नए साल का पहला झटका, मध्यप्रदेश में बिजली और महंगी होने के आसार

नए साल में मध्यप्रदेश के रहवासियों को बिजली की कीमतों में वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है। मप्र पॉवर जेनरेशन कंपनी ने बिजली की दरों में 10% तक बढ़ोतरी की मांग की है। 15 दिसंबर को इस पर जन सुनवाई होगी।

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Ravi Awasthi
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Electricity cost hike praposile in mp

Photograph: (the sootr)

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BHOPAL. नए साल में बिजली मध्य प्रदेश के रहवासियों को बड़ा झटका दे सकती है। दरअसल, प्रदेश की बिजली उत्पादन कंपनी ने मप्र विद्युत नियामक आयोग के समक्ष बिजली की दरों में 10 प्रतिशत तक इजाफा करने की मांग रखी है। आयोग कंपनी के प्रस्ताव पर विचार करने के साथ ही आमजन से भी आगामी 15 दिसंबर को बात करेगा।

पॉवर जेनरेशन कंपनी ने फिर बढ़ोतरी मांगी

मप्र पॉवर जेनरेशन कंपनी ने मंगलवार को आयोग मुख्यालय में एक याचिका दायर की। इसमें लाइन लॉस के कारण बिजली कंपनियों को घाटे में बताते हुए बिजली की दरों में इजाफा करने की मांग की गई। आयोग सूत्रों के मुताबिक,कंपनी ने बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी की मांग की है। यह बढ़ोतरी 10 प्रतिशत तक हो सकती है।

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15 दिसंबर को आमजन संग सुनवाई

सूत्रों के मुताबिक,आयोग कंपनी के प्रस्ताव पर विचार करने के ​बाद,इन पर दावे आपत्ति बुलाएगा। सूत्रों के अनुसार,पहली सुनवाई 15 दिसंबर को होने के आसार हैं। हालांकि आयोग की ओर से अब तक इसकी अधिकृत जानकारी साझा नहीं की गई। जन सुनवाई में आपत्तियों पर गौर करने के बाद ही आयोग कोई अंतिम निर्णय लेगा।

8 महीने पहले ही बढ़े थे दाम

बिजली का नया टैरिफ हर साल 1 अप्रैल से लागू होता है। बीते साल बिजली कंपनियों ने 4 हजार करोड़ से अधिक का घाटा बताते हुए बिजली के टैरिफ में 7.52 फीसदी बढ़ोत्तरी की मांग रखी थी। आयोग ने इसे खारिज करते हुए टैरिफ में सिर्फ 3.46%बढ़ोत्तरी की मंजूरी दी,लेकिन यह हर सेक्टर के लिए थी। 

इसके चलते घरेलू श्रेणी के बिजली टैरिफ में प्रति यूनिट 19 पैसे,गैर घरेलू में 20 पैसे और  कृषि टैरिफ में 7 पैसे प्रति यूनिट तक बढ़े।आयोग ने फिक्स चार्ज में भी इजाफा किया था। इसके चलते उपभोक्ताओं को पिछले साल की तुलना में अधिक भुगतान करना पड़ रहा है।   

चुनावी सालों में मिलती रही राहत

चुनावी साल में आमतौर पर आयोग बिजली टैरिफ में बड़ी वृद्धि से बचता रहा है। बीते दो साल चुनावी वर्ष होने से कंपनियों की मांग आमतौर पर खारिज होती रही। यानी वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव थे। 

बिजली कंपनियों ने 2 हजार करोड़ से अधिक का घाटा बताते हुए टैरिफ में 3.86 फीसदी इजाफा करने की मांग की थी। लेकिन आयोग ने टैरिफ में महज 0.7% का इजाफा किया। 

इसी तरह,वर्ष 2023 में मप्र विधानसभा चुनाव को देखते हुए बिजली की दरें सिर्फ 1.65 % ही बढ़ी। जबकि बिजली कंपनियों की ओर से 1537 करोड़ रुपए का घाटा बताया गया था। उस साल टैरिफ में 3.20% बढ़ोत्तरी की मांग की गई थी।

होने हैं सहकारिता के चुनाव

प्रदेश में बीते एक दशक से लंबित सहकारिता चुनाव जल्द होने के आसार है। माना जा रहा है कि सरकार ग्रीष्मकाल में यह चुनाव करा सकती है। 

प्रदेश के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने राज्य विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान इसके संकेत भी दिए। ऐसे में विद्युत नियामक आयोग बिजली कंपनी को कोई बड़ी राहत देगा, इसकी उम्मीद कम है,लेकिन दर बढ़ना लाजिमी है।

आयोग सूत्रों के अनुसार,आयोग 4 से 6 प्रतिशत के स्लेब में यह बढ़ोत्तरी कर सकता है। यह होता है तब भी नए साल में बिजली उपभोक्ताओं के लिए यह एक बड़ा झटका होगा। 

बिजली कंपनी के प्रस्ताव पर आयोग के सचिव डॉ उमाकांत पांडा ने बताया कि आज तो प्रस्ताव मिला है। इसका अध्ययन करने के बाद आमजन से सुझाव बुलाए जाएंगे। इसके बाद ही आयोग कोई निर्णय लेगा।

सरप्लस बिजली दावे के उलट

मध्य प्रदेश भले ही खुद को ‘सरप्लस बिजली वाला प्रदेश’ बताता हो, लेकिन हकीकत यह है कि राज्य हर साल अन्य प्रदेशों से बड़े पैमाने पर बिजली खरीद रहा है। 

हाल ही में संपन्न राज्य विधानसभा के मानसून सत्र में कांग्रेस के डॉ विक्रांत भूरिया के एक सवाल के जवाब में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने इसका खुलासा किया। 

उन्होंने कहा कि बीते साल पॉवर एक्सचेंज से 74 करोड़ यूनिट खरीदी गई। इस साल अब तक 91 करोड़ यूनिट बिजली 3.43 रुपए प्रति यूनिट की दर पर अन्य राज्यों से खरीदी गई।  

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उद्योगपतियों पर 1,228 करोड़ रुपए बकाया

ऊर्जा मंत्री तोमर ने यह भी बताया कि प्रदेश में 2,409 बड़े बिजली उपभोक्ताओं पर 1,228 करोड़ रुपए बकाया है। इनमें अधिकांश उद्योगपति हैं।

विक्रांत भूरिया मंत्री विश्वास सारंग ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर सहकारिता चुनाव मप्र विद्युत नियामक आयोग बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी
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