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पूरी खबर को 5 पॉइंट में समझें-
- 31 दिसंबर से प्रदेश की प्रशासनिक सीमाएं पूरी तरह फ्रीज हो जाएंगी।
- कलेक्टर को जिला जनगणना का मुख्य मुखिया बनाया गया है।
- जनगणना ड्यूटी से इनकार करने पर 1 हजार रुपए जुर्माना और 3 साल जेल हो सकती है।
- कुल 13 श्रेणियों के अधिकारियों को जनगणना के विशेष दायित्व सौंपे गए हैं।
- जब तक जनगणना खत्म नहीं होती, सरकार प्रशासनिक नक्शे में बदलाव नहीं कर पाएगी।
मध्यप्रदेश में जनगणना का बिगुल
मध्यप्रदेश में आने वाले साल में होने वाली जनगणना को लेकर सरकार ने तैयारी कर ली है। गृह विभाग ने इस महा-अभियान के लिए अधिकारियों को भी तैयार कर लिया है। सबसे जरूरी बात यह है कि 31 दिसंबर के बाद राज्य में किसी भी जिले, तहसील या थाने की सीमा नहीं बदली जाएगी। इसे तकनीकी भाषा में सीमाएं फ्रीज करना कहा जाता है।
31 दिसंबर की डेडलाइन
राज्य सरकार आगामी बुधवार, यानी 31 दिसंबर को प्रदेश की सभी प्रशासनिक सीमाओं को फ्रीज कर देगी। जनगणना का काम पूरा होने तक सरकार की नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन पर रोक रहेगी। इस दौरान सरकार नए जिले, तहसील या थानों की सीमा में कोई बदलाव नहीं कर सकेगी।
यह जानकारी लिखित रूप में जनगणना निदेशालय भोपाल और केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी जाएगी। प्रशासन यह सुनिश्चित करना चाहता है कि गणना के दौरान डेटा में कोई गड़बड़ी न हो। बीच में सीमाएं बदलती हैं, तो जनसंख्या के आंकड़े गलत हो सकते हैं।
किसे क्या जिम्मेदारी मिली?
जनगणना के सुचारू संचालन के लिए गृह विभाग ने 13 अलग-अलग स्तर के अधिकारियों को तैनात किया है।
संभागीय स्तर: संभागायुक्त को संभागीय जनगणना अधिकारी बनाया गया है।
जिला स्तर: कलेक्टर अब जिले के प्रमुख जनगणना अधिकारी होंगे।
नगर निगम: निगम आयुक्त या प्रशासक शहर की जनगणना के मुखिया होंगे।
तहसील स्तर: तहसीलदार को चार्ज जनगणना अधिकारी की जिम्मेदारी दी गई है।
विशेष क्षेत्र: कैंटोनमेंट बोर्ड और विशेष क्षेत्रों के लिए अलग से सीईओ (CEO) तैनात किए गए हैं।
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काम में लापरवाही की तो होगी जेल
सरकार ने इस बार नियमों को लेकर बहुत सख्त रुख अपनाया है। जनगणना अधिनियम 1948 की धारा 11 के तहत अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी काम करने से मना करता है, तो उस पर कार्रवाई होगी।
यदि कोई व्यक्ति जनगणना के काम में बाधा डालता है, तो उस पर 1 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं, दोष सिद्ध होने पर 3 साल तक की जेल की सजा भी हो सकती है।
क्यों जरूरी है यह जनगणना?
जनगणना सिर्फ सिर गिनने का काम नहीं है। इसके आधार पर ही तय होता है कि अगले 10 सालों तक प्रदेश में कितनी सड़कें बनेंगी। कितने स्कूल खुलेंगे और राशन की कितनी जरूरत होगी। 13 अधिकारियों की यह टीम डेटा कलेक्टर की निगरानी करेगी, जो घर-घर जाकर जानकारी जुटाएंगे।
मध्यप्रदेश जनगणना 2026 की मुख्य बातें
31 दिसंबर के बाद प्रशासनिक सीमाओं में बदलाव पर पूरी तरह रोक रहेगी।
कलेक्टर और संभागायुक्त को सीधे तौर पर जवाबदेह बनाया गया है।
गड़बड़ी या काम रोकने पर कानूनी सजा का प्रावधान रखा गया है।
शहरी क्षेत्रों के लिए नगर निगम के अधिकारियों को विशेष पावर दी गई है।
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