MP News: मध्य प्रदेश सरकार ने पंचायतों में पदस्थ सचिवों को हटाने और तबादला प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए ट्रांसफर पॉलिसी लागू की है। मई में चल रही तबादला प्रक्रिया के तहत इस नई नीति के अनुसार अब कोई भी सचिव न तो अपनी पैतृक पंचायत में और न ही ससुराल की पंचायत में पदस्थ किया जाएगा। रिश्तेदारों के साथ काम करने वाले सचिवों को भी बदला जाएगा ताकि भाई-भतीजावाद पर लगाम लगे।
जिन सचिवों ने किसी पंचायत में 10 वर्ष से अधिक समय बिताया है, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर स्थानांतरित किया जाएगा। महिलाओं के मामले में विवाहित, तलाकशुदा या विधवा को स्वेच्छा से अंतर-जिला स्थानांतरण की अनुमति दी गई है, इसके लिए दोनों जिलों के जिला पंचायत सीईओ की NOC अनिवार्य होगी। इस नीति का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और प्रशासनिक निष्पक्षता सुनिश्चित करना है।
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पंचायत सचिवों की तैनाती पर सख्ती
एमपी में तबादलों का दौर तेजी से जारी है और इसी क्रम में पंचायत सचिवों की तैनाती को लेकर राज्य सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला लिया है। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि पंचायतों में वर्षों से जमे सचिवों को हटाया जाएगा। इससे पहले सचिव अपनी ही पंचायत में वर्षों तक पदस्थ रहकर कई मामलों में पक्षपात के आरोपों में घिरते रहे हैं।
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ट्रांसफर पॉलिसी की मुख्य धारा
नई ट्रांसफर नीति का मूल उद्देश्य भाई-भतीजावाद और पक्षपात को समाप्त करना है। इसलिए अब कोई भी सचिव अपने पैतृक गांव या ससुराल की पंचायत में पदस्थ नहीं किया जाएगा। जिन सचिवों के परिवार के सदस्य पंचायत पदों पर हैं, उन्हें भी तत्काल प्रभाव से ट्रांसफर किया जाएगा।
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पदस्थ सचिवों पर गिरेगी गाज
नीति के अंतर्गत सबसे पहले उन सचिवों को हटाया जाएगा जो किसी एक पंचायत में 10 साल या उससे अधिक समय से पदस्थ हैं। इससे पंचायतों में नया नेतृत्व आएगा और कार्य में पारदर्शिता तथा जवाबदेही बढ़ेगी।
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जिला स्थानांतरण में NOC अनिवार्य
पंचायत सचिवों के अंतर जिला तबादले के लिए अब दोनों संबंधित जिलों के जिला पंचायत सीईओ की अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) अनिवार्य कर दी गई है। यह प्रक्रिया शासन की मंजूरी के बाद ही पूर्ण होगी। इस व्यवस्था से अनावश्यक दबाव और भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी।
महिला सचिवों को विशेष राहत
विवाहित, तलाकशुदा या विधवा महिलाओं को स्वेच्छा से अंतर जिला स्थानांतरण की अनुमति दी गई है। इस प्रावधान से महिला कर्मचारियों को पारिवारिक जिम्मेदारियों और स्थानांतरण में संतुलन बनाने का अवसर मिलेगा। हालांकि इस मामले में भी दोनों जिलों की एनओसी अनिवार्य होगी।
तबादला आदेशों की जिम्मेदारियां
ट्रांसफर आदेश जिले के कलेक्टर द्वारा प्रभारी मंत्री की अनुमति के बाद पारित किए जाएंगे, लेकिन अंततः आदेश जारी करने का कार्य जिला पंचायत सीईओ के माध्यम से होगा। इससे आदेशों की वैधता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।