मध्य प्रदेश को संशोधित पीकेसी-ईआरसीपी (रामजल सेतु) परियोजना के तहत कुल 2 हजार 100 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) पानी मिलेगा, जबकि राजस्थान को इससे कहीं ज्यादा, कुल 4 हजार 643 एमसीएम पानी आवंटित किया जाएगा। यह जानकारी मप्र और राजस्थान के बीच 5 दिसंबर को हुए समझौते से सामने आई है।
इसका मतलब यह है कि राजस्थान को नदियों के पानी की जितनी लाइव स्टोरेज क्षमता मिली है, मप्र को उसकी आधे से भी कम मिली है।
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दिल्ली में जल शक्ति मंत्रालय में हुई बैठक
दिल्ली में बुधवार को जल शक्ति मंत्रालय के अधिकारियों ने राजस्थान और मप्र के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में दोनों राज्यों ने अपने-अपने प्रोजेक्ट की प्रोग्रेस रिपोर्ट केंद्र के साथ साझा की। जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देबाश्री मुखर्जी की अध्यक्षता में यह बैठक हुई थी।
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15 दिनों में सौंपना होगा DPR
दोनों राज्यों ने अगले 15 दिनों में अपनी-अपनी डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को सौंपने का फैसला लिया है। इसके बाद राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण इन रिपोर्ट्स का तकनीकी परीक्षण करेगा। यह समझौता पिछले दो महीनों से गोपनीय रखा गया था। अब तक किसी भी सरकार ने आधिकारिक रूप से जल बंटवारे के अनुपात (Ratio) का खुलासा नहीं किया है।
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मप्र ने की थी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
मप्र सरकार ने राजस्थान द्वारा राष्ट्रीय गाइडलाइन्स का उल्लंघन करते हुए ईआरसीपी के तहत बांधों के निर्माण का विरोध किया था और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि, विधानसभा चुनावों के बाद मध्य प्रदेश में बनी नई BJP सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली थी।
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