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मध्यप्रदेश के सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. सर्वेश जैन ने हाल ही में फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर की। जिसमें उन्होंने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी और सागर संभाग के पूर्व कमिश्नर वीरेंद्र सिंह रावत पर गंभीर आरोप लगाए।
डॉ. जैन ने इस पोस्ट के माध्यम से न केवल अपनी वेतन वृद्धि रुकवाने के संबंध में अपनी नाराजगी जाहिर की, बल्कि अन्य मुद्दों को भी उठाया। जिस पर चर्चा शुरू हो गई है। आइए जानते हैं कि इस पोस्ट में डॉ. जैन ने क्या कहा और यह मामला किस दिशा में बढ़ सकता है।
IAS अधिकारी को उड़द दाल से बचने की सलाह
डॉ. सर्वेश जैन ने फेसबुक पोस्ट में कहा कि आईएएस अधिकारी को उड़द की दाल से बचना चाहिए, क्योंकि इसके सेवन से गुस्सा, अहंकार, वासना और धन की लालसा जैसे तामसिक भाव उत्पन्न हो सकते हैं।
जानें सर्वेश जैन की वेतनवृद्धि रोकने का मामला
22 अगस्त 2023 को तत्कालीन सागर संभाग आयुक्त वीरेंद्र सिंह रावत ने अनियमितताओं के आरोप में प्रोफेसर डॉ. सर्वेश जैन की वेतन वृद्धि रोकने का आदेश जारी किया था। इस आदेश से नाराज होकर डॉ. जैन ने यह पोस्ट रिटायर्ड आईएएस अधिकारी वीरेंद्र सिंह रावत को संबोधित करते हुए लिखा। उन्होंने आरोप लगाया कि यह आदेश प्रशासनिक अधिकारों का दुरुपयोग था और इसे एकतरफा लिया गया था।
सामूहिक रूप से लिया जाना चाहिए निर्णय
डॉ. जैन ने अपनी पोस्ट में यह स्पष्ट किया कि इस निर्णय को लेने का अधिकार केवल आयुक्त के पास नहीं था। क्योंकि, कॉलेज की कार्यकारिणी समिति ही इस प्रकार के निर्णय लेने के लिए अधिकृत थी। उन्होंने कहा कि समिति का अध्यक्ष भले ही कमिश्नर हो, लेकिन निर्णय सामूहिक रूप से लिया जाना चाहिए।
डॉ. जैन ने पत्र में आगे लिखा- चित भी मेरी, पट भी मेरी और अंटा मेरे मामा का। इसी तर्ज पर आपने आदेश जारी कर दिया। बाद में कार्यकारिणी समिति से कार्योत्तर स्वीकृति ली गई, जो नियमों में केवल आपातकालीन स्थिति में निर्णय को वैध ठहराने के लिए है, न कि किसी आईएएस अधिकारी के अहंकार को संतुष्ट करने के लिए।
भ्रष्टाचार और केंद्रीकरण का आरोप
डॉ. जैन ने आरोप लगाया कि उस समय मेडिकल कॉलेज में नियुक्तियों और प्रमोशन में भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया था कि भोपाल स्थित सतपुड़ा और वल्लभ भवन से व्यवस्थाओं को केंद्रीकरण कर दिया गया। उन्होंने उदाहरण के तौर पर कहा- अखिल भारतीय सेवाओं का पिता लॉर्ड कार्नवालिस था, लेकिन आप और हम एक जैसे ही हैं। याद रखिए, खास से आम बनने का सफर बहुत जल्दी तय होता है।
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इंक्रीमेंट रोकने का असली कारण
डॉ. जैन का दावा है कि उनकी वेतन वृद्धि इसलिए रोकी गई क्योंकि, उन्होंने एक ऐसा प्रस्ताव दिया था, जिसमें यह कहा गया था कि सरकारी अधिकारी और कर्मचारी जिन्हें सरकार से वेतन भत्ते मिलते हैं। उन्हें सरकारी अस्पतालों में ही इलाज कराना चाहिए।
उनका यह प्रस्ताव सरकारी कर्मचारियों की ओर से प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाकर रीइंबर्समेंट प्राप्त करने की प्रथा को समाप्त करने के उद्देश्य से था। इसके बाद तत्कालीन संभागायुक्त रावत ने उनकी एक वेतन वृद्धि रोक दी थी। प्रोफेसर डॉ. सर्वेश जैन ने अपनी वेतन वृद्धि रोकने के खिलाफ हाईकोर्ट में केस दायर किया है, जो अभी भी चल रहा है। इधर, रिटायर्ड आईएएस वीरेंद्र सिंह ने डॉक्टर सर्वेश जैन के आरोपों पर किसी भी तरह का जवाब नहीं दिया है।