अक्षय बम ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़ने के लिए शपथपत्र में पहले BJP की चाल बताया था, अब इसे बताया जिम्मेदार

अक्षय बम के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़ने और भाजपा जॉइन करने के बाद उनके शपथपत्र में किए गए बदलाव और आरोपों का विश्लेषण द सूत्र की इस खबर में पढ़ें...

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Sanjay Gupta
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लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से इंदौर सीट के लिए टिकट पाए अक्षय कांति बम ने अचानक से नामांकन फॉर्म वापस लिया और रातों-रात बीजेपी में शामिल हो गए। नतीजतन, कांग्रेस उम्मीदवार विहीन हो गई और उसे लोकसभा चुनाव में नोटा को समर्थन करना पड़ा। बीजेपी उम्मीदवार शंकर लालवानी ने वोटों के हिसाब से देश की सबसे बड़ी जीत हासिल की।

'द सूत्र' ने इस मामले में अक्षय बम के शपथपत्र के आधार पर खुलासा किया था, जो उन्होंने कोर्ट में दिया था। इसमें उन्होंने अपने कांग्रेस के टिकट पर नामांकन फॉर्म वापस लेने के लिए बीजेपी को ही जिम्मेदार बताया और बीजेपी की चाल बताया था। वह भी ऑन रिकॉर्ड। अब उनके द्वारा दायर की गई नई याचिका में इस एफिडेविट में उन्होंने नामांकन फॉर्म वापस लेने के लिए इन्हें जिम्मेदार बताया है।

इस याचिका में पहले शपथपत्र में यह दावा किया गया था

अक्षय कांति बम और उनके पिता कांतिलाल बम पर जिला कोर्ट ने 24 अप्रैल 2024 को युनूस पटेल के आवेदन पर धारा 307 (हत्या के प्रयास) लगाने के आदेश दिए थे। इस आदेश के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट इंदौर में रिट पिटीशन 43350/2024 दायर की थी। इसमें अक्षय बम ने शपथपत्र पेश किया। इसमें कहा कि-

याचिकाकर्ता नंबर 1 (अक्षय बम) को चुनाव के लिए कांग्रेस (आई) पार्टी का आधिकारिक उम्मीदवार घोषित किया गया था, इसलिए बीजेपी ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ धारा 307, आईपीसी के तहत अपराध को बदलने के लिए आवेदन दायर करने के लिए उन पर दबाव डाला है। कृपया ध्यान दें कि बीजेपी पार्टी इस चाल में सफल रही, क्योंकि याचिकाकर्ता संख्या 1 ने चुनाव से अपना नाम वापस ले लिया।

यानी सरल शब्दों में कहा जाए तो बम ने आवेदन में कहा था कि बीजेपी ने दबाव डाला था कि उन पर अपराध को धारा 307 में बदला जाए, क्योंकि वह चुनाव के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार घोषित हो चुके थे। बम के आवेदन में जोर देकर लिखा है कि कृपया ध्यान दें (नोटिस करें) कि बीजेपी पार्टी इस चाल में सफल रही और याचिकाकर्ता संख्या 1 यानी अक्षय बम ने चुनाव से नाम वापस ले लिया।

यह पुराना शपथपत्र जिसमें उन्होंने कांग्रेस छोड़ने और नामांकन वापस लेने को बीजेपी की चाल बताया था

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अब इस नई याचिका में शपथपत्र में यह लिखा है-

अब अक्षय बम और उनके पिता कांति बम ने एक बार फिर हाईकोर्ट में धारा 307 को खत्म करने के लिए याचिका दायर की है। पूर्व याचिका में अपने पक्ष में आदेश नहीं मिलने पर उन्होंने रिवीजन याचिका, जिसका क्रमांक CRR 1483/2025 है, दायर की है। इसमें उन्होंने शपथपत्र फिर से दिया है। अब इसमें बदलाव करके यह लिखा है-

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि चूंकि याचिकाकर्ता संख्या 1 (अक्षय बम) को वर्ष 2024 के चुनावों के लिए कांग्रेस (आई) पार्टी का आधिकारिक उम्मीदवार घोषित किया गया था, इसलिए राजनीतिक कारणों से प्रतिवादी संख्या 2 (यानी युनुस पटेल) ने याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 307 के अंतर्गत अपराध में परिवर्तन हेतु आवेदन प्रस्तुत किया है। कृपया ध्यान दें कि प्रतिवादी संख्या 2 इस चाल में सफल रहा, क्योंकि याचिकाकर्ता संख्या 1 ने चुनाव से अपना नाम वापस ले लिया।

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'द सूत्र' के खुलासे से भद पिटने के बाद यह किया बम ने-

इस नए शपथपत्र में भी अक्षय बम की भाषा वही है, बस उन्होंने इसमें 'द सूत्र' के खुलासे के बाद भद पिटने और बीजेपी से फटकार लगने के बाद बीजेपी शब्द हटा दिया है और इसकी जगह प्रतिवादी नंबर दो यानी युनुस पटेल का नाम डाल दिया है। यानी वह अभी भी ऑन रिकॉर्ड यही मानते हैं कि कांग्रेस से नामांकन फॉर्म वापस उठाने और बीजेपी में जाने की वजह यही केस धारा 307 वाला ही था। इसी के चलते दबाव में उन्होंने कांग्रेस का नामांकन फॉर्म उठाया और बीजेपी में गए।

ये नया शपथ पत्र इसमें कांग्रेस छोड़ने के रीजन में बीजेपी शब्द हटा दिया
ये नया शपथ पत्र इसमें कांग्रेस छोड़ने के रीजन में बीजेपी शब्द हटा दिया

लोकसभा चुनाव में कब क्या हुआ घटनाक्रम देखिए

👉अक्षय बम नवंबर 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट चाहते थे, लेकिन वह राजा मंधवानी को मिल गया। बाद में 16 मार्च 2024 को देश में लोकसभा चुनाव घोषित हुए। बीजेपी से शंकर लालवानी प्रत्याशी बने। वहीं बम को 24 मार्च को कांग्रेस ने इंदौर लोकसभा सीट के प्रत्याशी घोषित कर दिया।

👉बम ने 25 अप्रैल को शहराध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्ढा, जिलाध्यक्ष सदाशिव यादव, प्रमोद टंडन आदि के साथ जाकर नामांकन दाखिल कर दिया। उनकी संपत्ति 75 करोड़ से ज्यादा है और लाखों की रोलेक्स घड़ी पहनते हैं।

👉इंदौर लोकसभा चुनाव, कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ. अक्षय कांति बम (जैन), 29 अप्रैल को सुबह कांग्रेस नेता, कार्यकर्ताओं के साथ सुबह नौ बजे तक चोइथराम मंडी में प्रचार करते हैं और फिर घर नहाने जाने का बोलकर रवाना होते हैं। फिर सुबह 11 बजे अचानक कलेक्टोरेट में जिला निर्वाचन अधिकारी यानी कलेक्टर आशीष सिंह के दफ्तर में हलचल होती है, बम बीजेपी के विधायक रमेश मेंदोला व अन्य नेताओं के साथ वहां पहुंचते हैं, दो मिनट में चुनाव से अपना नाम वापस लेने के आवेदन पर हस्ताक्षर करते हैं और दो मिनट में ही रवाना हो जाते हैं।

👉कुछ देर में एक सेल्फी सामने आती है, नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की इसमें वह कार में आगे हैं और उनके पीछे बम और रमेश मेंदोला बैठे हुए हैं।

👉इसी दिन 29 अप्रैल की शाम को बम बीजेपी दफ्तर में जाते हैं और सीएम डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में बीजेपी जॉइन कर लेते हैं।

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बम ने बीजेपी में जाने का कारण यह बताया था-

बम ने कांग्रेस से बीजेपी में जाने पर सबसे पहले कहा था कि राष्ट्रहित और सनातन सर्वोपरि है। उल्लेखनीय है कि उस दौरान राम मंदिर प्रतिष्ठा में कांग्रेस नहीं गई थी और इस दौरान कई नेताओं ने इसी बात का हवाला देकर कांग्रेस छोड़ी थी। इसमें संजय शुक्ला, विशाल पटेल जैसे इंदौर के पूर्व विधायक भी शामिल थे। बाद में 5 मई को बम ने बीजेपी दफ्तर इंदौर में प्रेस कांफ्रेंस की थी। इसमें कैलाश विजयवर्गीय व अन्य नेता उपस्थित थे। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि- मैंने जीतू पटवारी से तीन बार बात करते हुए असहयोग का मुद्दा उठाया था, मेरे चुनाव कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए। दो घंटे तक बड़े नेता एयरपोर्ट लाउंज में रहे लेकिन मेरा प्रचार नहीं किया। उनसे जब पूछा गया कि क्या हत्या के प्रयास की धारा के कारण वह बीजेपी में गए तो इस पर कहा था कि कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित होने के बाद इस तरह के मामले जानबूझकर लाए गए।

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