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Photograph: (THESOOTR)
BHOPAL. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दो साल की उपलब्धियां गिनाईं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार में रोजगार का नामोनिशान नहीं था। वहीं, बीजेपी ने दो साल में 60 हजार पद भरे हैं। अलग-अलग विभागों में अलग-अलग भर्तियों के कितने पद अटके, कितने नौजवानों का भविष्य दांव पर लगा। इन सभी दावों की द सूत्र ने की पड़ताल। पढ़िए ये स्टोरी...
रोजगार-नौकरी के सरकारी दावों में कितना दम?
मध्य प्रदेश की मोहन सरकार 13 दिसंबर को अपने कार्यकाल के दो साल पूरे कर रही है। इस उपलक्ष्य में 12 दिसंबर को यानी आज मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में दो साल की उपलब्धियां गिनाईं। जैसे- हमने नक्सलवाद खत्म किया, नदी जोड़ो परियोजना आगे बढ़ाई, भोपाल गैस त्रासदी के कचरे का निष्पादन किया बगैरह बगैरह... इसी के साथ मुख्यमंत्री ने सरकारी नौकरियों और रोजगार का हिसाब किताब भी बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के राज में सूबे में रोजगार का नामोनिशान नहीं था, लेकिन हमारी सरकार ने 60 हजार पदों पर भर्तियां की हैं। इसी कड़ी में सीएम ने हेल्थ सेक्टर में बढ़ती डॉक्टरों की कमी को लेकर भी बड़ा बयान दिया।
सीएम मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में जिस तेजी से मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं। उस हिसाब से मैनपॉवर भी चाहिए, लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट मिल नहीं रहे हैं। लिहाजा, हमने तय किया है कि प्राइवेट सेक्टर से ज्यादा सैलरी देकर एक्सपर्ट डॉक्टर्स को सरकारी सेवाओं में आगे लाएंगे।
कुल जमा मुख्यमंत्री ने नौकरियों और रोजगार को लेकर बड़े-बड़े दावे किए हैं। इसी बहाने द सूत्र ने पड़ताल कर सूबे की मौजूदा स्थिति देखी जो बेहद निराशाजनक और चिंतनीय है।
हमारी पड़ताल में पता चला कि करीब 10 हजार पद कानूनी विवादों के चलते अटके हुए हैं। इनमें MPPSC और MPESB समेत दीगर भर्तियां भी शामिल हैं। आखिर सरकार के दावों में कितना दम है। अलग-अलग विभागों में अलग-अलग भर्तियों के कितने पद अटके हैं, कितने नौजवानों का भविष्य दांव पर लगा है।
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कांग्रेसी बस ट्विटर-ट्विटर खेलते हैं
कांग्रेसी कुछ करते-धरते नहीं हैं, ये बस ट्विटर-ट्विटर खेलते हैं। कांग्रेस सरकार में रोजगार का नामोनिशान नहीं था, लेकिन बीजेपी सरकार ने दो साल में 60 हजार पद भरे हैं। ये दावा है मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का जो उन्होंने अपनी सरकार की दो साल की उपलब्धियों की कड़ी में बयां किया।
मुख्यमंत्री ने ये भी बताया कि कृषि क्षेत्र में संचालित प्रोजेक्ट्स, इंडस्ट्रीज और इंवेस्टमेंट के जरिए भी नौजवानों के लिए रोजगार के ढेरों मौके उत्पन्न होंगे। अब ये तो हुए दावे। सवाल ये है कि इन दावों में आखिर कितना दम है। द सूत्र ने इसकी गहन पड़ताल की जिसमें पता चला कि सूबे में रोजगार और नौकरियों के हाल बेहाल हैं।
कानूनी विवादों के कारण करीब 10 हजार पद अटके हुए हैं। जिनमें MPPSC और MPESB समेत दीगर भर्तियां भी शामिल हैं। भविष्य की चिंता को लेकर प्रदेश के नौजवान आए दिन सड़कों समेत सरकारी दफ्तरों और मंत्री-विधायकों के बंगलों के बाहर नजर आते हैं, लेकिन उनकी मांगें आज तक अधूरी हैं और समस्याएं खत्म होने की बजाय लगातार बढ़ती जा रही हैं।
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दो बड़ी संस्थाओं की पड़ताल
इस दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने मध्य प्रदेश के सरकारी सिस्टम के लिए भर्तियां कराने वाली दो बड़ी संस्थाओं की पड़ताल की। पहली संस्था है मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग यानी MPPSC और दूसरी संस्था है मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल यानी MPESB। साथ ही हमने दीगर भर्तियों का भी लेखाजोखा निकाला। इसमें पता चला कि-
- कानूनी विवादों के फेर में MPPSC के कुल 913 पद फंसे हुए हैं। इनमें 2019 से 2023 तक की राज्य सेवा परीक्षा के 247, असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के 370 और इंजीनियर, Assistant District Prosecution Officer (ADPO) बगैरह के 296 पद शामिल हैं।
- इसी तरह MPESB के कुल 8150 पद होल्ड पर हैं, जिनमें शिक्षक भर्ती वर्ग-1,2,3 के 2880, आयुष विभाग भर्ती के 296, जेल प्रहरी के 250 और स्टाफ नर्स, ANM के 600 पद शामिल हैं।
यानी MPPSC और MPESB की भर्तियों के ही कुल 9063 पद अटके हुए हैं। इसके अलावा दीगर भर्तियां भी जोड़ लें ये आंकड़ा 10 हजार पार कर जाएगा।
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जबरन थोपा गया सरकारी फॉर्मूला
ओबीसी वेलफेयर एसोसिएशन के मुताबिक इसका सीधा असर सूबे के करीब एक लाख ओबीसी और इतने ही जनरल यानी करीब दो लाख उम्मीदवारों पर पड़ रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है सरकार और सरकारी सिस्टम का बेतुका 87-13 फीसदी फॉर्मूला, जो 27% ओबासी आरक्षण विवाद के बाद जबरन मध्य प्रदेश के नौजवानों पर थोपा गया है।
फिलहाल इसकी कानूनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है, जिसका हल बीते छह साल में दो दर्जन से ज्यादा बार सुनवाई के बाद भी नहीं निकल पाया और अब जनवरी 2026 में अंतिम सुनवाई के आसार जताए जा रहे हैं।
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ये युवाओं के सपनों पर डबल ब्रेक
दूसरी तरफ कई उम्मीदवार एक अदद सरकारी नौकरी की आस लगाए बैठे हैं। उनका कहना है कि 2023 में सत्ता संभालते ही बीजेपी की मोहन सरकार ने ऐलान किया था कि हर साल एक लाख सरकारी नौकरियां दी जाएंगी। 2025 भी बीतने को है, लेकिन 10 हजार पदों पर भी भर्तियां नहीं निकलीं। ये डबल इंजन नहीं, बल्कि युवाओं के सपनों पर डबल ब्रेक है।
इधर, दो साल की उपलब्धियां बताते बताते मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य क्षेत्र में बढ़ती डॉक्टरों की कमी को लेकर भी बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जिस तेज गति से मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं। उस हिसाब से हमें मैनपॉवर भी चाहिए, लेकिन हेल्थ सेक्टर में एक्सपर्ट नहीं मिलने की बड़ी चुनौती है।
लिहाजा हमने तय किया है कि प्राइवेट सेक्टर से ज्यादा वेतन देकर एक्सपर्ट डॉक्टर्स को सरकारी सेवाओं में आगे लाएंगे। साथ ही सीएम ने कृषि क्षेत्र में संचालित प्रोजेक्ट्स के जरिए भी नौजवानों को रोजगार के ढेरों मौके देने का दावा किया। अब आपको मुख्यमंत्री के उस दावे की जमीनी हकीकत बताते हैं। इसमें वो दो साल में 60 हजार पद भरने की बात कह रहे हैं।
द सूत्र की पड़ताल में पता चला कि सूबे में मोहन यादव की सरकार बनने के बाद ESB ने करीब 15 सरकारी भर्तियां निकाली हैं। इनमें कुल पदों की संख्या है 34506...
- समूह 3 उपयंत्री, सहायक मानचित्रकार, तकनीशियन और समकक्ष पदों की संयुक्त भर्ती 2024, पद : 283
- आईटीआई प्रशिक्षक भर्ती परीक्षा 2024, पद : 450
- प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2025, पद : 10150
- समूह 5 नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ और समकक्ष पदों पर संयुक्त भर्ती परीक्षा 2024, पद : 1170
- महिला एवं बाल विकास विभाग पर्यवेक्षक भर्ती परीक्षा 2024, पद : 660
- माध्यमिक एवं प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2024, पद : 10554
- समूह 4 सहायक ग्रेड 3, स्टेनोटाइपिस्ट, शीघ्र लेखक और समकक्ष पदों की भर्ती 2024, पद : 956
- आबकारी आरक्षक भर्ती 2024, पद : 253
- समूह 1 उद्यान विकास, उद्यान विस्तार और गुणवत्ता नियंत्रक संयुक्त भर्ती 2024, पद : 326
- समूह 1 उपसमूह 3 संयुक्त भर्ती परीक्षा 2024, पद : 319
- पैरामेडिकल, फार्मासिस्ट, फिजियोथैरेपिस्ट, काउंसलर और समकक्ष पदों पर भर्ती 2025, पद : 752
- समूह 2 उपसमूह 3 संयुक्त भर्ती 2025, पद : 452
- पुलिस आरक्षक भर्ती 2025, पद : 7500
- पुलिस सूबेदार-एएसआई भर्ती 2025, पद : 500
- पुलिस सूबेदार-एसआई भर्ती 2025, पद : 500
इसी तरह MPPSC ने 2024 और 2025 में कुल 5581 पदों पर भर्ती के लिए 71 विज्ञापन जारी किए हैं। वहीं, 1479 पदों पर नियुक्ति के लिए सरकार से सिफारिश की है।
ये आंकड़े हाल ही में आयोग के चेयरमैन समेत बाकी पदाधिकारियों ने 68वें वार्षिक प्रतिवेदन के तौर पर राज्यपाल मंगूभाई पटेल को सौंपे हैं।
34506 + 1479 = 35985
अब आप ही अंदाजा लगा लीजिए कि दो साल में सरकार ने किस हिसाब से 60 हजार पद भरे हैं। बहरहाल, देखना बस यही होगा कि अगले तीन साल में मोहन सरकार कानूनी विवादों में फंसे करीब 10 हजार पदों को कैसे अनहोल्ड करवाती है और अलग-अलग विभागों में खाली पड़े हजारों पदों को कैसे भरती है।
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