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Photograph: (the sootr)
JABALPUR. मध्य प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण नियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई हुई। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच में यह सुनवाई हुई। पिछले आदेश के अनुसार मामला दोपहर 12:30 बजे के लिए सूचीबद्ध था।
मध्य प्रदेश सरकार की ओर से कोर्ट द्वारा मांगा गया क्वांटिफिएबल डाटा चार्ट प्रस्तुत कर दिया गया। इसके बाद सरकार के वकील सीएस वैद्यनाथन ने इस मामले की बहस करने के लिए अगली सुनवाई की डेट मांग ली।
खुद कोर्ट में बहस करना चाहते हैं सीएस वैद्यनाथन
राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने खुद कोर्ट में उपस्थित होकर सरकार का पक्ष रखने की इच्छा जताई। प्रारंभ में उन्होंने 19 दिसंबर की तारीख का अनुरोध किया। कोर्ट की व्यस्तता को देखते हुए डिविजनल बेंच ने 18 दिसंबर को दोपहर 12:00 बजे सुनवाई निर्धारित कर दी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई में सरकार को अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया जाएगा।
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प्रमोशन में आरक्षण मामले की सुनवाई को ऐसे समझें
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क्वांटिफिएबल डाटा चार्ट को समझाने मिलेगा अलग से समय
सरकार द्वारा दाखिल किए गए क्वांटिफिएबल डेटा चार्ट को समझना कोर्ट के लिए बेहद जरूरी है। इस चार्ट में विभागवार और कैडरवार कर्मचारियों के प्रतिनिधित्व की स्थिति का पूरा लेखा-जोखा है।
कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई में सरकारी पक्ष को इस चार्ट को समझाने के लिए अलग से 5 मिनट का समय मिलेगा। यह समय इसलिए जरूरी है ताकि आरक्षित वर्ग के प्रतिनिधित्व की असल स्थिति को ठीक से समझा जा सके। डेटा चार्ट का विश्लेषण करना इस कानूनी लड़ाई का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।
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सरकार को मिलेगा डेढ़ घंटे का समय, अगली सुनवाई निर्णायक
हाईकोर्ट ने 18 दिसंबर की सुनवाई के लिए समय का बंटवारा भी तय कर दिया है। राज्य सरकार की तरफ से सीएस. वैद्यनाथन को पूरा डेढ़ घंटा अपना पक्ष रखने के लिए मिलेगा।
याचिकाकर्ता, जिन्होंने आरक्षण के नियम को चुनौती दी है, वे अपना पक्ष पहले ही विस्तार से रख चुके हैं। इसी वजह से यह माना जा रहा है कि 18 दिसंबर की सुनवाई प्रमोशन में आरक्षण नियम 2025 में निर्णायक साबित हो सकती है।
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