/sootr/media/media_files/2025/09/23/sc-obc-reservation-ladyi-2025-09-23-15-44-41.jpg)
24 सितंबर बुधवार से ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से ठीक पहले ओबीसी वर्ग में गुटबाजी खुलकर सामने आने लगी है। अब यह विवाद सिर्फ विचारों तक सीमित नहीं रहा बल्कि पुलिस थाने तक पहुंच चुका है। ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय कोर कमेटी सदस्य एडवोकेट वैभव सिंह लोधी ने गंभीर आरोप लगाते हुए गोरखपुर थाने में लिखित शिकायत दी है, जिसमें उन्हें जान से मारने की धमकी मिलने की बात कही गई है।
फोन कॉल से शुरू विवाद पहुंचा धमकी तक
एडवोकेट वैभव सिंह लोधी का आरोप है कि 21 सितंबर की देर रात उन्हें रामेश्वर ठाकुर के फोन से कॉल आया। बातचीत के दौरान रामेश्वर ने फोन अपने साथी वरुण सिंह को थमा दिया। वरुण ने न केवल गाली-गलौज की, बल्कि उन पर मनगढ़ंत आरोप लगाते हुए कहा कि तुम लोगों ने धोखा दिया है, मैं तुम सबको घर में घुसकर जान से मार दूंगा। यही नहीं, वरुण ने अपने ही मोबाइल से दोबारा फोन कर धमकी दोहराई। शिकायत में लोधी ने इस पूरी साजिश में वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर की मिलीभगत बताई है।
ये भी पढ़िए... सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण पर सुनवाई से पहले दक्षिण भारतीय वकील के घर बैठक
सांसद, विधायकों को भी गाली देने के आरोप
शिकायत में यह भी कहा गया कि बातचीत के दौरान अधिवक्ता वरुण सिंह ने एजी एड प्रशांत सिंह, पूर्व एजी एड और कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा, मध्यप्रदेश के दमोह के भाजपा सांसद राहुल सिंह, बरगी के भाजपा विधायक नीरज सिंह और पूर्व विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधीतक को गालियां दीं। लोधी का कहना है कि यह पूरा घटनाक्रम न केवल व्यक्तिगत दुश्मनी से प्रेरित है बल्कि ओबीसी वर्ग को भीतर से कमजोर करने की चाल भी है। हालांकि ऐसे ही आरोप ओबीसी वर्ग के अधिवक्ताओं के द्वारा भी लगाए जा रहे हैं।
फेसबुक पोस्ट से चर्चा तेज, फिर हुई डिलीट
एडवोकेट वैभव सिंह लोधी ने यह पूरा घटनाक्रम अपने फेसबुक प्रोफाइल पर भी पोस्ट किया था। हालांकि बाद में उन्होंने पोस्ट डिलीट कर दिया, लेकिन पुलिस में दी गई शिकायत अब पूरे विवाद को नया मोड़ देती दिख रही है। लोधी ने सरकार से सुरक्षा की मांग करते हुए अपने बैंक अकाउंट की जांच सार्वजनिक कराने की बात भी कही है, ताकि उन पर लगे आरोपों की सच्चाई सामने आ सके। इस मामले में द सूत्र ने जब अधिवक्ता वैभव लोधी से बात करने के लिए समय मांगा तो उन्होंने पहले समय तो दिया, लेकिन उसके बाद सुप्रीम कोर्ट की याचिका से जुड़ी व्यस्तता के चलते वह मिल नहीं पाए।
अधिवक्ताओं ने बताया इसे सुनियोजित साजिश
दूसरी ओर ओबीसी वर्ग से जुड़े अधिवक्ताओं ने इस पूरे घटनाक्रम को महज एक षड्यंत्र बताया है। उनका कहना है कि यह विवाद जानबूझकर खड़ा किया जा रहा है और इसके पीछे भी महाधिवक्ता प्रशांत सिंह का हाथ बताया जा रहा है। हालांकि कोई भी पक्ष इस मामले पर खुलकर कैमरे के सामने बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन यह साफ है कि ओबीसी वर्ग के भीतर अब बड़ा विभाजन सामने आ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण पर होने वाली अहम सुनवाई से पहले ही ओबीसी समाज के भीतर खींचतान और आरोप-प्रत्यारोप ने मामले को और जटिल बना दिया है। पुलिस में दी गई शिकायत और गंभीर आरोप इस बात का संकेत हैं कि यह विवाद आने वाले दिनों में और तूल पकड़ सकता है।