एक जनवरी 2025 से मध्य प्रदेश की जेलों में बंदियों को खान-पान की बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। 'मध्य प्रदेश सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह अधिनियम' के अंतर्गत अब जेलों में बंदियों को दूध, दही, छाछ, और सलाद भी परोसा जाएगा। राज्य सरकार द्वारा नई व्यवस्था को मंजूरी मिलने के बाद इस अधिनियम को लागू किया जाएगा, जिसके बाद जेल में बंदियों के खान-पान की गुणवत्ता में सुधार होगा।
बेहतर भोजन की व्यवस्था होगी
इस अधिनियम के तहत बंदियों को पौष्टिक आहार की व्यवस्था दी जाएगी। टीबी जैसे गंभीर रोगों से पीड़ित बंदियों को अंडा दिया जाएगा, और राष्ट्रीय त्योहारों या वीकेंड पर मिठाई मिलेगी। यह प्रस्ताव फिलहाल वित्त विभाग के पास परीक्षण के लिए भेजा गया है। अनुमति मिलते ही इस पर कार्यवाही की जाएगी।
पुराने कानून में बदलाव की पहल
जेल प्रशासन में अब तक ब्रिटिश काल के बने कानून (1894) का पालन हो रहा था। नए अधिनियम में लगभग एक हजार नए नियम बनाए गए हैं, जो बंदियों की सुविधाओं और सुधारात्मक सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
जेलों में बंदियों की संख्या
मध्य प्रदेश की जेलों में वर्तमान में लगभग 45,000 बंदी हैं, जिनमें से खतरनाक बंदियों को विशेष सुरक्षा सेल में रखा जाता है। अब इसे भी अधिनियम में स्पष्ट रूप से सम्मिलित किया जाएगा। इसके अलावा, बंदियों के खान-पान में सुधार के लिए पुराने अप्रासंगिक नियम हटाए जा रहे हैं।
खाना बनाने के लिए बंदियों की रुचि के अनुसार नियुक्ति
नए प्रावधानों के अनुसार, बंदियों को खाना बनाने के काम में उनकी रुचि के अनुसार लगाया जाएगा। जेल अधिकारी का मानना है कि मध्य प्रदेश संभवतः पहला ऐसा राज्य होगा, जहां बंदियों को दूध, दही और छाछ जैसी सुविधाएं दी जाएंगी।
जेल महानिदेशक जीपी सिंह का कहना है कि "कैदियों के खान-पान की व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए वित्त विभाग का परीक्षण किया जा रहा है। खर्च की समीक्षा के बाद सहमति मिलने पर इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा।"
बंदियों के लिए दूध दही (Milk and Yogurt for Prisoners)
बंदीगृह अधिनियम 2025 (Prison Act 2025)
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