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मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने राज्य सरकार के खिलाफ कर्मचारी हितों को लेकर अपनी आवाज उठाई। दरअसल जुलाई 2024 से महंगाई भत्ते में 3 प्रतिशत वृद्धि, पेंशन हेतु अहर्तादाई सेवा की शर्तों में बदलाव जैसे मुद्दों पर सरकार से कड़े कदम उठाने की मांग की। इन समस्याओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि राज्य सरकार कर्मचारियों के हितों की अनदेखी कर रही है, जबकि केंद्र सरकार और अन्य राज्य अपने कर्मचारियों को हर सुविधा प्रदान कर रहे हैं।
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महंगाई भत्ता और पेंशन संबंधी महत्वपूर्ण बदलाव
कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष उमाशंकर तिवारी ने जुलाई 2024 से महंगाई भत्ते में 3 प्रतिशत वृद्धि की बात की। जिसे कर्मचारी वर्ग लंबे समय से अपनी प्रमुख मांग मानते आए हैं। इसके साथ ही पेंशन प्राप्त करने के लिए अहर्तादाई सेवा की सीमा को 25 वर्ष करने का प्रस्ताव भी रखा गया। इसके अतिरिक्त, अनुकंपा नियुक्ति में सीपीसीटी की अनिवार्यता को समाप्त करने की मांग की गई है, जिससे कर्मचारियों के लिए नियुक्ति प्रक्रिया को और अधिक सुविधाजनक बनाया जा सके।
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लिपिकों की ग्रेड पे और पदोन्नति का मुद्दा
मध्य प्रदेश के लिपिकों की ग्रेड पे में विसंगति को लेकर भी कर्मचारियों ने अपनी चिंता व्यक्त की है। कर्मचारियों का मानना है कि मंत्रालय के समान लिपिकों को भी समान ग्रेड पे दिया जाए ताकि उनके बीच समानता बनी रहे। इसके अलावा, कर्मचारियों ने पदोन्नति प्रक्रिया को शुरू करने की मांग की है ताकि कर्मचारियों को उनकी मेहनत का उचित इनाम मिल सके।
वर्तमान में भत्ते कम: कर्मचारी
कर्मचारियों का कहना है कि वर्तमान में भत्ते कम हैं और उन्हें वास्तविक खर्चों के अनुसार बढ़ाना आवश्यक है। इससे कर्मचारियों को अपने कार्यस्थलों तक पहुंचने में आसानी होगी और उनका जीवनस्तर भी बेहतर होगा।
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संविदा कर्मियों को स्थायी बनाने की मांग
संविदा कर्मियों को स्थायी कर्मचारी बनाने का मुद्दा भी प्रमुख था। उमाशंकर तिवारी ने सरकार से अपील की कि संविदा कर्मचारियों को स्थायी किया जाए और वेतन एवं भत्तों में समानता सुनिश्चित की जाए। साथ ही, उन्होंने टैक्सी प्रथा को समाप्त करने और कर्मचारियों के पदनामों में बदलाव करने की भी बात की।
आंदोलन की चेतावनी
उमाशंकर तिवारी ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इन मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं की, तो मध्य प्रदेश में बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा। उनका कहना था कि केंद्र और अन्य राज्य जहां अपने कर्मचारियों के लिए सुविधाएं और भत्ते सुनिश्चित कर रहे हैं, वहीं मध्य प्रदेश सरकार कर्मचारियों के हितों की अनदेखी कर रही है।
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