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जो काम मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने कार्यकाल में नहीं कर सके, वह अब मौजूदा मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने कर दिखाया है। 9 सालों बाद सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन देने का रास्ता साफ हो गया है। 17 जून को हुई कैबिनेट बैठक में यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया, जिससे राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए पदोन्नति के नए अवसर खुलेंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस कदम का स्वागत किया और इसे कर्मचारियों के हित में एक महत्वपूर्ण फैसला बताया। अब कर्मचारी अपनी मेहनत के अनुसार उच्च पदों तक पहुंच सकेंगे, जिससे राज्य प्रशासन में और भी सशक्त बदलाव देखने को मिल सकते हैं। यह निर्णय न केवल कर्मचारियों के लिए, बल्कि मध्यप्रदेश की सरकारी सेवा के लिए भी एक नई दिशा साबित हो सकता है।
5 लाख प्रमोशन, 2 लाख भर्तियां
मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति पर पिछले 9 साल से रोक लगी हुई थी। 2016 में सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण पर निर्णय के बाद यह प्रक्रिया रुक गई थी। अब, सरकार ने कैबिनेट बैठक में प्रमोशन को लेकर योजना को मंजूरी दी है। इसमें पांच लाख कर्मचारियों की पदोन्नति की जाएगी, जबकि 2 लाख पदों पर नई भर्तियां होंगी।
15 दिन में DPC शुरू हो जाएंगी
प्रमोशन की प्रक्रिया में सबसे अहम भूमिका DPC (Departmental Promotion Committee) की होगी। यह समिति कर्मचारियों की वरिष्ठता और उपयोगिता का मूल्यांकन करेगी और इसी के आधार पर पदोन्नति की जाएगी। DPC की प्रक्रिया अगले 15 दिनों में शुरू हो जाएगी, और एक साल के भीतर दूसरी DPC भी आयोजित की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पदोन्नति में किसी प्रकार की विधिक अड़चन न आए।
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आरक्षित वर्ग को मिलेगा विशेष लाभ
पदोन्नति में आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों के लिए भी विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसके अंतर्गत, कर्मचारियों को उनके आरक्षण के तहत पदोन्नति मिलेगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई कर्मचारी इस प्रक्रिया से वंचित न हो।
नई भर्ती का रास्ता खुलेगा
इस निर्णय के साथ ही सरकारी विभागों में रिक्त पदों पर नई भर्तियों का रास्ता भी खुलेगा। प्रमोशन के कारण खाली होने वाले 2 लाख पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी, जो युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर होगा।
पदोन्नति में लागू नियम
प्रमोशन प्रक्रिया के दौरान यह ध्यान रखा जाएगा कि कर्मचारियों की वरिष्ठता और उनकी कार्यक्षमता को प्राथमिकता दी जाए। इसके अलावा, जिन कर्मचारियों के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही चल रही है, वे प्रमोशन के योग्य नहीं माने जाएंगे। इसके लिए एक रिव्यू डीपीसी की व्यवस्था की गई है, ताकि पदोन्नति की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो।
एमपी के विभिन्न कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों ने कही ये बात
पीपी सिंह तोमर, प्रदेश अध्यक्ष मप्र सपाक्स
सरकार का निर्णय एकतरफा है। ये सीधे-सीधे सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के खिलाफ निर्णय है। ऊपर के जो पद हैं उन पर इन वर्गों की संख्या वैसे ही कम थी अब 10-15 सालों के लिए और दूर हो गए हैं। उन्हें इन पदों पर पदोन्नति नहीं मिल पाएगी। जो सरकार अनारक्षित वर्ग के लोगों को पदोन्नति से दूर रखने के लिए न्यायालयों में निजी वकीलों पर 15 करोड़ से ज्यादा अतिरिक्त कर चुकी है तो कैसे उम्मीद कर सकते हैं उस सरकार से। 9 साल तक अनारक्षित वर्गों को पदोन्नति से दूर रखा गया जबकि प्रदेश में ऐसी कोई रोक नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट से स्टेटस उनके लिए दिया गया था जो असंवैधानिक नियमों के सहारे जंप कर उच्च पदों पर पहुंचे थे। आज का दिन काला दिन है जो इतिहास में दर्ज होगा और याद रखा जाएगा।
पंकज तिवारी, विधि सलाहकार मप्र सपाक्स
सरकार ने अनारक्षित वर्ग को लेकर नए ड्राफ्ट में कोई प्रावधान नहीं किया है। अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों का भविष्य में भी प्रमोशन न होना तय है। वरिष्ठ पदों पर आरक्षित वर्ग के लोग ही पहुंच पाएंगे। योग्यता की अनदेखी के चलते अनारक्षित वर्ग के युवाओं का शासकीय सेवा से उनका मोह भंग होगा और विदेशों में पलायन बढ़ेगा। बीते 9 सालों में हजारों अनारक्षित वर्ग के हजारों कर्मचारी-अधिकारी बिना पदोन्नति ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं। हाईकोर्ट ने गलत नियमों से पदोन्नत हुए आरक्षित कर्मचारियों को पदावनत करने का आदेश दिया था लेकिन सरकार ने किसी से पदोन्नति वापस नहीं ली। सरकार ने नए ड्राफ्ट में अनारक्षित वर्ग के हितों की अनदेखी की है।
गौतम पाटिल, प्रांत सचिव, मप्र अजाक्स
मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के निर्देश पर 9 वर्षों से रुकी पदोन्नति की प्रक्रिया को शुरू कराया है। यह निर्णय स्वागत योग्य है। कर्मचारी संगठनों से भी इस संबंध में चर्चा की गई थी। पहले जो आरोप लगता था कि अनारक्षित पदों पर अनुसूचित जाति-जनजाति के अधिकारी आ जाते हैं अब पहले आरक्षित कर्मचारी अपने लिए तय पदों पर पदोन्नति पा सकेंगे और अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों को उनके पदों पर प्रमोशन मिलेगा। सभी कर्मचारियों को पदोन्नति का लाभ मिलेगा। बीते सालों में पदोन्नति रुकी होने से कर्मचारियों को काफी नुकसान हुआ है। अब सबको समान अवसर मिलेंगे और प्रदेश भी तरक्कती करेगा।
विजय शंकर श्रवण, प्रांत प्रवक्ता मप्र अजाक्स
मप्र के मुख्यमंत्री ने लंबे समय से चली आ रही पदोन्नति की मांग को स्वीकृति दी है। लंबे समय से मांग चली आ रही थी कि पदोन्नति में आरक्षण मिले। सीएम ने इसे स्वीकार किया है इसके लिए उनका अभिनंदन करते हैं। अजाक्स के प्रांतीय पदाधिकारियों ने सरकार के सामने अपना पक्ष रखा था जिसके बाद कैबिनेट ने इस पर मुहर लगाई है। पदोन्नति बाधित होने से नीचे के पदों पर कर्मचारियों को मौका ही नहीं मिल रहा था। अब कर्मचारी पदोन्नत होंगे और नीचे खाली होने वाले पदों पर नई नियुक्तियां होने से भर्तियां भी बढ़ेंगी और युवाओं को अवसर मिलेंगे।
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2016 में लगी थी पदोन्नति पर रोक
2016 में सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण के मामले पर निर्णय न होने के कारण पदोन्नति प्रक्रिया रुक गई थी। तब से अब तक एक लाख से अधिक कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं। सरकार ने इस मुद्दे को हल करते हुए अब पदोन्नति की प्रक्रिया फिर से शुरू करने का फैसला लिया है।
मुख्यमंत्री का समर्थन
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कर्मचारियों के हित में पदोन्नति प्रक्रिया को शुरू करने की बात की थी। इस प्रक्रिया को तैयार करने के लिए सरकार ने सभी पक्षों से सहमति प्राप्त की और इसके बाद मुख्यमंत्री के सामने इस पर विचार-विमर्श किया गया।
बता दें कि प्रमोशन का लाभ एमपी के करीब 5 लाख सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा। प्रमोशन के बाद खाली होने वाले 2 लाख पदों पर सरकार नई भर्ती करेगी। बैठक में इस फैसले पर मुहर लगी। सीएम ने इसको लेकर एक्स पर पोस्ट भी किया।
आज कैबिनेट की बैठक में प्रदेश के कर्मचारियों-अधिकारियों के 9 वर्ष से लंबित पदोन्नति के मामले का निराकरण किया। इसमें SC-ST सहित सभी वर्ग के कर्मचारियों-अधिकारियों के हितों का ध्यान रखा गया है। इसके माध्यम से पदोन्नति के बाद शासकीय सेवाओं में 2 लाख पद रिक्त होंगे और इन पर नये सिरे…
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) June 17, 2025
नया फॉर्मूला: कैसे मिलेगा प्रमोशन?
सामान्य प्रशासन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों, कर्मचारी संगठनों की मांगों और प्रशासनिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एक नया प्रमोशन फॉर्मूला तैयार किया है। इस फॉर्मूले की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
रिक्त पदों का वर्गीकरण:
SC-ST आरक्षण: कुल रिक्त पदों को SC (16%) और ST (20%) के लिए आरक्षित किया जाएगा। पहले इन वर्गों के लिए आरक्षित पद भरे जाएंगे। यदि SC-ST वर्ग में कोई योग्य उम्मीदवार नहीं मिलता, तो वह पद रिक्त रहेगा।
अनारक्षित पद: SC-ST के बाद बाकी पदों के लिए सभी वर्गों (सामान्य, OBC, SC, ST) के कर्मचारियों को सीनियरिटी और मेरिट के आधार पर मौका मिलेगा।
चयन सूची की तैयारी:
- क्लास-1 अधिकारी (जैसे डिप्टी कलेक्टर): इन पदों के लिए चयन सूची मेरिट और सीनियरिटी दोनों के आधार पर बनाई जाएगी।
- क्लास-2 और निचले पद: इन पदों के लिए सीनियरिटी को प्राथमिकता दी जाएगी।
गोपनीय रिपोर्ट (ACR) की अनिवार्यता:
कर्मचारियों के प्रमोशन के लिए उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) का अच्छा होना जरूरी होगा। मापदंड के अनुसार पिछले 2 साल में कम से कम 1 ACR 'आउटस्टैंडिंग' होनी चाहिए, या पिछले 7 सालों में कम से कम 4 ACR 'A+' होनी चाहिए।
डबल प्रमोशन पर रोक:
कर्मचारियों को एक साथ दो प्रमोशन नहीं मिलेंगे। एक प्रमोशन देने के बाद अगले वर्ष दूसरा प्रमोशन दिया जाएगा।
SC-ST कर्मचारियों की सुरक्षा:
पहले से प्रमोशन पा चुके SC-ST कर्मचारियों को डिमोशन (पदावनति) का सामना नहीं करना पड़ेगा।
वित्तीय लाभ:
प्रमोशन के साथ कर्मचारियों को वरिष्ठ पदों के वेतनमान का लाभ मिलेगा, लेकिन यह मौजूदा टाइम-स्केल वेतन से जुड़ा होगा, जिससे सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा।
प्रमोशन की प्रक्रिया: कब और कैसे?
नए फॉर्मूले के तहत प्रमोशन की प्रक्रिया को व्यवस्थित और नियमित करने की योजना बनाई गई है:
- DPC का समय: हर साल सितंबर से नवंबर के बीच विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठकें होंगी।
- पात्रता का निर्धारण: 31 दिसंबर की स्थिति के आधार पर कर्मचारियों की योग्यता तय की जाएगी।
- पदों की पूर्ति: 1 जनवरी से रिक्त पदों को भरना शुरू किया जाएगा।
- नोटिफिकेशन: नया नियम उस दिन से लागू होगा, जिस दिन इसका आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी होगा।
- रिटायर्ड कर्मचारी: रिटायर हो चुके कर्मचारियों को इस नियम का लाभ नहीं मिलेगा।
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