आबकारी ने सभी दागी सहायक आयुक्त को दे मारी फील्ड पोस्टिंग

मध्य प्रदेश आबकारी विभाग अपने विवादों के लिए प्रसिद्ध है, जहां शराब माफिया को अधिक महत्व दिया जाता है, जबकि सरकार के राजस्व की अनदेखी की जाती है।

author-image
Sanjay Gupta
New Update
abkari
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

मप्र आबकारी विभाग अपने कारनामों के लिए पहले से ही चर्चित रहता है, सरकार के राजस्व को परे रखते हुए शराब माफियाओं को हमेशा ही ऊपर रखा जाता है। वहीं चार दिन पहले सहायक आयुक्त (एसी) आबकारी की आई ट्रांसफर लिस्ट के बाद सवाल उठ रहे हैं कि यह लिस्ट आखिर बनाई किसने, क्या यह डिस्टलरीज संचालक, शराब ठेकेदारों की सहमति से बनी है, क्योंकि उन्हें फायदे पहुंचाने वाले दागी अधिकारियों को एक बार फिर फील्ड पोस्टिंग दे दी गई है।

सीएम को क्या अंधेरे में रखा गया

सीएम डॉ. मोहन यादव ने जिस तरह से क्लीन छवि के लिए हाल ही में आईपीएस में बड़े स्तर पर बदलाव किए, मऊगंज में अधिकारी बदले, डीजीपी की कमान कैलाश मकवाना को सौंपी। इसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या आबकारी अधिकारियों ने इन ट्रांसफर को लेकर उन्हें और डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा को अंधेरे में रखा। क्योंकि एक स्वास्थ्य अधिकारी की पोस्टिंग और खनिज अधिकारी संजय लुणावत की विवादित पोस्टिंग को भी लेकर सीएम ने गहरी नाराजगी जाहिर की थी और दोनों की विदाई कर दी गई। ग्वालियर मुख्यालय और भोपाल मंत्रालय के बीच आखिर क्या खेल हुआ जो यह दागी अधिकारी फील्ड पा गए और जिन्होंने राजस्व लक्ष्य हासिल किया उन्हें मुख्यालय रवाना कर दिया गया। 

अभिषेक तिवारी का नाम उठा और जांच दबी

यह अभी सहायक आबकारी आयुक्त खरगोन में पदस्थ थे जिन्हें अब इंदौर में पोस्टिंग मिली है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इनका नाम कुक्षी में आईएएस एसीडएम अपरहरण कांड के दौरान पकड़ाई गई शराब में उस समय आया जब पता चला कि इनके क्षेत्र से ही एक डिस्टलरी से चली थी, इस शराब तस्करी को रोकने पर इनका कोई कंट्रोल नहीं था। उनके साथ ही एक डिस्टलरी संचालक का नाम आया था लेकिन मामले को रफा-दफा कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार मप्र के एक पूर्व सीएस का वरदहस्त होने से यह इस मामले में बच गए थे। 

ये भी खबर पढ़ें... इंदौर महापौर कृपया ध्यान दें- शौचालय के बाहर शहीद क्रांतिकारियों के पोस्टर क्यों, संस्था उन्हीं की

यह बन गए शराब माफियाओं का निशाना

मनीष खरे- सहायक आबकारी आयुक्त इंदौर से ग्वालियर मुख्यालय ट्रासंफर किए गए। इन्होंने लगातार तीन साल तक इंदौर में राजस्व लक्ष्य को पूरा किया। इस बार भी 83 फीसदी लक्ष्य पूरा कर लिया। सूत्रों के अनुसार, कुछ डिस्टलरीज संचालक पूरा जिला अपने कंट्रोल में रखने के लिए सांठगांठ कर रहे थे लेकिन खरे ने योजना पर पानी फेरते हुए शराब ठेकेदारों से ही लाइसेंस रिन्यू करा लिया और उनकी शराब प्राइसिंग की मोनोपाली की योजना को फेल कर दिया। 

दीपक रायचुरा- सहायक आबकारी आयुक्त भोपाल में थे। इन्हें हटाकर उड़नदस्ता भोपाल किया गया है। इन्होंने भी राजस्व लक्ष्य का पूरा सौ फीसदी पूरा कर लिया। लेकिन हटाया गया। 

वंदना पाण्डेय- सहायक आबकारी आयुक्त रायसेन से हटाकर उड़नदस्ता भोपाल ट्रांसफर हुई। इन्होंने रायसेन जिले में राजस्व लक्ष्य का 89 फीसदी पूरा कर लिया था। 

विक्रमदीप सांगर- सहायक आबकारी आयुक्त धार से उज्जैन ट्रांसफर हो गए। धार में सौ फीसदी से ज्यादा राजस्व लक्ष्य प्राप्त हुआ। 

0176ce0f-2e6a-4a06-8bc5-629dbc24cf1f

यह दागी अधिकारी फिर फील्ड पर

सत्यनारायण दुबे- ये अभी ग्वालियर मुख्यालय में थे। अब खरगोन पदस्थ किया गया है। जबलपुर पदस्थापना के दौरान इनके खिलाफ 2021-22 में ईओडब्ल्यू में एफआईआर दर्ज है, जिसमें जांच जारी है। इसके पहले भी इनके खिलाफ विभागीय जांच हो चुकी है। जबलपुर पदस्थापना के दौरान कलेक्टर के आदेश नहीं मानने के दौरान इन्हें हटाया गया था।

संजीव दुबे- यह अभी ग्वालियर मुख्यालय में पदस्थ थे जिन्हें अब जबलपुर दिया गया है। इंदौर के आबकारी घोटाले के आरोप में इंदौर से हटाए गए थे। इनकी विभागीय जांच अभी भी जारी है।

ये भी खबर पढ़ें... इंदौर ED ने की नगर निगम के रिटायर्ड हेल्थ अधिकारी राजेश कोठारी की संपत्ति अटैच

5.80 करोड़ बैंक गारंटी विवाद में हटे तिवारी भी इंदौर लौटे

इसी तरह उपायुक्त संजय तिवारी भी इंदौर लौट आए हैं। वह अभी उपायुक्त आबकारी उड़नदस्ता उज्जैन में थे जहां से उनका ट्रांसफर उपायुक्त आबकारी संभागीय उड़नदस्ता संभाग इंदौर किया गया है। यह कुछ समय पहले ही इंदौर में 5.82 करोड़ के बैंक गारंटी इश्यू में विवादों में आए थे। वहीं इनके ही कार्यकाल में मप्र के इतिहास में पहली बार सपना और पैराडाइज बार में नकली जहरीली इंग्लिश शराब पीने से मौते हुई थी। लेकिन इसमें निचले अधिकारियों को हटाकर वह खुद बचने में कामयाब हुए थे। कुक्षी आईएएस एसडीएम के साथ मारपीट, अपहरण कांड भी इनके इंदौर संभाग में पदस्थ रहते हुए ही हुआ था। इसके बाद इन्हें हटाया गया था। वहीं सूत्रों के अनुसार इंदौर आए सहायक आबकारी आयुक्त अभिषेक तिवारी और संजय तिवारी के पारिवारिक संबंध है और दोनों ही जमावट करते हुए एक साथ इंदौर पदस्थ हुए हैं।

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें

आबकारी अधिकारी MP News सहायक आयुक्त MP इंदौर न्यूज एमपी न्यूज आबकारी विभाग इंदौर समाचार सीएम मोहन यादव मध्य प्रदेश समाचार