और माधव दास की सेवा करने लगे। जब माधवदास जी को होश आया, तब उन्होंने तुरंत पहचान लिया की यह तो मेरे प्रभु ही हैं।

रथों को नई पेंटिंग कर सजाया जा रहा है

भगवान जगनाथ स्वामी अभी बीमार हैं, लेकिन उनकी रथयात्रा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। शहर के दो मंदिरों से भगवान की रथयात्रा निकाली जाती है। जिसमें पुरैना तालाब के पास स्थित भगवान जगदीश स्वामी मंदिर से एवं दूसरी हनुमानगढ़ी मंदिर से निकलती है। यात्रा के पूर्व रथों को नई पेंटिंग करके सजाया जा रहा है। इसके अलावा अन्य तैयारियां भी शुरू हो गई हैं।

भगवान जगन्नाथ स्वामी