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Photograph: (the sootr)
BHOPAL.मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र 5 दिसंबर को समाप्त हो गया। इस सत्र के अंतिम दिन एक अजीब घटना घटी। सरकार से सवाल पूछने वाले विधायक ही सदन से गायब थे। सरकार की ओर से मंत्री और अधिकारी पूरी तैयारी से मौजूद थे, लेकिन सवाल उठाने वाले विधायक नदारद थे।
दरअसल, ये सभी विधायक शादियों के मौसम में बाराती बनकर निकल गए थे। पूरे सदन में सवाल पूछने वाला कोई नहीं था। यह घटना विधानसभा के इतिहास में शायद पहली बार हुई। सदन बिना किसी सवाल के स्थगित कर दिया गया।
जवाब देने वाले तैयार, पूछने वाला गायब
सत्र के अंतिम दिन कुल चौदह विधायक सदन से अनुपस्थित थे। गायब विधायकों में बीजेपी, कांग्रेस और एकमात्र भारत आदिवासी पार्टी के विधायक शामिल थे। ये वे विधायक थे जिनके सवाल प्रश्नकाल की सूची में लगे हुए थे। यानी जिनके सवाल पर चर्चा होनी थी, लेकिन जब उनके सवालों को पुकारा गया, तो सवाल लगाने वाला ही सदन में नहीं था। विधायकों की अनुपस्थिति के कारण सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना पड़ा।
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शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन के घटनाक्रम को ऐसे समझें. विधायक नदारद, सत्र स्थगित: शादी के मौसम के कारण कई विधायक सदन से अनुपस्थित रहे, जिससे अंतिम दिन का प्रश्नकाल रद्द कर दिया गया। 2. खाली रह गई बेंचें: मंत्री जवाब के साथ तैयार थे, पर सवाल पूछने वाले चौदह विधायकों की बेंचें खाली दिखीं। 3. बाराती बने जनप्रतिनिधि: जनप्रतिनिधि होने के बावजूद, विधायक अपने दायित्व से ज़्यादा सामाजिक व्यस्तताओं में उलझ गए। 4. मुहूर्त पर मंत्री का कटाक्ष: संसदीय मंत्री ने अगली बार सत्र की तारीखें तय करते समय शादियों का सीजन का ध्यान रखने का सुझाव दिया। 5. जवाबदेही पर उठे सवाल: इस घटना ने लोकतंत्र में जनता की जवाबदेही और विधायकों की प्राथमिकताओं पर गंभीर बहस छेड़ दी है। |
अगली बार 'शादी के मुहूर्त' का रखें ध्यान
स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर ने खाली विपक्ष की बेंचों को देखा, तो सदन में चुप्पी छा गई। उन्होंने एक-एक करके अनुपस्थित विधायकों के नाम जोर से पढ़कर सुनाए। लेकिन कोई नहीं आया।
इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय खड़े हुए और हल्की-सी मुस्कराहट के साथ बोले। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि अगली बार विधानसभा सत्र की तारीख शादी-विवाह के मुहूर्त को ध्यान में रखकर तय की जाए। संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि-
बहुत सारे विधायक यह कहकर गए हैं कि उनके परिवार में शादी है। इसलिए अगली बार हम ध्यान रखेंगे कि उस समय ज्यादा शादियां न हों। क्योंकि जनप्रतिनिधि होने के नाते सभी को वहां जाना पड़ता है। यह बयान सदन में हंसी का माहौल पैदा कर गया।
गायब विधायकों की लंबी सूची और प्रश्न
विपक्ष के जिन विधायकों के प्रश्न क्रमांक 14 से 18 और 20 से 25 तक लगे थे, वे सभी अनुपस्थित थे। प्रश्न 2, 7 और 11 के विधायक भी अपनी सीट पर नहीं थे। हर मंत्री, हर अफसर मौजूद था, लेकिन सवाल करने वाले 'बाराती' बनकर निकल गए थे।
अंतिम दिन शादियों में व्यस्तता के चलते अनुपस्थित रहने वालों में विधायक कुंवर सिंह टेकाम, राजेंद्र भारती, नरेंद्र सिंह कुशवाहा, धीरेंद्र बहादुर सिंह, सतीश मालवीय, अरविंद पटेरिया, राजेश शुक्ला, भैरव सिंह बापू, मुकेश मल्होत्रा, वीरेंद्र सिंह लोधी, आतिफ अकील, भूपेंद्र सिंह और जितेंद्र बहादुर सिंह राठौड़ शामिल थे। सचिन यादव ने अपने सवाल के लिए रजनीश सिंह को अधिकृत किया, जो एक अपवाद रहा।
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शादियां जरूरी या लोकतंत्र की जिम्मेदारी?
इस घटनाक्रम ने यह सवाल उठाया है कि क्या चुने हुए जनप्रतिनिधियों की प्राथमिकताएं वाकई सही हैं। विपक्ष और आलोचकों का कहना है कि सदन में प्रश्नकाल महत्वपूर्ण होता है। यहां जनसमस्याओं का समाधान मिलता है। शादियों के लिए सदस्याें ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
इस घटना के समर्थकों का कहना है कि शादी का मौसम चल रहा है। जनप्रतिनिधियों से अपेक्षाएं होती हैं कि वे अपने क्षेत्र में हो रहे विवाह समारोहों में शामिल हों।
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