पुलिस आरक्षक भर्ती 2016-17 : आरक्षण लागू करने पर HC ने गृह विभाग से मांगा स्पष्टीकरण

पुलिस आरक्षक भर्ती 2016-17 के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने गृह विभाग के सचिव और डीजीपी को आरक्षण के संबंध में शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

Advertisment
author-image
Neel Tiwari
एडिट
New Update
thesootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

पुलिस आरक्षक भर्ती 2016-17 में जिलेवार आरक्षण लागू करने के मुद्दे पर अब गृह विभाग और पुलिस प्रशासन की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। इस मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने गृह विभाग के सचिव और डीजीपी को आरक्षण के संबंध में शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि शपथ पत्र में आरक्षण से संबंधित गलत जानकारी दी गई, तो जिम्मेदार अधिकारियों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।

गृह विभाग खुद फंसा अपने जाल में

गृह विभाग द्वारा आरक्षक भर्ती 2016-17 में जिलेवार आरक्षण लागू किए जाने का मुद्दा लंबे समय से विवादों में है। भर्ती प्रक्रिया के दौरान आरक्षण के नियमों को लागू करने में हुई कथित अनियमितताओं को लेकर कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं। अब हाईकोर्ट ने इस मामले में स्पष्टता की मांग करते हुए गृह विभाग को कठघरे में खड़ा कर दिया है। कोर्ट का मानना है कि यदि भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण के नियमों का सही ढंग से पालन नहीं किया गया है, तो यह गंभीर प्रशासनिक लापरवाही होगी।

शपथ पत्र पर कड़ी नजर

चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने गृह सचिव और डीजीपी को निर्देशित किया है कि वे जिलेवार आरक्षण लागू करने से संबंधित सभी तथ्य और जानकारियां स्पष्ट रूप से शपथ पत्र में प्रस्तुत करें। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि शपथ पत्र में गलत या भ्रामक जानकारी दी जाती है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस भर्ती फर्जीवाड़े में डॉक्टर भी था शामिल, FIR दर्ज कराई जाएगी

आरक्षण विवाद से बढ़ी चुनौतियां

इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि गृह विभाग ने जिलेवार आरक्षण लागू करने में नियमों का पालन नहीं किया, जिससे कई अभ्यर्थियों के साथ अन्याय हुआ है। अब हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।

ESB-MPPSC की परीक्षाओं के बाद अब अपेक्स बैंक की भर्ती पर सवाल

कोर्ट का कड़ा रुख

हाईकोर्ट ने गृह विभाग और पुलिस प्रशासन को सख्त लहजे में चेतावनी दी है कि वे इस मामले में पारदर्शिता बनाए रखें और आरक्षण लागू करने से संबंधित सभी तथ्यों को सही ढंग से पेश करें। कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि आरक्षण के नियमों का पालन नहीं हुआ है, तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह देखना दिलचस्प होगा कि गृह विभाग इस मामले में किस तरह का स्पष्टीकरण प्रस्तुत करता है और हाईकोर्ट में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाता है। यह मामला न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि भविष्य में ऐसी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी जोर देता है। 

जबलपुर STF के हत्थे चढ़ा तस्कर, 24 लाख की पैंगोलिन स्किल्स जब्त, छत्तीसगढ़ से लाए थे अंग

डिस्ट्रिक्ट लेवल पर लागू हुआ आरक्षण रोस्टर 

मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती 2016-17 के लिए गृह विभाग ने 14,283 पदों की संयुक्त परीक्षा का विज्ञापन जारी किया था, जिसमें अनारक्षित वर्ग के लिए 8432, एससी के लिए 1917, एसटी के लिए 2521 और ओबीसी के लिए 1411 पदों का प्रावधान था। हालांकि, इन पदों में से ओबीसी के 889 पदों पर नियुक्ति नहीं दी गई। इसके साथ ही यह भी आरोप लगाया गया कि भर्ती में जिला स्तर पर आरक्षण रोस्टर लागू नहीं किया गया और न ही जिला बल तथा विशेष सशस्त्र बल के रिक्त पदों का विवरण दिया गया। सरकार के द्वारा पेश किए गए रिकॉर्ड सेबी सरकार यह स्पष्ट नहीं कर पाई है कि आरक्षण जिला वार लागू किया गया था या पूरे प्रदेश के अनुसार।

पिछले आदेश के अनुसार पेश हुआ रिकॉर्ड 

हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए पिछले आदेश के अनुसार सरकार के द्वारा 2016-17 भारती का पूरा रिकॉर्ड कोर्ट के सामने पेश किया गया। इस रिकॉर्ड में अभ्यर्थियों को मिले अंकों के आधार पर उनको दी गई नियुक्ति का स्थान भी बताया गया था। हालांकि इस डाटा के अनुसार जिस मेरिट के आधार पर पदस्थापन दी गई थी, वह पूरे राज्य के अनुसार ना हो के जिलेवार नजर आ रही थी। इस पर कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता से प्रश्न किया पर शासकीय अधिवक्ता ने इसका जवाब देने के लिए समय मांगा है। अब हाई कोर्ट के द्वारा आदेशित किया गया है कि अगली सुनवाई में शासन सहित डीजीपी को शपथ पत्र देना होगा और यदि कोई भी गलत जानकारी दी जाती है तो उसके गंभीर परिणाम होंगे।

ओबीसी आरक्षण पर हाईकोर्ट ने 87%-13% फार्मूला लागू करने वाले आदेश को किया खारिज

मेरिट में आने वाले आरक्षित वर्ग के कैंडिडेट्स के साथ भेदभाव

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि भर्ती के दौरान ओबीसी और अन्य आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों की मेरिट को नजरअंदाज किया गया। इन अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में कन्वर्ट करके उनकी चॉइस को अनदेखा कर दिया गया, जबकि उनसे कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को अन्य महत्वपूर्ण पदों पर पोस्ट किया गया। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से यह मांग की कि उन्हें अपनी वरीयता के अनुसार जिला पुलिस बल में नियुक्ति दी जाए, ताकि उनकी मेरिट का सम्मान किया जा सके। इसके साथ ही रामेश्वर ठाकुर ने कोर्ट को यह भी बताया कि शासन के द्वारा पेश किए गए रिकॉर्ड में जिलेवार मेरिट का कट ऑफ दिखाया गया है जबकि भर्ती विज्ञापन में ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं था।

अगली सुनवाई में देना होगा शपथ पत्र 

इस मामले में हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक और गृह सचिव से संबंधित सभी रिकॉर्ड भी तलब किए थे और अब रिकार्ड तलब होने के बाद कोर्ट ने शपथ पत्र मांगा है जिसमें उन्हें यह जानकारी देनी होगी कि यह मेरिट रोस्टर जिलेवार लागू किया गया है या प्रदेश स्तर पर। कोर्ट ने आदेश के दौरान यह भी टिप्पणी की है कि शपथ पत्र उच्च स्तर के अधिकारी से बनाया जाए ताकि इसके बाद इसमें किसी भी प्रकार की कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा ना हो, यदि ऐसा होता है तो इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति को कोर्ट की अवमानना का मामला झेलना पड़ सकता है। इस मामले की अगली सुनवाई 13 फरवरी को तय की गई है।
अब देखना यह होगा कि मध्य प्रदेश सरकार इस मामले में कोर्ट के निर्देशों का पालन कैसे करती है और क्या आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्याय मिल पाता है। इस बीच, यह मामला प्रदेश भर में चर्चा का विषय बन चुका है और आरक्षण नीति के तहत भर्ती में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़ा हो गया है।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

MP News Important decision of MP High Court मध्य प्रदेश समाचार पुलिस आरक्षक भर्ती पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा पुलिस आरक्षक भर्ती मप्र पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2016