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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार ने राज्य के कर्मचारियों को 13 साल बाद भत्तों में वृद्धि की सौगात दी है। राज्य सरकार ने सात लाख कर्मचारियों के लिए परिवहन, मकान भाड़ा और अन्य भत्तों में 5-10% तक वृद्धि की घोषणा की है। यह वृद्धि 7वें वेतनमान के आधार पर की गई है, और इसका सालाना खर्च सरकार को 1500 करोड़ रुपए तक आएगा। हालांकि, इस फैसले से कर्मचारी संगठनों के बीच संतोष की भावना नहीं है। संगठनों का कहना है कि इतने साल बाद भत्ता बढ़ाया गया है, लेकिन यह वृद्धि महंगाई और जीवन यापन की बढ़ी हुई लागत के मुकाबले बहुत कम है।
कितने प्रतिशत हुई बढ़ोतरी
सरकार ने कर्मचारियों को गृह भाड़े भत्ते में 945 रुपए से लेकर 7915 रुपए तक की वृद्धि की है। यह वृद्धि केंद्र सरकार के भत्तों की तुलना में काफी कम है। केंद्र सरकार में गृह भाड़ा भत्ता 10%, 20%, और 30% तक बढ़ाया गया है। वहीं मध्य प्रदेश में यह 5%, 7%, और 10% तक बढ़ाया गया है। इसी तरह, वाहन भत्ते में भी बढ़ोतरी की गई है। पिछले 13 वर्षों से कर्मचारियों को 200 रुपए का वाहन भत्ता मिल रहा था, जिसे बढ़ाकर 384 रुपए किया गया है। वहीं, केंद्र सरकार के कर्मचारियों को वाहन भत्ता 1800 रुपए मिलता है, जो 55% महंगाई भत्ते के साथ अब 2790 रुपए हो गया है।
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कर्मचारियों की अपेक्षाएं पूरी नहीं हुईं
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने इस निर्णय पर निराशा जताई है। उन्होंने कहा है कि कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सरकार कर्मचारियों को उचित लाभ देगी, लेकिन यह उम्मीद पूरी नहीं हुई। तिवारी ने बताया कि 13 साल बाद भत्ता बढ़ाया गया है, लेकिन यह वृद्धि पर्याप्त नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर ये भत्ते केंद्र के मानकों के अनुसार बढ़ाए गए होते, तो कर्मचारियों को बहुत राहत मिलती।
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कर्मचारी संगठनों का गुस्सा
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार ने भत्तों में वृद्धि तो की है, लेकिन यह महंगाई और जीवन यापन की लागत के मुकाबले कम है। उन्हें उम्मीद थी कि भत्तों में यह बढ़ोतरी केंद्र सरकार के समान होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
सरकार का जवाब
सरकार ने कहा कि भत्तों में की गई वृद्धि कर्मचारियों के भले के लिए है और इस वृद्धि से उन्हें वित्तीय राहत मिलेगी। इसके अलावा, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि भत्तों में यह वृद्धि 7वें वेतनमान के आधार पर की गई है और केंद्र सरकार की तुलना में राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति भी अलग है।