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मध्य प्रदेश के लोक निर्माण विभाग (PWD) में अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यशैली में सुधार लाने के मकसद से राज्य सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इन बदलावों में मुख्यालय छोड़ने के लिए अब प्रमुख सचिव और प्रमुख अभियंता से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे पहले, अधिकारियों को केवल अपनी कंट्रोलिंग अथॉरिटी जैसे मुख्य अभियंता, अधीक्षण यंत्री या कार्यपालन यंत्री से अनुमति लेने का आदेश था। जानें PWD ने क्यों उठाया यह कदम...
PWD विभाग का नया आदेश
नए आदेश के तहत, किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बिना अनुमति मुख्यालय छोड़ने की अनुमति नहीं होगी। इससे पहले के आदेशों में कोई स्पष्टता नहीं थी। इससे कई अधिकारी बिना किसी कारण के मुख्यालय से अनुपस्थित रहते थे।
कई बार यह शिकायतें आई थीं कि अधिकारी भोपाल या अन्य स्थानों पर चक्कर लगाते रहते हैं। इससे शासन के कामकाज पर प्रतिकूल असर पड़ता था। अब, यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी मुख्यालय छोड़ता है, तो उसे प्रमुख सचिव और प्रमुख अभियंता से पहले अनुमति लेनी होगी।
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PWD विभाग में नई पाबंदी को एक नजर में समझें...
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जानें नया आदेश क्यों लिया गया?
लोक निर्माण विभाग में कई अधिकारियों के खिलाफ शिकायतें आई थीं कि वे अपने कार्यक्षेत्र से बिना सूचना दिए गायब रहते थे। इससे विभाग की कार्यशैली पर नकारात्मक असर पड़ रहा था। यह मनमानी कार्यप्रणाली शासन के लिए चिंता का विषय बन गई थी। इसके साथ ही, अधिकारियों के कार्यकुशलता में कमी आ रही थी और प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता की कमी महसूस की जा रही थी।
सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि PWD में कार्यकुशलता को बढ़ाया जा सके और प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता लाई जा सके। प्रमुख सचिव से अनुमति लेने के आदेश को लागू करने से विभाग में एक नई कार्यप्रणाली की शुरुआत हो सकती है। इससे सभी अधिकारी और कर्मचारी अपने कार्यों में अधिक जिम्मेदार और पारदर्शी हो सकेंगे।
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आदेश में दी गई है चेतावनी
नए आदेश के तहत यह भी स्पष्ट किया गया है कि अधिकारी और कर्मचारी अपने अवकाश के दौरान भी मुख्यालय छोड़ने से पहले सूचना देंगे। यदि कोई कर्मचारी या अधिकारी इन निर्देशों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ अनुशासनहीनता के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई विभाग के भीतर अनुशासन और कार्यशैली को सुधारने के उद्देश्य से की जाएगी।
जानें क्या यह आदेश प्रभावी साबित होगा?
यह कदम तब उठाया गया है जब कई अधिकारियों के जरिए मुख्यालय से बाहर जाने के बाद उनके कार्यों में प्रभावीता और जिम्मेदारी की कमी पाई गई थी। अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण प्रशासनिक कार्यों में कई बार देरी हो जाती थी।
इस नए आदेश से कार्यों में पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद की जा रही है और अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरह से निभाने के लिए बाध्य होंगे। हालांकि, यह देखना होगा कि यह आदेश कितना प्रभावी साबित होता है और क्या अधिकारियों और कर्मचारियों को जरिए इसे पूरी तरह से लागू किया जाता है या नहीं।
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