मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग को अवमानना नोटिस जारी किया है। यह नोटिस कोर्ट के निर्देशों के बावजूद 2018 में हाईस्कूल शिक्षकों की भर्ती के नियमों में संशोधन न करने पर जारी किया गया। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया और उच्च न्यायालय ने स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और डीपीआई कमिश्नर को अवमानना नोटिस भेजा है।
निर्देशों का पालन न करने पर नोटिस
2018 में हाईकोर्ट ने हाईस्कूल शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। कोर्ट ने आदेश दिया था कि ओबीसी, एससी, एसटी और दिव्यांगों को निर्धारित योग्यता में 5 प्रतिशत की छूट दी जाए।
इसके साथ ही, हाईकोर्ट ने 17 मार्च 2025 तक राज्य सरकार को इन नियमों में संशोधन करने का निर्देश दिया था। हालांकि, सरकार ने निर्धारित समयसीमा में इन नियमों में कोई बदलाव नहीं किया, जिससे हजारों अभ्यर्थियों की नियुक्तियों पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
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कोर्ट के आदेशों की अनदेखी
हाईकोर्ट के निर्देशों की अनदेखी के कारण हजारों योग्य अभ्यर्थियों को शिक्षक भर्ती में नियुक्ति नहीं मिल सकी। कोर्ट ने इस पर नाराजगी व्यक्त की और इसे गंभीर उल्लंघन माना। इसके बाद अवमानना नोटिस जारी किया गया।
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शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी
अब शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि विभाग ने कुछ दिनों में इस मुद्दे का समाधान नहीं किया, तो कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
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3 प्वाइंट्स में समझे पूरी स्टोरी
✅ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग को अवमानना नोटिस जारी किया है। 2018 में हाईस्कूल शिक्षकों की भर्ती के नियमों में संशोधन का आदेश देने के बावजूद विभाग ने अब तक कोई बदलाव नहीं किया।
✅ कोर्ट ने 2018 में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को असंवैधानिक घोषित किया था। ओबीसी, एससी, एसटी और दिव्यांगों को 5 प्रतिशत छूट देने का आदेश दिया था। इसके साथ ही, 17 मार्च 2025 तक नियमों में बदलाव करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन सरकार ने इसे लागू नहीं किया।
✅अब शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करने के कारण अवमानना नोटिस का सामना करना पड़ेगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि विभाग ने जल्द समाधान नहीं किया, तो कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
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