मध्य प्रदेश में प्रमोशन का रास्ता साफ, जानें हर जरूरी सवाल का जवाब

मध्य प्रदेश में सीएम मोहन यादव ने सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रमोशन की घोषणा की, जिससे करीब 4 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। हालांकि, इस फैसले को लेकर कर्मचारियों के मन में कई सवाल हैं जैसे पदों का बंटवारा और रिटायर कर्मचारी क्या करेंगे।

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Manya Jain
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MP Promotion News : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए पदोन्नति की घोषणा की है । इस फैसले से लगभग 4 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा, जिनकी पदोन्नति कई वर्षों से लंबित थी। मुख्यमंत्री ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने इस पर अंतिम फैसला ले लिया है और अब पदोन्नति की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी। लेकिन इस फैसले को लेकर सरकारी कर्मचारियों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं, जैसे प्रमोशन पर क्यों रोग लगी थी, प्रमोशन के पद कैसे बंटेंगे? और जो लोग रिटायर हो चुके, उनका क्या? होगा । आज इस खबर में हम आपको इस फैसले से जुड़े सभी सवालों के बारे में विस्तार से बताएंगे।

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क्यों लगी थी प्रमोशन पर रोक 

साल 2002 में तत्कालीन सरकार ने प्रमोशन के नियम बनाते हुए इसमें आरक्षण का प्रावधान किया था। इसके कारण आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को पदोन्नति मिलती गई, जबकि अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी पीछे रह गए। जब इस मामले में विवाद बढ़ा तो कर्मचारी कोर्ट गए और उन्होंने कोर्ट से प्रमोशन में आरक्षण को खत्म करने का अनुरोध किया। कोर्ट ने यह तर्क स्वीकार किया कि पदोन्नति का लाभ केवल एक बार ही मिलना चाहिए। इसी आधार पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को मध्य प्रदेश लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 को निरस्त कर दिया। सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, और सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। तब से पदोन्नति पर रोक लग गई है।

अब सुप्रीम कोर्ट में केस है, क्या होगा?

सरकार का कहना है कि सभी प्रमोशन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन होंगे। कोर्ट का जैसा भी अंतिम निर्णय होगा, सरकार उसे पूरी तरह से लागू करेगी। बता दें कि, हाई कोर्ट में 1000 से अधिक याचिकाएं लंबित हैं।

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प्रमोशन के पद कैसे बंटेंगे?

यदि ज्वाइंट डायरेक्टर के 50 पद खाली हैं, तो उनका बंटवारा आरक्षण के अनुपात में होगा। उदाहरण के लिए, एसटी को 20% यानी 10 पद, एससी को 16% यानी 7-8 पद और शेष सामान्य वर्ग को उपलब्ध होंगे।

एससी-एसटी वर्ग में योग्य कम हुए तो?

यदि एसटी वर्ग के 10 पदों में से 6 पहले ही भर चुके हैं, तो अब केवल 4 पदों पर ही पदोन्नति होगी। यदि 10 पद खाली हैं और केवल 7 योग्य उम्मीदवार हैं, तो उतने ही पदों पर पदोन्नति दी जाएगी, जबकि बाकी पद  खाली रहेंगे।

जो लोग रिटायर हो चुके, उनका क्या? होगा

अप्रैल 2016 से अब तक रिटायर हुए कर्मचारियों को लाभ नहीं मिलेगा। यह नियम उस तारीख से लागू होगा, जिस तारीख से इसे प्रभावी किया जाएगा।

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तो अब नागराज कमेटी की शर्तों का क्या?

सुप्रीम कोर्ट की नागराज कमेटी की तीन शर्तें- रिप्रेजेंटेशन, मेरिट और बैकवर्डनेस में से बैकवर्डनेस को पहले ही हटा दिया गया है। बाकी दो शर्तें सरकार पूरी कर रही है। डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) में कामकाजी आधार पर मेरिट तय होगी और प्रतिनिधित्व आरक्षण के अनुरूप होगा।

डीपीसी की प्रक्रिया क्या होगी?

डीपीसी में पिछले 5 वर्षों तक की सेवावधि वाले कर्मचारी शामिल होते हैं। उदाहरण के लिए, मई 2025 में डीपीसी होगी तो मई 2020 तक रिटायर होने वाले कर्मचारी इसमें शामिल हो सकते हैं। चूंकि इन कर्मचारियों को टाइम स्केल पहले ही मिल चुका होता है, इसलिए रिटायर कर्मचारियों को नया वित्तीय लाभ नहीं मिलेगा।

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कोर्ट से जिनका डिमोशन, वे क्या करेंगे?

कोर्ट ने ऐसे मामलों में 'स्टेटस' बनाए रखने का आदेश दिया है। जिनका प्रमोशन 2002 के नियमों के तहत हुआ था, वे वर्तमान स्थिति में ही बने रहेंगे। कोर्ट के अंतिम आदेश के आधार पर आगे का निर्णय लिया जाएगा।

हर महीने 3000 कर्मचारी रिटायर होते हैं

पदोन्नति पर रोक को लागू हुए 8 साल 11 महीने और 8 दिन हो चुके हैं। इस दौरान 1 लाख 50 हजार से ज्यादा कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं, जिनमें से करीब 1 लाख कर्मचारियों को इन 8 साल 11 महीने में पदोन्नति मिलनी थी। ध्यान देने योग्य बात यह है कि हर महीने प्रदेश में लगभग 3000 कर्मचारी रिटायर होते हैं।

कमेटी का गठन, लेकिन कोई हल नहीं निकला

2018 का चुनाव हारने के बाद, 2020 में शिवराज सरकार ने पदोन्नति के मुद्दे का समाधान निकालने के लिए एक रणनीति बनाई। इसके तहत, उप मंत्री परिषद की एक विशेष समिति का गठन किया गया था। जिसने सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से केस लड़ रहे वकीलों के परामर्श से पदोन्नति के नए नियम तैयार किए। हालांकि, अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों ने इन नियमों को मानने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि समिति ने पुराने नियमों को ही नए रूप में पेश किया है।

कोर्ट के आदेश पर मिली पदोन्नति

प्रदेश में पदोन्नति पर रोक के बावजूद विभिन्न विभागों के 500 से ज्यादा कर्मचारियों को प्रमोशन मिला। दरअसल, स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी धीरेंद्र चतुर्वेदी ने सबसे पहले इस रोक के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद सरकार को पदोन्नति के आदेश दिए और चतुर्वेदी को पदोन्नति दी। इसके बाद अलग-अलग विभागों के कर्मचारियों ने भी कोर्ट में याचिका दी और कोर्ट के आदेश पर उनकी पदोन्नति की गई।

एमपी में अगले साल 5% कर्मचारी रिटायर हो जाएंगे

मध्यप्रदेश में कुल 6 लाख 6 हजार 876 कर्मचारी हैं, जो प्रथम श्रेणी से लेकर चतुर्थ श्रेणी तक के हैं। इनमें 8 हजार 286 क्लास वन अधिकारी, 40 हजार 20 क्लास टू अधिकारी, 5 लाख 48 हजार क्लास थ्री कर्मचारी और 58 हजार 522 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल हैं।

31 मार्च 2024 तक इन चारों श्रेणियों में 60 साल से अधिक उम्र के कर्मचारियों की संख्या 27 हजार 921 है, जो कुल कर्मचारियों का 5% हैं। इसका अर्थ है कि 2026 तक ये कर्मचारी 62 साल की उम्र में रिटायर हो जाएंगे।

हम पदोन्नति के रास्ते पर सही दिशा में बढ़ेंगे। 

14 मार्च को विधानसभा में सीएम मोहन यादव ने कहा था कि हम किसी भी विभाग में पद रिक्त नहीं रहने देंगे। विपक्ष अगर थोड़ी मदद करेगा, तो हम पदोन्नति के रास्ते पर भी सही दिशा में आगे बढ़ेंगे। हम सभी वर्गों के अटके पदोन्नतियों का समाधान तलाश रहे हैं, ताकि नीचे के पद खाली हों और उन्हें हमारी सरकार द्वारा भरने का काम हो सके।

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