घाटे का business park : टेंडर के मनमाने खेल में कामयाब रहा MPHIDB

विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बोर्ड ने टीटी नगर में 1 लाख 90 हजार वर्गफीट एरिया में 11 मंजिला कमर्शियल काम्प्लेक्स का प्रोजेक्ट तैयार कराया था। 140 करोड़ की अनुमानित लागत वाले इस प्रोजेक्ट में घाटा हुआ तो कौन होगा जिम्मेदार... 

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Jitendra Shrivastava
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संजय शर्मा, BHOPAL. घाटे के प्रोजेक्ट लाने वाला मप्र हाउसिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड फिर अपनी मनमानी में कामयाब हो गया है। 1 लाख 90 हजार वर्ग फीट में प्रस्तावित टीटी नगर बिजनेस पार्क ( business park ) की बिल्डिंग परमिशन और रेरा पंजीयन बिना ही टेंडर पास कर दिया गया है। टेक्निकल और फाइनेंशियल बिड के बाद इंदौर की अपेक्स स्ट्रक्चर कंपनी को काम दे दिया गया है। हाई वैल्यू  टेंडर से अपनी जेब भरने वालों ने इस बार फिर विभाग के प्रमुख सचिव को भी अंधेरे में रखा। जबकि दिसंबर में हुई बोर्ड मीटिंग में 276 करोड़ के इस कमर्शियल काम्प्लेक्स प्रोजेक्ट को MPHIDB कैसे बेचेगा के सवाल पर रोक दिया गया था।  

कहीं MPHIDB करोड़ों का घाटा न करा दे बिजनेस पार्क  

MPHIDB पिछले दो सालों से अपने प्रोजेक्ट को लेकर शिकवे-शिकायतों के बीच घिरा रहता है। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बोर्ड ने टीटी नगर में 1 लाख 90 हजार वर्गफीट एरिया में 11 मंजिला कमर्शियल काम्प्लेक्स का प्रोजेक्ट तैयार कराया था। बिजनेस पार्क के नाम से प्रस्तावित इस प्रोजेक्ट में कंपनियों के लिए बड़े ऑफिस, फूड कोर्ट और अन्य सुविधाएं देने का दावा किया जा रहा है। प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 140 करोड़ रखी गई है। जबकि इसके लिए प्रशासकीय स्वीकृति 276 करोड़ की ली गई है। लेकिन पेंच भारी भरकम लागत के इस प्रोजेक्ट को बेचकर मुनाफा कमाने को लेकर है। इसका जवाब बोर्ड के अधिकारियों के पास अब तक नहीं है। 

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चल रहा हाई राइज value टेंडर में कमीशन वसूली का खेल

MPHIDB ऐसे ही बड़े बजट के प्रोजेक्ट बनाने पर पिछले दो सालों से काम कर रहा है। थर्ड पार्टी आर्किटेक्ट एजेंसी द्वारा इन प्रोजेक्ट को तैयार कराने के बदले में अधिकारियों को मोटा कमीशन मिलता है। फिर टेंडर पास करने के नाम पर कान्ट्रेक्टर्स से भी तगड़ा कमीशन वसूला जाता है। प्रोजेक्ट पास हो या फेल दोनों ही स्थिति में बोर्ड के ये अधिकारी अपनी जेबें भर लेते हैं, जबकि नुकसान बोर्ड के हिस्से में आता है। यानी जितना हाई वैल्यू प्रोजेक्ट का टेंडर उतना ज्यादा मुनाफा। बस इसी फायदे के लिए हाउसिंग बोर्ड धड़ाधड़ प्रोजेक्ट बनाकर टेंडर जारी कर रहा है। जबकि हकीकत यह है की इनमें से कई प्रोजेक्ट के लिए न तो रेरा से अनुमति नहीं ली गई और न बिल्डिंग परमिशन कराई गई है। इससे साफ है की अधिकारी ही बोर्ड और विभाग के नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। जबकि इस खेल से सेल्फ फाइनेन्स्ड संस्था MPHIDB को फिर करोड़ों का घाटा लगने का अंदेशा है, लेकिन बोर्ड में घाटे के लिए अधिकारी पर जिम्मेदारी तय करने का सिस्टम ही नहीं है। 

विभाग के PS से जानकारी छिपाकर पास कराया टेंडर 

MPHIDB ने बिजनेस पार्क के लिए अक्टूबर 2023 में टेंडर जारी किया था। टेंडर की टेक्निकल बिड में बंसल कंस्ट्रक्शन, अपेक्स स्ट्रक्चर, SKG इंफ्राटेक, VVC रियल इंफ्रा, लक्ष्मी सिविल इंजीनियरिंग और LCC प्रोजेक्ट्स कंपनियां शॉर्टलिस्ट की गईं। जबकि फाईनेंशियल बिड में निर्माण लागत पर सबसे कम परसेंट रेट होने से अपेक्स कंपनी का चयन किया गया। यह वही हाई वैल्यू प्रोजेक्ट है जिसकी मार्केट डिमांड और बेचने की योजना न होने पर पीएस ने रोक दिया था। UDHD पीएस की आपत्ति के बाद भी बोर्ड के अधिकारियों ने मनमानी नहीं छोड़ी। तीन माह बाद 14 मार्च को कमिश्नर-एडिशनल कमिश्नर ने बोर्ड मीटिंग बुलाकर प्रक्रिया शुरू कर दी। बोर्ड के अफसरों ने इस बार पीएस से फिर से जानकारी छिपाई और स्वीकृति मिलते ही टेंडर अप्रूव और जारी कर दिया। और अब तो साइट पर काम भी शुरू होने वाला है।

MPHIDB business park