विधानसभा में मंत्री विजय शाह की गैरहाजिरी पर बवाल, विपक्ष ने पूछा कहां हैं... अध्यक्ष को आना पड़ा बीच में

मध्यप्रदेश में विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है। इस बीच सत्र के दूसरे दिन मंत्री विजय शाह अनुपस्थित रहे। इसके बाद सदन में राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। क्या है पूरा मामला? चलिए जानते हैं...

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Sourabh Bhatnagar
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मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को एक बड़ी घटना घटी। मंत्री विजय शाह सत्र में अनुपस्थित रहे, जिससे राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। विपक्ष ने सवाल उठाए कि मंत्री कहां हैं और क्या उन्हें बचाया जा रहा है। विपक्ष ने कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी मामले में मंत्री को बर्खास्त करने की मांग भी की। इस लेख में हम घटनाक्रम और राजनीतिक प्रतिक्रियाओं को विस्तार से देखेंगे।

सदन से गैरहाजिर रहे मंत्री विजय शाह

मंत्री विजय शाह, जो विधानसभा में महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जिम्मेदार हैं, मंगलवार को सत्र में अनुपस्थित रहे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शाह को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति के लिए सदस्य चुनाव प्रस्ताव को पेश करना था। हालांकि, उनकी अनुपस्थिति में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने यह प्रस्ताव पढ़ा।

विपक्ष का विरोध

प्रस्ताव पढ़े जाने के दौरान कांग्रेस नेता सोहनलाल बाल्मीकि ने आपत्ति दर्ज कराई। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और अन्य सदस्य भी खड़े हो गए और विरोध जताया। विपक्ष ने सवाल उठाया कि मंत्री शाह सत्र में क्यों नहीं आए और इस मुद्दे पर पारदर्शिता की मांग की।

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अध्यक्ष को बीच में आना पड़ा

विपक्ष के विरोध को बढ़ते देख अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने सभी सदस्यों से शांति बनाए रखने की अपील की और कार्यवाही को बिना किसी और विघ्न के जारी रखने का आग्रह किया। अध्यक्ष का यह कदम सत्र की स्थिति को शांत रखने में महत्वपूर्ण साबित हुआ।

सरकार का बचाव

विपक्ष द्वारा मंत्री के खिलाफ की जा रही मांगों के जवाब में सत्ताधारी पक्ष ने अपने बचाव में यह सवाल उठाया कि एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाने वाले लोग अब देशभक्ति की बात कर रहे हैं। एक सदस्य ने तो यहां तक कहा कि यह "100 चूहे खाकर बिल्ली हज को चली" जैसा बयान है, जिससे विपक्ष की आलोचना को कमजोर करने की कोशिश की गई।

राजनीतिक माहौल काफी गर्म हो गया

मध्यप्रदेश विधानसभा में घटनाओं के बाद राजनीतिक माहौल काफी गर्म हो गया। मंत्री विजय शाह की अनुपस्थिति और अन्य मंत्री द्वारा की गई विवादित टिप्पणी ने एक गंभीर राजनीतिक बहस को जन्म दिया। विपक्ष ने जवाबदेही की मांग की, और यह सवाल उठाया कि क्यों कुछ मंत्रियों को कार्रवाई से बचाया जा रहा है जबकि अन्य को कड़ी सजा मिलती है।

जवाबदेही की मांग

सभी राजनीतिक पक्षों के बीच केंद्रीय मुद्दा जवाबदेही बना। विपक्ष ने यह पूछा कि सरकार उन मंत्रियों पर कार्रवाई क्यों नहीं करती जो असंवैधानिक या अपमानजनक टिप्पणियां करते हैं। इसके साथ ही, यह भी सवाल उठाया गया कि क्यों कुछ मंत्रियों को बचाया जा रहा है।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री विजय शाह को फटकारा

सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री विजय शाह को ऑनलाइन माफी पर कड़ी फटकार लगाई है। यह माफी ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग करने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ की गई थी। सोमवार को जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने मामले की सुनवाई की थी।

कोर्ट ने शाह की सार्वजनिक माफी को निष्ठाहीन बताया और खारिज कर दिया था। शाह ने अपने माफीनामे में जनभावनाओं को ठेस पहुंचाने की बात स्वीकार नहीं की। जस्टिस सूर्यकांत ने शाह से आत्मचिंतन करने और अपनी गलती की सजा समझने को कहा। उन्होंने यह भी सवाल किया कि शाह की सार्वजनिक माफी कहां है और कहा कि वह कोर्ट के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं।

कोर्ट ने कहा- आपकी वह सार्वजनिक माफी कहां है? जांच के नाम पर क्या किया गया? इस तरह के माफ़ी का क्या मतलब है? यह आदमी हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहा है... कोर्ट ने आगे कहा-  इससे उनके इरादे जाहिर होते हैं। इससे हमें उनकी ईमानदारी पर और शक होता है। उनका बयान दर्ज करने की क्या जरूरत है? जिन लोगों को प्रताड़ित किया गया है, उनके बयान दर्ज होने चाहिए थे।

ये है मंत्री विजय शाह का पूरा विवादास्पद बयान

विवाद की शुरुआत 11 मई को हुई, जब विजय शाह ने इंदौर के महू में रायकुंडा गांव में आयोजित हलमा कार्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर पर बयान दिया। शाह ने कहा था, उन्होंने (आतंकियों) कपड़े उतार-उतार कर हमारे हिंदुओं को मारा (पहलगाम हमले की बात करते हुए)। मोदी जी ने उनकी बहन को ही उनकी ऐसी की तैसी करने उनके घर भेजा।

शाह ने आगे कहा था- अब मोदी जी कपड़े तो उतार नहीं सकते। इसलिए उनकी समाज की बहन को भेजा, कि तुमने हमारी बहनों को विधवा किया है, तो तुम्हारे समाज की बहन आकर तुम्हें नंगा करके छोड़ेगी।

शाह के इस बयान ने पूरे देश में हंगामा मचाया। यह टिप्पणी राष्ट्रहित और संवेदनशील मुद्दों से जुड़ी हुई थी, जिसके कारण उनकी कड़ी आलोचना की गई।

 

टाइमलाइन से समझें विजय शाह का पूरा मामला

  • 11 मई 2025 को विजय शाह ने इंदौर के महू में आयोजित हलमा कार्यक्रम में कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादास्पद बयान दिया।

  • 13 मई को माफी मांगने के बाद भाजपा संगठन ने पकड़कर लाठियां मारी।

  • 14 मई को हाईकोर्ट ने सख्त निर्देश देते हुए मंत्री के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया।

  • 14 मई की रात 11 बजे इंदौर के मानपुर थाने में FIR दर्ज की गई।

  • 15 मई को हाईकोर्ट ने FIR की भाषा पर नाराजगी जताई।

  • 16 मई को हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।

  • 17 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अगली तारीख 19 मई दी गई।

  • 19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई की और विजय शाह को फटकार लगाई। कोर्ट ने SIT को जांच के आदेश दिए।

  • 19 मई को ही SIT का गठन हुआ, जिसमें सागर रेंज के तत्कालीन IG प्रमोद वर्मा, तत्कालीन SAF DIG कल्याण चक्रवर्ती और डिंडोरी SP वाहिनी सिंह शामिल थे।

  • 20 मई को SIT ने जांच शुरू की और इंदौर के बाणगंगा थाना क्षेत्र में अपना बेस कैम्प स्थापित किया।

  • 21 मई को SIT की टीम महू के रायकुंडा गांव पहुंची, जहां विजय शाह ने अपना बयान दिया था।

  • 28 मई को कई लोगों के बयान दर्ज करने के बाद SIT ने दस्तावेज तैयार कर इन्हें कोर्ट के सामने पेश किया।

  • 19 जुलाई को SIT ने विजय शाह को जबलपुर बुलाकर उनसे बयान दर्ज किया और 25 मिनट तक सवाल-जवाब किए।

  • 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई की और शाह को फटकारा। अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी।

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