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मप्र क्रिकेट एसोसिएशन (एमपीसीए) ने दो सितंबर को वार्षिक साधारण सभा (AGM) की सूचना जारी कर दी है। यह सूचना नियमों को परे रखकर जारी की गई है। सूत्रों के अनुसार इसकी सूचना केंद्रीय मंत्री और एमपीसीए के पूर्व प्रेसीडेंट ज्योतिरादित्य सिंधिया से फोन पर प्रेसीडेंट अभिलाष खांडेकर के बीच हुई बातचीत के बाद तत्काल आनन-फानन में 12 अगस्त को जारी की गई है।
यह चुनावी एजीएम है, यानी इस बार तीन साल के लिए नई मैनेजिंग कमेटी का गठन होना है। लेकिन इसमें दो बातें अहम हैं: एक तो यह कि नियम और प्रक्रिया पूरे किए बिना ही इसे जारी किया गया है और दूसरा यह कि इसके पीछे एक बड़ी वजह है, सिंधिया के पुत्र महाआर्यमन की ताजपोशी में आ रहा एक बड़ा खतरा। जैसा कि द सूत्र ने 5 अगस्त को खुलासा किया था कि सिंधिया इस बार महाआर्यमन को एमपीसीए के प्रेसीडेंट पद पर लाने के लिए संभावनाएं तलाश रहे हैं। द सूत्र इन दोनों बातों का खुलासा कर रहा है।
एजीएम को बुलाने के इन नियमों को नहीं किया पूरा
एमपीसीए में एजीएम को मैनेजिंग कमेटी में बैठक कर प्रस्ताव पास करते हुए कम से कम 21 दिन पहले बुलाया जाता है। एमपीसीए ने 21 दिन के नियम का तो पालन किया (12 अगस्त से दो सितंबर के बीच ठीक 21 दिन होते हैं) लेकिन मैनेजिंग कमेटी की बैठक अभी तक हुई ही नहीं है। केवल प्रेसीडेंट खांडेकर को एजीएम बुलाने का अधिकार देने की बात कहते हुए यह सूचना जारी कर दी गई।
पहले सालाना आडिट पास होता है और फिर यह सात दिन के भीतर वित्तीय कमेटी के पास जाता है। इसके बाद मैनेजिंग कमेटी होती है। लेकिन आडिट के पास होकर वित्तीय कमेटी की मंजूरी लेना और इसे कमेटी में रखना, यह प्रक्रिया हुई ही नहीं है। क्योंकि अभी तक एजीएम ही नहीं हुई है। वित्तीय कमेटी में चेयरमैन विनित सेठिया हैं।
अब एजीएम आनन-फानन में बुलाने की अहम वजह
अब यह एजीएम आनन-फानन में बुलाने की असल वजह बताते हैं। यह वजह है हाल ही में लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास होने वाला नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल और नेशनल एंटी-डोपिंग संशोधन (2025) बिल। खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने इसे आजादी के बाद से भारतीय खेलों में सबसे बड़ा सुधार बताया है। इसे अब राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद यह कानून बन जाएगा। यानी यह किसी भी समय लागू हो सकता है।
अब इसके लागू होने से महाआर्यमन को क्या खतरा है?
इस बिल में एक खास बिंदु है। इसके तहत इसमें विभिन्न खेल संघों के प्रेसीडेंट, सचिव और कोषाध्यक्ष पद के लिए अहम नियम तय कर दिए गए हैं। इसके तहत किसी भी खेल संघ (एमपीसीए सहित) में प्रेसीडेंट, सचिव और कोषाध्यक्ष पद को अहम माना गया है और इन पदों पर वही व्यक्ति आ सकेगा जो पहले कमेटी के कार्यकारिणी सदस्य के पद पर रहा हो या फिर वह किसी डिवीजनल स्तर पर प्रेसीडेंट, सचिव या कोषाध्यक्ष पद पर रह चुका हो। यही नियम महाआर्यमन के एमपीसीए प्रेसीडेंट पद पर आने में सबसे बड़ी बाधा बन रहा है।
कारण यह है कि महाआर्यमन सिंधिया एमपीसीए में कभी भी कार्यकारिणी सदस्य के रूप में नहीं रहे और न ही अन्य किसी मैनेजिंग पद पर रहे हैं। एमपीसीए में वह लाइफटाइम मेंबर के रूप में दिसंबर 2022 में बने हैं।
दूसरा, वह ग्वालियर डिवीजनल क्रिकेट एसोसिएशन में पद पर हैं, लेकिन वह वाइस प्रेसीडेंट पद पर हैं। इस पद पर उन्हें अप्रैल 2022 में लाया गया था। यानी यदि वह इसमें प्रेसीडेंट, सचिव या कोषाध्यक्ष पद पर होते तो भी बात बन जाती, लेकिन वाइस प्रेसीडेंट को इस बिल में नहीं रखा गया है।
बिल के पहले एजीएम कराना जरूरी
यानी बात साफ है कि यदि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने पुत्र महाआर्यमन को एमपीसीए प्रेसीडेंट पद पर देखना है तो उन्हें इस बिल के लागू होने से पहले इसे करना होगा। एजीएम होकर महाआर्यमन की नियुक्ति होने के बाद बिल पास होने पर भी असर नहीं होगा क्योंकि बिल लागू होने के बाद यह प्रभावी होगा। वहीं फिर एक बार प्रेसीडेंट रहने के बाद वह तीन बार फिर इस पद के लिए योग्य रहेंगे।
एमपीसीए ने यह जारी किया है चुनावी कार्यक्रमएमपीसीए द्वारा एजीएम के तय एजेंडे के अनुसार चुनावी कार्यक्रम का शेड्यूल भी जारी किया गया है।
(एमपीसीए ने रिटायर आईएएस डॉ. एम मुदास्सर को चुनाव अधिकारी भी नियुक्त कर दिया है।) |
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