मंत्री इंदर सिंह परमार से मीसाबंदी ने सम्मान लेने से किया इनकार, कलेक्टर ने भी की जी हुजूरी, मचा हड़कंप

मध्य प्रदेश में मीसाबंदी संतोष भारती ने स्वतंत्रता दिवस पर मीसाबंदी सम्मान लेने से इनकार कर दिया। इस दौरान मंत्री इंदर सिंह परमार ने उन्हें मनाने की भी कोशिश की।

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Mishabandi
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मध्य प्रदेश में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन बड़े धूमधाम से किया गया। इस मौके पर दमोह जिले में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें मीसाबंदी सम्मान समारोह भी शामिल था। इस समारोह में मध्य प्रदेश शासन में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार और दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर की उपस्थिति में कई मीसाबंदियों को सम्मानित किया गया। हालांकि, जब संतोष भारती नाम के एक मीसाबंदी को सम्मान देने की बारी आई, तो उन्होंने इस सम्मान को ठुकरा दिया। इस घटना ने सभी को चौंका दिया और वहां हड़कंप मच गया।

संतोष भारती का सम्मान लेने से इनकार

मंत्री इंदर सिंह परमार और कलेक्टर सुधीर कोचर ने संतोष भारती को सम्मानित करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इसका पूरी तरह से विरोध किया। संतोष भारती ने कहा कि वह सम्मान के भूखे नहीं हैं, बल्कि उन्हें सिर्फ न्याय चाहिए। उन्होंने इस मौके पर बताया कि 40 साल पहले सरकार ने उन्हें एक छोटा सा मकान आवंटित किया था, लेकिन अब तक उसकी रजिस्ट्री नहीं हो पाई। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर उन्होंने हर लेवल पर कोशिश की, यहां तक कि हाईकोर्ट से भी यह मामला जीत लिया, फिर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

मंत्री और कलेक्टर से किया जवाब-तलब

इस घटना के बाद जब मीडिया ने प्रभारी मंत्री से इस बारे में सवाल पूछा, तो उन्होंने किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से बचते हुए कार्यक्रम छोड़ दिया। इस घटना ने सरकार के कार्यों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर मंत्री के पेश किए गए विकास रोडमैप को लेकर। संतोष भारती ने इसे झूठा और जनता को गुमराह करने का प्रयास बताया। उनका कहना था कि यह विकास रोडमैप इलाके के बुद्धिजीवियों की राय से नहीं, बल्कि केवल एक दिखावा था।

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विकास रोडमैप पर सवाल

मीसाबंदी संतोष भारती ने यह भी आरोप लगाया कि मंत्री द्वारा पेश किया गया विकास रोडमैप केवल एक दिखावा है और इसमें जनता के वास्तविक मुद्दों का कोई समाधान नहीं है। उनके अनुसार, यह दस्तावेज क्षेत्रीय बुद्धिजीवियों की राय से तैयार नहीं किया गया, जैसा कि दावा किया जा रहा था, बल्कि इसके पीछे कोई ठोस योजनाएं नहीं थीं।

मंत्री इंदर सिंह परमार से जुड़ी इस खबर को पांच प्वाइंट में समझिए

  • स्वतंत्रता दिवस समारोह: 15 अगस्त को दमोह जिले में स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान मीसाबंदी सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसमें इंदर सिंह परमार और कलेक्टर सुधीर कोचर उपस्थित थे।

  • संतोष भारती का विरोध: मीसाबंदी संतोष भारती ने सम्मान लेने से इंकार कर दिया, उन्होंने कहा कि वे सम्मान के नहीं, बल्कि न्याय के भूखे हैं।

  • मकान की रजिस्ट्री नहीं: संतोष भारती ने बताया कि 40 साल पहले सरकार ने उन्हें एक छोटा सा मकान आवंटित किया था, लेकिन उसकी रजिस्ट्री आज तक नहीं हो पाई है।

  • मंत्री और कलेक्टर की चुप्पी: मीडिया द्वारा सवाल पूछे जाने पर मंत्री इंदर सिंह परमार और कलेक्टर ने प्रतिक्रिया देने से बचते हुए कार्यक्रम छोड़ दिया।

  • विकास रोडमैप पर आरोप: संतोष भारती ने मंत्री की ओर से पेश किए गए विकास रोडमैप को झूठा और दिखावटी बताया और कहा कि इसमें जनता के वास्तविक मुद्दों का समाधान नहीं है।

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क्या है मीसाबंदी और उससे जुड़ा इतिहास

मीसा (Maintenance of Internal Security Act) के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को मीसाबंदी कहते हैं। मीसा एक विवादास्पद कानून था जो 1971 में भारत में लागू किया गया था, जिसके तहत सरकार को बिना किसी मुकदमे के लोगों को अनिश्चित काल तक हिरासत में रखने का अधिकार था।

1975 से 1977 तक आपातकाल के दौरान, इस कानून का व्यापक रूप से राजनीतिक विरोधियों और असंतुष्टों को चुप कराने के लिए इस्तेमाल किया गया था। जो लोग मीसा के तहत हिरासत में लिए गए थे, उन्हें "मीसाबंदी" कहा जाता था। दूसरे शब्दों में कहे तो "मीसाबंदी" शब्द का यूज उन लोगों के लिए किया जाता है, जिन्हें 1971 से 1977 के बीच मीसा कानून के तहत हिरासत में लिया गया था। 

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FAQ

संतोष भारती ने सम्मान क्यों ठुकराया?
संतोष भारती ने बताया कि उन्हें 40 साल पहले सरकार से एक छोटा मकान आवंटित किया गया था, लेकिन उसकी रजिस्ट्री अब तक नहीं हुई। उन्होंने मंत्री द्वारा पेश किए गए विकास रोडमैप को झूठा बताते हुए आरोप लगाया कि यह सिर्फ जनता को गुमराह करने की कोशिश है।
मध्य प्रदेश सरकार के विकास रोडमैप में क्या खामियां हैं?
संतोष भारती के अनुसार, मंत्री द्वारा पेश किया गया विकास रोडमैप वास्तविक समस्याओं का समाधान नहीं करता। यह दस्तावेज केवल दिखावा है और इलाके के बुद्धिजीवियों की राय से तैयार नहीं किया गया है। उन्होंने इसे सरकार की गुमराह करने वाली योजना बताया।

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