हाई स्पीड सड़कों का हब बनेगा MP, केंद्र सरकार के मास्टर प्लान से मिलेगी रफ्तार

मध्य प्रदेश में हाई स्पीड कॉरिडोर के विस्तार की योजना बनाई जा रही है। जबलपुर को केंद्र मानकर चार कॉरिडोर प्रस्तावित हैं, जो विभिन्न राज्यों को जोड़ेंगे। लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने केंद्र सरकार से 9 और सड़कों को पहले चरण में जोड़ने की मांग की है।

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Siddhi Tamrakar
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मंत्री नितिन गडकरी (काले कोट में) और मंत्री राकेश सिंह (सफेद कुर्ते में)

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मध्य प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की और प्रदेश में हाई स्पीड कॉरिडोर के विस्तार की मांग रखी। उन्होंने मास्टर प्लान में और ज्यादा सड़कों को शामिल करने का सुझाव दिया ताकि उनका निर्माण पहले चरण में ही शुरू हो सके।

PWD RAKESH SINGH MEET NITIN GADKARI

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जबलपुर से 4 प्रमुख हाई स्पीड कॉरिडोर का दिया प्रस्ताव

राज्य सरकार जबलपुर को केंद्र बनाकर चार हाई स्पीड कॉरिडोर बनाने की योजना पर काम कर रही है। इन कॉरिडोर के जरिए जबलपुर को विभिन्न राज्यों से जोड़ा जाएगा। प्रस्तावित रूट इस प्रकार हैं:

  • जबलपुर-प्रयागराज
  • जबलपुर-नागपुर
  • जबलपुर-अंबिकापुर-वाराणसी
  • लखनादौन-रायपुर

इसके अलावा, जबलपुर से भोपाल और इंदौर होते हुए राजस्थान के उदयपुर और जैसलमेर तक भी हाई स्पीड कॉरिडोर विकसित करने की योजना पर विचार किया जा रहा है।

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पहले चरण में किन सड़कों को जोड़ने की मांग?

लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए जा रहे मास्टर प्लान के पहले चरण में कुछ रास्तों को शामिल किया गया है। इनमें प्रमुख तौर पर जबलपुर-प्रयागराज, जबलपुर-नागपुर, जबलपुर-भोपाल, लखनादौन-रायपुर, इंदौर-भोपाल, आगरा-मुरैना-ग्वालियर और झांसी-सागर मार्ग शामिल हैं।

उन्होंने केंद्रीय मंत्री से अतिरिक्त 9 मार्गों को भी पहले चरण में जोड़ने का आग्रह किया है:

  • जबलपुर-बैकुंठपुर (अंबिकापुर)-वाराणसी
  • जैसलमेर-उदयपुर-इंदौर-नागपुर
  • इंदौर-घुले-पुणे
  • ग्वालियर-बरेली
  • ग्वालियर-इंदौर
  • कानपुर-सागर-भोपाल
  • गोधरा-इंदौर
  • कोटा-सागर

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हाई स्पीड कॉरिडोर और नेशनल हाईवे में क्या अंतर है?

नेशनल हाईवे चार लेन के होते हैं और अच्छी सुविधाएं देते हैं, लेकिन हाई स्पीड कॉरिडोर इससे अलग होते हैं। ये 6 से 8 लेन के होते हैं और इन पर वाहनों की स्पीड सीमित नहीं होती। ये सड़कें सीधी बनाई जाती हैं ताकि यातायात बिनी किसी बाधा के चल सके।

इन कॉरिडोर में बड़े गोलाकार चौराहे होते हैं, जो दूसरे सड़कों से संपर्क जोड़ने में मदद करते हैं। अंडर ब्रिज का निर्माण किया जाता है, ताकि छोटे रास्तों को बाईपास किया जा सके और ट्रैफिक की रफ्तार बनी रहे।

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हाई स्पीड कॉरिडोर में GPS ट्रैकर से होगी निगरानी

हाई स्पीड कॉरिडोर में कई आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा:

  • स्पीड सेंसर और जीपीएस ट्रैकर से निगरानी
  • दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सड़क के दोनों ओर सुरक्षा दीवारें
  • 24 घंटे एंबुलेंस सेवाएं
  • समय और ईंधन की बचत

इन कॉरिडोर के बनने से शहरों के बीच सफर तेज और सुगम हो जाएगा, जिससे राज्य और देश के आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी।

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