Tikamgarh@ ऋषभ जैन
मध्य प्रदेश में भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ लोकायुक्त की कार्रवाई के बावजूद रिश्वतखोरी थमने का नाम नहीं ले रही है। ताजा मामला टीकमगढ़ के बल्देवगढ़ से सामने आया है, जहां सागर लोकायुक्त ने खाद्य विभाग के फूड इंस्पेक्टर 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। लोकायुक्त की टीम ने फूड इंस्पेक्टर पंकज करोरिया को उनके बंगले से गिरफ्तार किया। यह रिश्वत एक विक्रेता से ली जा रही थी। इससे पहले, खरगापुर की विधायक चंदा सुरेंद्र सिंह गौर ने भी भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर कई पत्र लिखे थे, लेकिन कार्रवाई की कोई ठोस योजना नहीं बन पाई।
पंकज करोरिया पर पहले भी थे गंभीर आरोप
फूड इंस्पेक्टर पंकज करोरिया पर इससे पहले भी कई गंभीर आरोप लग चुके हैं, जिनमें खाद्यान्न की कालाबाजारी से लेकर अनाधिकृत जांच तक शामिल हैं। ग्वालियर में खाद्यान्न कालाबाजारी मामले में विक्रेताओं ने एफआईआर भी दर्ज कराई थी, फिर भी वह अपने पद पर बने हुए हैं। इसके अलावा, 26 अप्रैल 2022 को जबलपुर हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया था कि पंकज करोरिया किसी भी दुकान की जांच नहीं कर सकते, लेकिन इस आदेश का खुलेआम उल्लंघन किया गया।
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बल्देवगढ़ और जतारा में जमकर भ्रष्टाचार
आरोप है कि बल्देवगढ़ क्षेत्र में फूड इंस्पेक्टर पंकज करोरिया ने कई विक्रेताओं से हर महीने एक हजार रुपए की रिश्वत ली है। एक विक्रेता ने नाम न बताने की शर्त पर यह जानकारी दी। वहीं, जतारा में कई दुकानों में खाद्यान्न की कालाबाजारी की शिकायतें आई हैं, लेकिन फूड इंस्पेक्टर की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। यही नहीं, विक्रेताओं को बिना किसी ठोस कार्रवाई के बदल दिया गया, जबकि कई बार ग्रामीणों ने इसकी शिकायत की।
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बार-बार की शिकायत, लेकिन कोई सुधार नहीं
बल्देवगढ़ क्षेत्र में कई बार विक्रेताओं ने भ्रष्ट्राचार को लेकर शिकायत की गई। विक्रेताओं का कहना है कि कार्रवाई न होने के पीछे सिस्टम का समर्थन है। विक्रेताओं से रिश्वत लेना और मामले को रफा-दफा कर देना, यहां का एक आम खेल बन चुका है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कब तक इस भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जाएगा और कब तक आम जनता इसके खिलाफ आवाज उठाने में असमर्थ रहेगी।
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5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला
✅ सागर लोकायुक्त ने टीकमगढ़ में फूड इंस्पेक्टर पंकज करोरिया को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा।
✅ पंकज करोरिया पर खाद्यान्न की कालाबाजारी और अनाधिकृत जांच जैसे गंभीर आरोप पहले भी लग चुके हैं।
✅ बल्देवगढ़ और जतारा में भ्रष्टाचार की कई शिकायतें होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।
✅ विक्रेताओं से रिश्वत की वसूली और मामले को रफा-दफा करने की प्रवृत्ति आम हो चुकी है।
✅ खरगापुर विधायक चंदा सुरेंद्र सिंह गौर ने भी भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर कई पत्र लिखे थे, लेकिन कार्रवाई की कोई ठोस योजना नहीं बन पाई।
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