एमपी बीजेपी में परिवारवाद पर बड़ा एक्शन, मंत्री-विधायकों के रिश्तेदारों के इस्तीफे, पीएम की चेतावनी का दिखा असर

एमपी बीजेपी ने परिवारवाद को खत्म करने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। पार्टी में अब नेताओं के परिवार के सदस्य को पद नहीं मिलने के संकेत साफ दिखाई दे रहे हैं।

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Dablu Kumar
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल पार्टी नेताओं को जोर देकर कहा था कि राजनीति में जमीदारी प्रथा को खत्म करना होगा और परिवारवाद की राजनीति का अब कोई स्थान नहीं है। लगता है, मोदी जी की ये बात अब जमीन पर उतरने लगी है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण बन रही है मध्यप्रदेश बीजेपी।

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने प्रधानमंत्री की इस बात पर अमल करते हुए प्रदेश के मंत्री-विधायकों के रिश्तेदारों से इस्तीफे लेना शुरू कर दिए हैं, ताकि पार्टी में पारदर्शिता बनी रहे।

अब, ये साफ होता नजर आ रहा है कि मध्यप्रदेश में बीजेपी परिवारवाद के खिलाफ अपनी राजनीतिक पंक्ति में नई दिशा देने के लिए पूरी तरह तैयार है।

गिरीश गौतम के बेटे और मंत्री संपतिया उइके की बेटी से लिया इस्तीफा

मध्य प्रदेश में अब बीजेपी नेताओं के परिवारों और रिश्तेदारों को पार्टी के प्रदेश और जिला संगठनों में अब पद मिलना मुश्किल होगा। अगर गलती से उन्हें पद दिया भी गया, तो पार्टी उनसे इस्तीफा ले लेगी। 

हाल ही में मऊगंज में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के बेटे से इस्तीफा लिया गया और इसके बाद पीएचई मंत्री संपतिया उइके की बेटी और पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की बहन को भी जिला कार्यकारिणी से हटा दिया गया।

पिछले 10 दिनों में बीजेपी ने जिन तीन बड़े नेताओं के परिवार के सदस्यों से इस्तीफा लिया है, उससे यह साफ है कि बीजेपी में परिवारवाद को खत्म करने की कोशिश हो रही है।

शॉर्ट में समझें पूरी खबर

  • मध्य प्रदेश बीजेपी ने पार्टी के नेताओं के परिवारों को संगठन में अब पद मिलना मुश्किल होगा और यदि किसी को गलती से पद दिया गया, तो इस्तीफा लिया जाएगा।

  • हाल ही में मऊगंज, मंडला और अन्य जिलों में बीजेपी के नेताओं के परिवारों से इस्तीफे लिए गए, जैसे गिरीश गौतम के बेटे, संपतिया उइके की बेटी और फग्गन सिंह कुलस्ते की बहन।

  • बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने नेताओं से उनके परिवार के सदस्यों को पार्टी से इस्तीफा देने पर सहमति बनाई और आगे भी परिवारवाद पर निगरानी रखने के संकेत दिए।

  • बीजेपी पार्टी में परिवारवाद को खत्म करने के लिए कदम उठा रही है और पार्टी के आम कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी जा रही है।

  • बीजेपी ने केवल 12 जिलों की कार्यकारिणी घोषित की है, जबकि कुछ नेता अपने परिवार के सदस्य को पद दिलाने के लिए दबाव बना रहे हैं, जिससे कार्यकारिणी की घोषणा में देरी हो रही है।

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बड़े नेताओं को भी दिया गया संकेत

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने इन नेताओं से बात करके उनके परिवार के सदस्यों को पार्टी से इस्तीफा देने पर सहमति बनाई है। यह साफ है कि खंडेलवाल आगे भी इस मामले पर नजर बनाए रखेंगे। यह नियम अब सत्ता से जुड़े राजनीतिक पदों पर भी लागू किया जा सकता है।

इन तीन इस्तीफों के बाद ग्वालियर, भोपाल, इंदौर और सागर जिलों के बड़े नेताओं को यह चुपके से संकेत दिया गया है कि वे अपने परिवार के सदस्यों को जिला कार्यकारिणी में शामिल कराने के लिए जिलाध्यक्ष और पर्यवेक्षकों पर दबाव न डालें। अगर ऐसा हुआ तो पार्टी उन नेताओं से इस्तीफा भी ले सकती है।

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जिलाध्यक्षों के चुनाव को 9 महीने पूरे

प्रदेश में जिलाध्यक्षों के चुनाव को 9 महीने हो चुके हैं, लेकिन पिछले 10 दिनों में पार्टी केवल 12 जिलों की कार्यकारिणी घोषित कर पाई है। बाकी 48 जिलों की कार्यकारिणी अब तक घोषित नहीं हुई है, जबकि पार्टी में कुल 60 जिलों की संगठनात्मक इकाइयां हैं।

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कार्यकारिणी घोषित करने में क्यों हो रही देरी

बीजेपी में कुछ नेता अपने परिवार के सदस्य जैसे बेटे और बेटियों को पार्टी में पद दिलाने के लिए जोर लगा रहे हैं। ग्वालियर में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप (रामू) तोमर और सागर में केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक की बेटी निवेदिता रत्नाकर को जिला महामंत्री बनाने के लिए काफी दबाव डाला जा रहा है। इसी तरह भोपाल और इंदौर में भी कई नेता अपने बेटों को पद दिलाने के लिए सक्रिय हैं। यही कारण है कि इन जिलों की कार्यकारिणी घोषित करने में देरी हो रही है।

भाजपा प्रदेश संगठन परिवारवाद के खिलाफ सख्त रवैया अपनाए हुए हैं। इससे पीछे बीजेपी की कोशिश है कि जमीन तैयार करने में खून-पसीना बहाने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं को मौका मिल सके। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने कोभी पार्टी में परिवारवाद विस्तार पर नियंत्रण करने कहा था। पार्टी लगातार आम कार्यकर्ताओं को अहमियत देने में लगी हुई है। 

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इन नेताओं ने दिया इस्तीफा

हाल ही में तीन नेताओं ने अपने पदों से इस्तीफा दिया है और इन इस्तीफों से यह साफ हो रहा है कि बीजेपी में परिवारवाद को लेकर कुछ बदलाव हो रहे हैं।

संपतिया उइके की बेटी ने दिया इस्तीफा

मंडला जिले में पीएचई मंत्री संपतिया उइके की बेटी श्रद्धा कवरेती को जिला मंत्री बनाया गया था, लेकिन उन्होंने 7 सितंबर को कार्यकारिणी घोषित होने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनका कहना था कि वह वर्तमान में टिकरवाड़ा ग्राम पंचायत की सरपंच हैं और केवल सामान्य कार्यकर्ता के रूप में ही जिम्मेदारी निभाना चाहती हैं।

फग्गन सिंह कुलस्ते की बहन ने दिया इस्तीफा

मंडला जिले की कार्यकारिणी में पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की बहन प्रिया धुर्वे को जिला उपाध्यक्ष बनाया गया था। हालांकि, उन्होंने पार्टी का आभार व्यक्त किया, लेकिन अपने सामाजिक कार्यों और पार्टी को पर्याप्त समय न दे पाने के कारण इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा 9 सितंबर को हुआ।

गिरीश गौतम के बेटे दे चुके हैं इस्तीफा 

मऊगंज जिले में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के बेटे राहुल गौतम को महामंत्री नियुक्त किया गया था। हालांकि, 2 सितंबर को राहुल ने इस्तीफा भेज दिया, जिसमें उन्होंने लिखा कि संगठन में पद कम हैं और निष्ठावान कार्यकर्ता ज्यादा हैं, इसलिए किसी अन्य कार्यकर्ता को यह पद दिया जाए।

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