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मध्यप्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री और वर्तमान में रायसेन जिले की भोजपुर विधानसभा के विधायक सुरेंद्र पटवा के खिलाफ निकले गिरफ्तारी वारंट के बाद आखिरकार वह गुरुवार को इंदौर की एमपी-एमएलए (MP-MLA) कोर्ट में पेश हुए। लेकिन इस दौरान कोर्ट ने उन्हें ऐसी फटकार लगाई कि वह पसीने-पसीने हो गए। आखिर में शाम को उनकी जमानत मंजूर हुई और राहत मिली।
कोर्ट ने इस तरह से पटवा को फटकारा
बैंकों से लिए लोन के बदले में दिए चेक के बाउंस मामले में पटवा विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (एमपी-एमएलए) देव कुमार की कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उनसे पूछा, आप इतने बड़े हो गए हैं कि टीआई को घर से भगाएंगे? उन्हें वारंट तामील करने से भी रोकेंगे? आपके खिलाफ 19 वारंट हैं, आप समझ रहे हैं?
फिर कोर्ट ने उनके वकील से पूछा, क्यों न इन्हें जेल भेज दिया जाए? इतने सुनते ही पटवा को पसीना आ गया और वह पसीने पोंछने लगे। उनके वकील ने कहा कि वह कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे। इस पर कोर्ट ने कहा, इनका पूरा शपथपत्र बनवाओ, जिसमें उनका पूरा पता, मोबाइल नंबर सभी जानकारी हो।
शाम तक कोर्ट में ही रहे
इस पूरे घटनाक्रम से कोर्ट की नाराजगी और पूरी प्रक्रिया को देखते हुए पटवा राहत मिलने तक शाम तक कोर्ट में ही रहे। उन्हें कोर्ट से बाहर जाने की इजाजत नहीं मिली। बाद में उनका जमानत बांड भरवाकर रिहा किया गया।
नोटबंदी, कोविड को बताया पटवा ने जिम्मेदार
इस मामले में बीजेपी विधायक सुरेंद्र पटवा ने मीडिया में कहा कि नोटबंदी और कोविड के कारण कारोबारियों को दिक्कत हुई है। हमारे द्वारा भुगतान किया गया है, अभी भी करेंगे। इस मामले में हाईकोर्ट से स्टे हुआ है। कोर्ट के आदेशों का पालन करेंगे।
पटवा की एफआईआर क्वैश नहीं हुई है
इसके पहले पटवा ने हाईकोर्ट में केस लगाया था। यहां पर बैंकों को आरबीआई की नई गाइडलाइन के तहत लोन डिफाल्टर प्रक्रिया करने के लिए कहा गया था, लेकिन एफआईआर क्वैश नहीं की गई है। इस मामले में सुरेंद्र पटवा को जुलाई 2023 में बड़ी राहत तब मिली थी जब हाईकोर्ट बेंच ने पटवा की याचिका पर फैसला करते हुए एफआईआर को क्वैश कर दिया था।
लेकिन फिर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई और सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2025 को अपने आदेश में हाईकोर्ट के एफआईआर क्वैश के आदेश को दरकिनार कर दिया और आरबीआई की नई गाइडलाइन के तहत फिर से विचार के लिए हाईकोर्ट में भेजा। इसके बाद अब हाईकोर्ट ने इस मामले में ताजा आदेश जारी किया है और इसमें बैंकों को निर्देश दिए हैं कि आरबीआई की नई गाइडलाइन के तहत फिर से धोखाधड़ी घोषणा पर विचार करें और इससे दर्ज एफआईआर और कार्रवाई पर असर नहीं होगा।
अब पटवा के इस पूरे घोटाले को समझते हैं
मेसर्स पटवा ऑटोमोटिव प्रा.लि. (पीएपीएल) इंदौर द्वारा बैंक ऑफ बड़ौदा निपानिया इंदौर की ब्रांच से सितंबर 2014 में मिली क्रेडिट लिमिट के जरिए 36 करोड़ का लोन लिया। लेकिन यह मई 2017 में ही एनपीए घोषित हो गया। जून 2018 की स्थिति में बैंकों को पटवा से 29.41 करोड़ रुपए की वसूली चाहिए। इस लोन में गारंटर कॉर्पोरेट गारंटी स्टार सिटी कंस्ट्रक्शन की थी और निजी गारंटी सुरेंद्र पटवा, मोनिका पटवा, भरत पटवा, महेंद्र पटवा और फूल पटवा की थी।
पटवा ने खुद माना फंड डायवर्ट हुए
यह भी चौंकाने वाली बात है कि भोजपुर विधायक सुरेंद्र पटवा (Bhojpur MLA Surendra Patwa) ने 18 फरवरी 2017 को एक पत्र लिखा और इसमें माना था कि उनके द्वारा 3.79 करोड़ के फंड को डायवर्ट किया गया है। यानी बैंक लोन का जमकर खेल किया गया और इसका जिस काम के लिए उपयोग होना था, उसकी जगह अन्य डायवर्ट कर इस्तेमाल किया गया।
बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट में खुलासा
इस मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा की फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा है कि इस लोन को कंपनी ने डायवर्ट किया और अन्य कामों में उपयोग में लिया। मेसर्स पटवा अभिकरण रतलाम प्रा.लि. (पीएपीआरएल) के खातों में राशि गई। पटवा ऑटोमोटिव इंदौर ने पीएपीआरएल से 64 करोड़ की खरीदी दिखाई, लेकिन पीएपीआरएल खातों में यह राशि नहीं है। इसी तरह फर्जी बैलेंसशीट बनाई गई। कंपनी ने 9.52 करोड़ की राशि लोन की बैंक को बिना बताए अपनी दूसरी देनदारी में उपयोग किया।
सीबीआई ने यह किया है केस
सीबीआई ने बैंक ऑफ बड़ौदा के रीजनल मैनेजर इंदौर की रिपोर्ट पर 21 अक्टूबर 2021 को मेसर्स पटवा ऑटोमोटिव (जिसका नया नाम मेसर्स भगवती पटवा ऑटोमोटिव), सुरेंद्र पटवा, मोनिका पटवा व अन्य के खिलाफ आईपीसी धारा 120B, 420 व अन्य के तहत केस दर्ज किया।