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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी भर्ती परीक्षा 2020 में हुई कथित गड़बड़ी को लेकर दायर एक याचिका पर सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। जस्टिस विवेक जैन की सिंगल बेंच ने स्पष्ट कहा कि सरकार का जवाब अदालत को गुमराह करने वाला है और जब तक जुर्माना अदा नहीं किया जाएगा, तब तक उसका जवाब स्वीकार नहीं किया जाएगा।
अदालत ने सरकार पर 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया है, जिसे विधिक सेवा समिति में जमा करना होगा। इस मामले की अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को होगी।
ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी भर्ती का मामला
प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (PEB) भोपाल ने 10 नवंबर 2020 को ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के 614 पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। इनमें 166 पद UR (अनारक्षित), 61 पद EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग), 98 पद SC (अनुसूचित जाति), 123 पद ST (अनुसूचित जनजाति) और 166 पद OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) के लिए निर्धारित किए गए थे। लिखित परीक्षा के बाद जो कटऑफ निकला, उसने पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए।
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ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी भर्ती में अनारक्षित वर्ग (UR) का कटऑफ 137.50 अंक रहा, जबकि ओबीसी वर्ग का कटऑफ 140.75 अंक निकला। सामान्य तौर पर ओबीसी के मेरिटोरियस अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में शामिल किया जाना चाहिए था, लेकिन सरकार ने उन्हें उनके ही आरक्षित वर्ग में चयनित कर दिया। नतीजा यह हुआ कि ओबीसी का कटऑफ ज्यादा और अनारक्षित का कटऑफ कम हो गया।
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आरक्षित वर्ग के मेधावी उम्मीदवारों के साथ भेदभाव
इस मामले में याचिकाकर्ता सुरेंद्र यादव (तेंदूखेड़ा, दमोह) ने इस विसंगति को हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ताओं विनायक प्रसाद शाह और पुष्पेंद्र शाह ने कोर्ट को बताया कि यह पूरी प्रक्रिया मध्य प्रदेश आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(4) का उल्लंघन है। अधिनियम के मुताबिक, जो भी आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी अनारक्षित कटऑफ से अधिक अंक लाते हैं, उन्हें अनारक्षित वर्ग में गिना जाना चाहिए। लेकिन सरकार ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया, जिससे ओबीसी अभ्यर्थियों का हक मारा गया।
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हाईकोर्ट ने सरकार पर लगाया 10 हजार का जुर्माना
सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता ओबीसी वर्ग से हैं और उनके अंक 136.49 हैं, जबकि अनारक्षित वर्ग के अंतिम चयनित उम्मीदवार के अंक 137.50 हैं। इसलिए याचिका खारिज की जानी चाहिए।
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लेकिन कोर्ट ने कहा कि सरकार याचिका के मुख्य सवाल पर चुप है कि आखिर अनारक्षित वर्ग से ज्यादा अंक पाने वाले ओबीसी अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में क्यों नहीं लिया गया? इस पर जवाब न मिलने से नाराज़ कोर्ट ने सरकार पर 10,000 का जुर्माना लगा दिया। इसके साथ ही, कोर्ट ने सरकार को दो हफ्तों में जवाब के साथ हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 27 अक्टूबर को तय की गई है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला अब चर्चा का विषय बना हुआ है।