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Photograph: (The Sootr)
Bhopal. जबलपुर में इंडियन ऑर्थोपेडिक्स एसोसिएशन के एमपी चैप्टर ने 43वें वार्षिक सम्मेलन (MPIOACON 2025) का आयोजन किया। भारतीय अस्थि रोग संघ के एमपी चैप्टर (MPIOA) की तरफ से प्रोफेसर डॉ. साकेत जती को सम्मानित किया गया। MPIOA के अध्यक्ष डॉ. संदीप शर्मा, सचिव प्रोफेसर डॉ. आर एस बाजोरिया, भारतीय अस्थि रोग संघ के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार डॉ. नवीन ठाकुर और सचिव डॉ. राजीव रमन ने उन्हें यह सम्मान दिया।
एक रास्ता बंद होता है तो दूसरा खुलता है
MPIOACON 2025 में डॉ. आरके मूर्ति ओरेशन में डॉ. साकेत ने कहा कि अगर हम अपनी मेहनत और निष्ठा से काम करें, तो किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। जब हम अपने प्रयासों को सही दिशा में लगाते हैं, तो अच्छे रिजल्ट मिलते हैं। उन्होंने आगे कहा कि जब एक रास्ता बंद होता है, तो हमेशा दूसरा रास्ता खुलता है।
सर्जन का काम केवल इलाज नहीं
ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. साकेत ने कहा कि सर्जन का काम सिर्फ शारीरिक इलाज तक ही सीमित नहीं होना चाहिए। उन्हें अपने मरीजों के प्रति दया भी दिखानी चाहिए।
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सर्जन का उद्देश्य मरीजों की दर्द को कम करना
डॉ. जती ने इसके साथ ही कहा कि एक सर्जन को अपनी कला को मानवता की सेवा के रूप में देखना चाहिए। सर्जन का उद्देश्य मरीजों की दर्द और समस्याओं को कम करना होता है। उन्होंने यह भी कहा कि एक सर्जन को हमेशा मरीज की स्थिति और दर्द को समझते हुए इलाज करना चाहिए।