अरुण तिवारी, BHOPAL. मध्यप्रदेश पर लगातार कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। चुनाव के दौरान दी गई मोदी की गारंटी प्रदेश की जनता को बहुत महंगी पड़ रही है। एमपी की नई नवेली मोहन सरकार को प्रदेश चलाने के लिए रोजाना 200 करोड़ रुपए का कर्ज लेना पड़ रहा है। प्रदेश की माली हालत लगातार खस्ता होती जा रही है। पुरानी योजनाओं के संचालन और संकल्प पत्र की घोषणाएं कर्ज के सहारे ही पूरी हो रही हैं। हम आपको बता रहे हैं कि मोदी की गारंटी का प्रदेश पर कितना असर पड़ रहा है।
सीएम बोल रहे- पैसे का कोई संकट नहीं है
मुख्यमंत्री मोहन यादव (cm mohan yadav) ने बालाघाट की सभा में कहा कि प्रदेश में पैसे का कोई संकट नहीं है, सारी योजनाएं चलेंगी और इस बार लाड़ली बहनों को 10 की जगह 1 तारीख को पैसे मिलेंगे। बीजेपी ने जब संकल्प पत्र जारी किया था तो उसे मोदी की गारंटी नाम दिया था। यही कारण है कि प्रदेश सरकार को न सिर्फ पुरानी योजनाएं चलानी हैं बल्कि संकल्प पत्र की घोषणाएं भी लागू करनी हैं। मोहन यादव जनसभा में इसी मोदी की गारंटी की बात करते हैं, लेकिन मोदी की ये गारंटी प्रदेश को बहुत महंगी पड़ रही है।
प्रदेश पर बढ़ता जा रहा कर्ज
प्रदेश की हालत खस्ता है और कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। प्रदेश को चलाने के लिए 2 महीने पुरानी मोहन सरकार रोजाना 200 करोड़ का कर्ज ले रही है। इन 2 महीनों में मोहन सरकार साढ़े 12 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है। यानी रोजाना करीब 200 करोड़ का कर्ज। हाल ही में सरकार ने 5 हजार करोड़ का कर्ज फिर लिया है। लोकसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ी बीजेपी इससे बेफिक्र है।
कांग्रेस ने साधा निशाना
कांग्रेस ने सरकार की इस स्थिति पर निशाना साधा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सवाल उठाया कि आखिर इतने कर्ज का पैसा खर्च कहां हो रहा है ये दिखाई नहीं देता। जीतू ने कहा कि सरकार के पास संकल्प पत्र पूरा करने का पैसा ही नहीं है। यही कारण है कि किसानों को गेहूं के 2700 रुपए और धान के 3100 रुपए नहीं मिल पा रहे हैं। बीजेपी ने ये झूठी गारंटी ली है और उस गारंटी पर सरकार बनाई है।
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जनता पर पड़ रहा मोदी की गारंटी का असर
प्रदेश में कर्ज की स्थिति साढ़े 3 लाख करोड़ से ऊपर पहुंच गई है। इस कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए ही सरकार ने 12 हजार करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान किया है। बीजेपी सरकार ने पिछले एक साल में ही 35 हजार करोड़ से ज्यादा कर्ज लिया है। मोदी की गारंटी का असर आम जनता पर पड़ रहा है जो लगातार कर्ज में दबती जा रही है।