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मध्यप्रदेश के निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स में एक गंभीर तकनीकी खामी सामने आई है। इसने राज्यभर में हलचल मचा दी है। प्रदेश के लगभग 355 प्रोजेक्ट्स फिलहाल रोक दिए गए हैं। इनमें फ्लाईओवर, आरओबी (रेलवे ओवरब्रिज), और एलिवेटेड कॉरिडोर (elevated corridor) शामिल हैं। इन प्रोजेक्ट्स की डिजाइन में ऐसी खामियां पाई गई हैं जो सुरक्षा और संरचनात्मक मानकों पर सवाल उठाती हैं।
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विवाद का कारण बना 90 डिग्री वाला आरओबी
भोपाल के ऐशबाग क्षेत्र में बनाए गए एक आरओबी में डिजाइन की खामी ने बड़ा विवाद खड़ा किया। इस आरओबी में 90 डिग्री मोड का निर्माण किया गया था, जो वाहनों के लिए खतरा साबित हुआ। ब्रिज के निर्माण के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसका उद्घाटन करने से इनकार कर दिया। इससे राज्य सरकार को मजबूरन पूरे राज्य के प्रोजेक्ट्स की डिजाइन की पुनः जांच करने का निर्णय लेना पड़ा।
राज्यभर में जांच का आदेश
इस विवाद के बाद, लोक निर्माण विभाग (PWD) ने राज्यभर में सभी निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स की जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग (GAD) की पुनः जांच शुरू कर दी। उच्चस्तरीय कमेटी की नियुक्ति की गई है, जो इन प्रोजेक्ट्स की डिजाइन, अलाइनमेंट, और अन्य संरचनात्मक खामियों की जांच करेगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी प्रोजेक्ट्स भारतीय सड़क कांग्रेस (IRC) के मानकों के अनुरूप हों। यह फैसला चीफ इंजीनियर ब्रिज पीसी वर्मा ने लिया है। उनके इस फैसले के बाद इन सभी प्रोजेक्ट्स पर काम बंद हो गया।
MP के 355 प्रोजेक्ट पर लगी रोक को एक नजर में समझें...
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परियोजनाओं में देरी से राज्य की अर्थव्यवस्था पर असर
इन जांचों के कारण अब 355 परियोजनाओं का काम कम से कम 15 दिन से लेकर 6 महीने तक के लिए रुकेगा। इनमें 250 बड़े पुल, करीब 100 रेलवे ओवरब्रिज और शहरों के बीच 5 एलिवेटेड कॉरिडोर शामिल हैं। इस दौरान ठेकेदारों को वित्तीय नुकसान हो सकता है। उनकी भुगतान की स्थिति भी प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, परियोजनाओं में होने वाली देरी और अतिरिक्त लागत राज्य सरकार पर वित्तीय दबाव बढ़ा सकती है। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है।
होगी नई तकनीकी जांच प्रक्रिया
लोक निर्माण विभाग ने एक विशेषज्ञ इंजीनियरों की टीम बनाई है, जो प्रत्येक प्रोजेक्ट की जियोमैट्रिक स्ट्रक्चर, स्पीड कैलकुलेशन, और अन्य तकनीकी पहलुओं की जांच करेगी। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी कि प्रोजेक्ट्स ना सिर्फ मानकों के अनुरूप हों, बल्कि भविष्य में उनकी सफलता भी सुनिश्चित हो।
ठेकेदारों के लिए संभावित चुनौतियां
अब जिन प्रोजेक्ट्स की GAD में खामी मिलेगी, वहां काम रुकेगा। इससे ठेकेदारों को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ सकता है। साथ ही, वे विभाग पर क्लेम भी कर सकते हैं। इससे सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव भी आ सकता है, और यह स्थिति राज्य के निर्माण क्षेत्र में मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
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