विवादों में एएसआई भर्ती, उम्र सीमा में छूट न मिलने से करीब 3 लाख अभ्यर्थी अपात्र

एमपी में 8 साल के बाद हुई एएसआई भर्ती में उम्र सीमा में छूट नहीं मिलने पर युवाओं में गहरा असंतोष है। अब इस पूरे मामले को लेकर चर्चा शुरू हो गई है।

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Dablu Kumar
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मध्यप्रदेश में पिछले 8 सालों के बाद असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (ASI) की भर्ती का आयोजन हुआ, लेकिन इस भर्ती ने युवाओं को एक और निराशा दी है।  कोविड के बाद पहली बार हो रही इस भर्ती में आयु सीमा में तीन साल की छूट का प्रावधान नहीं रखा गया है, जिससे करीब 3 लाख अभ्यर्थी अपात्र हो गए हैं।

कोविड के कारण पिछले दो वर्षों से भर्ती परीक्षाएं नहीं हो पाई थीं। इस बीच, 2022 में राज्य सरकार ने आदेश जारी किया था कि कोविड के बाद जो भी भर्ती होगी, उसमें आयु सीमा में तीन वर्ष की छूट दी जाएगी। इसका पालन करते हुए पुलिस कांस्टेबल 2023, जेल पुलिस, वनरक्षक और मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की भर्ती में आयु सीमा में छूट दी गई थी, लेकिन एएसआई भर्ती में इस नियम का पालन नहीं किया गया, जिससे अभ्यर्थियों में असंतोष फैल गया है।

ASI भर्ती आयु सीमा में तीन साल की छूट नहीं

हाल ही में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (अनुसचिवीय) की भर्ती में आयु सीमा में तीन साल की छूट नहीं दी गई, जबकि पिछली भर्ती 2017 में आयोजित हुई थी। अभ्यर्थी राज पांडेय ने बताया कि जो अभ्यर्थी 2017 में 25 वर्ष का था, वह अब 33 वर्ष का हो चुका है। उनका कहना है कि ऐसे में आयु सीमा में छूट मिलनी चाहिए थी।

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यूपी-बिहार और रेलवे में मिली छूट

सामान्य प्रशासन विभाग के अनुसार, कोविड के बाद पहली बार जारी होने वाली सभी भर्तियों में तीन साल की आयु छूट का प्रावधान किया गया था। हाल ही में केंद्र सरकार ने रेलवे भर्ती में भी तीन साल की छूट देने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश और बिहार में भी कोविड-19 के बाद जिन भर्तियों का आयोजन किया गया, उनमें तीन साल की छूट प्रदान की गई।

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किस पर पड़ेगा असर

मध्यप्रदेश में पहले कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) की परीक्षा के लिए अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों को राज्य के रोजगार कार्यालय में पंजीयन की शर्त अनिवार्य थी। हाल ही में इस शर्त को हटा दिया गया है, जिसका सीधा असर राज्य के अभ्यर्थियों पर पड़ेगा। अब चाहे मध्यप्रदेश के छात्र हों या बाहरी, सभी के साथ समान व्यवहार किया जाएगा।

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दूसरे राज्यों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता

कई राज्यों में भर्ती परीक्षाओं के नियम और सिलेबस इस प्रकार होते हैं कि स्थानीय लोगों को प्राथमिकता मिलती है। इन परीक्षाओं में सामान्य ज्ञान से संबंधित सवाल अक्सर उस राज्य की जानकारी से जुड़े होते हैं। इसे आप उदाहरण के तौर पर समझें। महाराष्ट्र में सरकारी नौकरियों के लिए मराठी भाषा का ज्ञान अनिवार्य होता है और कई भर्ती परीक्षाओं में तो मराठी भाषा का एक अलग पेपर पास करना जरूरी होता है। 

वहीं, उत्तर प्रदेश में सामान्य ज्ञान के प्रश्न अधिकतर राज्य से जुड़े होते हैं और एससी/एसटी/ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण केवल यूपी के स्थायी निवासियों को मिलता है।

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साथ ही, राजस्थान में कुछ भर्तियों में राजस्थानी संस्कृति और भाषा से संबंधित सवाल पूछे जाते हैं। छत्तीसगढ़ में अनुसूचित क्षेत्रों की भर्तियों में स्थानीय आदिवासियों के लिए 50% तक आरक्षण दिया जाता है और कई भर्तियों में स्थानीय भाषाओं जैसे छत्तीसगढ़ी, हलबी या गोंडी का ज्ञान अनिवार्य होता है। इसके अलावा गुजरात में अधिकांश भर्ती परीक्षाओं में गुजराती भाषा का पेपर अनिवार्य होता है।

ईएसबी संचाल का क्या कहना

ईएसबी संचालक साकेत मालवीय ने कहा कि यह पॉलिसी मैटर, हम कुछ नहीं कर सकते। यह पॉलिसी मेटर है। ईएसबी तो ​सिर्फ परीक्षा आयोजित करती है। आयु के अलावा अन्य तरह की छूट संबंधित विभाग या शासन स्तर पर निर्धारित होती है। इस बारे में वही निर्णय ले सकते हैं। 

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