OBC आरक्षण पर सर्वदलीय बैठक के बाद सभी राजनीतिक दल एक मत, जानें किस नेता ने क्या कहा

OBC आरक्षण पर सर्वदलीय बैठक हुई। इसमें सभी दलों ने सहमति जताई। वहीं कांग्रेस और भाजपा के बीच श्रेय लेने की लड़ाई और बीजेपी की योजनाओं को लेकर सवाल उठे हैं।

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Amresh Kushwaha
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सभी राजनीतिक दलों में ओबीसी (Other Backward Classes) आरक्षण को लेकर एक साझा राय बन गई है। लेकिन इसके बाद भी राजनीतिक दलों के बीच श्रेय की लड़ाई छिड़ गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के जरिए आज ( 28 अगस्त) सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक के बाद, अब यह सवाल उठने लगे हैं कि इस फैसले का श्रेय किसे मिले। कांग्रेस ने इसे अपनी जीत बताया, जबकि बीजेपी ने इसे सरकार का कार्य बताया, जो पहले से ही इसके पक्ष में थी।

ओबीसी आरक्षण पर सभी दल एकमत

सर्वदलीय बैठक में प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने कहा, हम सभी इस बात पर सहमत हैं कि ओबीसी आरक्षण से जुड़ी याचिका को सुप्रीम कोर्ट में शीघ्र हल किया जाए। हम चाहते हैं कि इस फैसले का लाभ बच्चों को आयु सीमा समाप्त होने से पहले मिल सके। उनके अनुसार, ओबीसी आरक्षण का 14 प्रतिशत हिस्सा मंजूर हो चुका है, जबकि 13 प्रतिशत हिस्सा अभी भी विचाराधीन है।

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कांग्रेस की ओबीसी आरक्षण पर बड़ी जीत- सिंघार

कांग्रेस ने सर्वदलीय बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, सांसद अशोक सिंह, कमलेश्वर पटेल मौजूद रहें।

इसमें नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने यह दावा किया कि कांग्रेस पार्टी ने लगातार संघर्ष और मांग के बाद भाजपा के जरिए ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर सहमति व्यक्त करने का स्वागत किया है। कांग्रेस सरकार ने 6 साल पहले ही 27% ओबीसी आरक्षण के लिए मजबूत नींव रखी थी, जबकि भाजपा सरकार अब उसी मुद्दे पर काम कर रही है। कमलनाथ जी की सरकार ने ओबीसी आरक्षण पर अध्यादेश लाकर और कानून पास करके अपनी प्रतिबद्धता साबित की थी, और कांग्रेस आज भी उसी संकल्प पर अडिग है। साथ ही सिंघार ने कहा कि देर आए-दुरुस्त आए।

कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि हमने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि शीघ्र ही 27% ओबीसी आरक्षण लागू कराया जाए और सरकार सुप्रीम कोर्ट में यह स्पष्ट हलफनामा प्रस्तुत करे कि इसमें कोई आपत्ति नहीं है, ताकि ओबीसी समाज को जल्द से जल्द उनका अधिकार और न्याय मिल सके।

कांग्रेस पार्टी लेकर आई थी आरक्षण

मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, जितेंद्र (जीतू) पटवारी ने कहा, मुख्यमंत्री ने सर्वदलीय बैठक बुलाई। इसमें OBC आरक्षण से जुड़ी कानूनी अड़चनों पर चर्चा की गई। कांग्रेस पार्टी ने इस आरक्षण के लिए जो कदम उठाए थे, उस पर बात की गई। कानूनी दृष्टिकोण से कई विकल्प हैं, और यदि कोई ऐसा रास्ता निकाला जाता है जिससे OBC आरक्षण को जल्दी लागू किया जा सके, तो यह एक सकारात्मक कदम होगा। सर्वदलीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि कानून को लागू किया जाना चाहिए और जिन लोगों ने इसे 6 साल तक रोका, उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। इस विषय पर पार्टी की विचारधारा से ऊपर उठकर यह निर्णय लिया गया कि आरक्षण का लागू होना जरूरी है, जो स्वागत योग्य कदम है।

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हमें बुलाया है तो रास्ता भी निकलना चाहिए

आम आदमी पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष, रानी अग्रवाल ने कहा कि 27 प्रतिशत आरक्षण पहले ही प्रदेश में लागू हो चुका था। यह ओबीसी का अधिकार है, जो उन्हें मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों में बीजेपी सरकार है। यदि वह चाहें तो 27 प्रतिशत आरक्षण को तुरंत लागू किया जा सकता है। लेकिन वह इसे लटकाए हुए हैं। आप पार्टी आरक्षण के पक्ष में है और उन्होंने यह भी कहा कि सर्वदलीय बैठक में हमें केवल नाममात्र के लिए न बुलाएं। यदि हमें बुलाया गया है, तो आरक्षण के रास्ते पर कार्रवाई होनी चाहिए।

सीएम डंके की चोट पर आरक्षण देंगे, तो देते क्यों नहीं?

समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव ने कहा कि पिछड़े वर्ग को उनकी आबादी के हिसाब से 52 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए, लेकिन सरकार केवल 14 प्रतिशत दे रही है। उन्होंने 13 प्रतिशत होल्ड आरक्षण को तत्काल प्रभाव से लागू करने की मांग की और कहा कि जिला तथा हाईकोर्ट में सरकारी वकीलों की नियुक्ति में भी पिछड़े वर्ग को आरक्षण मिलना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने जिलेवार रोस्टर लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि यदि वे डंके की चोट पर आरक्षण देने की बात कर रहे हैं, तो फिर इसे लागू क्यों नहीं किया जा रहा है?

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MPPSC ने सुप्रीम कोर्ट में दिया नया आवेदन

एमपीपीएससी ने बुधवार (27 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट में एक नई अर्जी दाखिल की। इसमें उन्होंने ओबीसी वर्ग के चयनित अभ्यर्थियों की पिटीशन को खारिज करने की मांग की। MPPSC ने कोर्ट से आग्रह किया कि जिन काउंटर एफिडेविट्स को दाखिल किया गया था, उन्हें वापस लिया जाए और नया एफिडेविट दाखिल करने की अनुमति दी जाए। इसके साथ ही, MPPSC ने अदालत से अनुरोध किया कि पुराने एफिडेविट को रिकॉर्ड से हटा कर संशोधित एफिडेविट (Annexure A1) को स्वीकार किया जाए।

27% OBC आरक्षण पर 6 साल से लगी रोक

वर्ष 2019 से लेकर 2025 तक, 27% ओबीसी आरक्षण का लाभ पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को नहीं मिल सका है। लाखों अभ्यर्थी पहले से चयनित हो चुके हैं, लेकिन कोर्ट में पेंडिंग पिटीशन्स के कारण उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दिए गए हैं। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कई बार स्पष्ट किया है कि इस मामले में कोई रोक नहीं है, और यदि राज्य सरकार चाहे तो नियुक्तियां कर सकती है।

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जानें ओबीसी आरक्षण पर वर्तमान स्थिति

2019 में, कमलनाथ सरकार ने ओबीसी के लिए आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% करने का फैसला लिया था। उनका तर्क था कि मध्यप्रदेश में ओबीसी की जनसंख्या लगभग 48% है, इसलिए 27% आरक्षण देना न्यायसंगत होगा। इसके बाद, सरकार ने विधानसभा में एक अध्यादेश पेश किया। इसमें 27% ओबीसी आरक्षण को लागू करने की बात की गई।

हालांकि, इस पर विभिन्न याचिकाएं दाखिल की गईं। इसमें कहा गया कि आरक्षण की कुल सीमा 50% से अधिक हो जाएगी, जो सुप्रीम कोर्ट के जरिए स्थापित सीमा (इंदिरा साहनी केस, 1992) का उल्लंघन है। मई 2020 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 27% ओबीसी आरक्षण पर स्टे (रोक) आदेश दे दिया। इससे MPPSC और शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया प्रभावित हुई।

जानें MPPSC की अर्जी में क्या कहा गया?

MPPSC ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी में कहा कि दाखिल किए गए हलफनामे में कुछ त्रुटियां थीं। इन्हें सुधारने की आवश्यकता है। इन त्रुटियों को सुधारकर एक नया एफिडेविट पेश करने की अनुमति मांगी गई है। उन्होंने इस त्रुटि के लिए माफी भी मांगी और अदालत से अनुरोध किया कि पुराने एफिडेविट को हटा कर नया एफिडेविट स्वीकार किया जाए।

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