BHOPAL. मध्यप्रदेश सरकार ने पेंशनरों के महंगाई राहत यानी डीआर में चार प्रतिशत की बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है। एक तरह से पेंशनर्स के लिए यह सरकार का दिवाली गिफ्ट है। बढ़ा हुआ डीआर अक्टूबर 2024 से लागू होगा, जिससे राज्य के करीब साढ़े चार लाख पेंशनरों को लाभ मिलेगा। सरकार ने राज्य के कर्मचारियों को बढ़ा हुआ डीआर जनवरी 2024 से ही दे दिया है, लेकिन पेंशनरों को इसका फायदा अक्टूबर से मिल रहा है। इस देरी से पेंशनरों को 9 महीने के डीआर का नुकसान हुआ है, जिस पर पेंशनरों और कर्मचारी संगठनों ने नाराजगी जताई है।
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दूसरी बार पेंशनरों को नुकसान
इससे पहले भी मध्यप्रदेश के पेंशनरों को डीआर में इसी तरह का नुकसान झेलना पड़ा था। केंद्र सरकार ने जुलाई 2023 में चार प्रतिशत डीआर बढ़ाने का फैसला किया था, जो मध्यप्रदेश सरकार ने पेंशनरों को मार्च 2024 में लागू किया। इस वजह से उस समय भी पेंशनरों को 8 महीने के डीआर का नुकसान हुआ था। इस बार फिर से जनवरी से मिलने वाला डीआर अक्टूबर में दिया जा रहा है, जिससे पेंशनरों को 9 महीना का नुकसान हो रहा है।
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डीआर में बढ़ोतरी के नए आदेश क्या कहते हैं?
मध्यप्रदेश सरकार के आदेश के अनुसार, सातवें वेतनमान वाले पेंशनरों का डीआर अब 46% से बढ़कर 50% हो गया है। छठे वेतनमान वाले पेंशनरों को अब 239% डीआर मिलेगा। इस मामले में कर्मचारी संगठनों का कहना है कि पेंशनरों को भी जनवरी 2024 से डीआर का लाभ मिलना चाहिए था, क्योंकि यह उनके साथ भेदभाव जैसा महसूस होता है।
परंपराओं का टूटना और पेंशनरों की चिंता
पहले यह परंपरा रही है कि जैसे ही राज्य के कर्मचारियों को डीए (महंगाई भत्ता) का लाभ मिलता था, वैसे ही पेंशनरों को भी महंगाई राहत देने के आदेश जारी हो जाते थे। लेकिन अब यह परंपरा टूट चुकी है। अब राज्य कर्मचारियों को डीए का लाभ तो मिल जाता है, पर पेंशनरों को बार-बार इंतजार करना पड़ता है। दूसरी ओर, अब एक नई परंपरा यह भी बन गई है कि उच्च अधिकारियों (नौकरशाहों) को डीए केंद्र सरकार के कर्मचारियों के साथ ही मिल जाता है, जबकि राज्य के बाकी कर्मचारियों को इसके लिए अपनी मांगें उठानी पड़ती हैं।
कर्मचारी और पेंशनर संगठनों की मांग
कर्मचारी और पेंशनर संगठनों का कहना है कि पेंशनरों को भी जनवरी से ही डीआर का लाभ मिलना चाहिए था। यह बार-बार उनके साथ अन्याय हो रहा है। सरकार को डीआर का लाभ कर्मचारियों और पेंशनरों दोनों को एक साथ देना चाहिए, ताकि किसी को नुकसान न उठाना पड़े।
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