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Photograph: (the sootr)
BHOPAL. मध्य प्रदेश सरकार एक बार फिर कर्ज लेने की योजना बना रही है। सरकार इस बार 3000 करोड़ रुपए का कर्ज लेगी। इसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के माध्यम से लिया जाएगा।
इससे राज्य का कुल कर्ज इस वित्तीय वर्ष में 50 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। यह कर्ज तीन हिस्सों में लिया जाएगा, जिनकी समय सीमा 8, 13 और 23 साल की होगी।
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अनुपूरक बजट के साथ कर्ज का बोझ
सरकार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान अपना दूसरा अनुपूरक बजट पेश करेगी। इसी के साथ वह 3000 करोड़ रुपए का कर्ज भी ले रही है। यह कर्ज पिछले कर्जों की तरह ही विकास कार्यों और योजनाओं के लिए लिया जा रहा है। इससे पहले 12 नवंबर को 4000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया था।
सरकार क्यों बार- बार कर्ज ले रही है?
सरकार की बार-बार कर्ज लेने की नीति विपक्ष के निशाने पर है। मध्य प्रदेश सरकार ने कहा है कि कर्ज विकास कार्यों और योजनाओं के लिए लिया जा रहा है। हालांकि विपक्ष ने सवाल उठाया है कि यदि सरकार को बार-बार कर्ज लेना पड़ रहा है तो राज्य की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है।
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मोहन सरकार का कर्ज 2025 में
इस साल के शुरुआत से अब तक, मध्य प्रदेश सरकार ने कई बार कर्ज लिया है। ये कर्ज विभिन्न योजनाओं और कार्यों के लिए लिया गया। सरकार ने इन तारीखों में कर्ज लिया।
| तारीख | कर्ज (रुपए) |
|---|---|
| 4 जून 2025 | 4500 करोड़ |
| 8 जुलाई 2025 | 4800 करोड़ |
| 30 जुलाई 2025 | 8600 करोड़ |
| 5 अगस्त 2025 | 5000 करोड़ |
| 26 अगस्त 2025 | 4800 करोड़ |
| 9 सितंबर 2025 | 3000 करोड़ |
| 23 सितंबर 2025 | 3000 करोड़ |
| 30 सितंबर 2025 | 3000 करोड़ |
| 28 अक्टूबर 2025 | 5200 करोड़ |
| 11 नवंबर 2025 | 3000 करोड़ |
| दिसम्बर 2025 | 3000 करोड़ |
मध्यप्रदेश सरकार के नए कर्ज को ऐसे समझें
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सरकार का सरप्लस रेवेन्यू
मध्य प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 12 हजार करोड़ रुपए का सरप्लस रेवेन्यू प्राप्त किया था। इसके अलावा, सरकार ने 2024-25 में 1 हजार करोड़ रुपए के सरप्लस की योजना बनाई है। इसका मतलब है कि राज्य की आमदनी खर्च से ज्यादा रही, जिससे कर्ज लेने की सीमा को बनाए रखा जा सका।
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विपक्ष के हमले
मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार पर बार-बार कर्ज लेने को लेकर विपक्ष ने निशाना साधा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा था कि सरकार कर्ज पर कर्ज ले रही है। राज्य की वित्तीय स्थिति खराब हो गई है। उन्होंने यह सवाल उठाया कि आखिर यह कर्ज कौन चुकाएगा? जनता कर्ज के बोझ तले दब रही है।
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