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रीवा जिले के अमलिया और मनीराम पंचायतों में ग्रामीण ढोलक लेकर मुनादी कर रहे हैं। इसके जरिए वे अपने-अपने खेतों और आसपास बने अमृत सरोबर और तालाबों की सुरक्षा खुद से करने को कह रहे हैं। यदि लोग ऐसा नहीं करते हैं, तो वह चोरी हो सकते हैं।
दरअसल इन दो पंचायतों में अमृत सरोबर समेत तीन तालाबों की चोरी की शिकायत थाने में की गई है। इस मामले में कलेक्टर ने जांच के आदेश भी दिए हैं। ग्रामीणों ने तालाबों की चोरी करने वालों को इनाम देने का भी ऐलान किया है।
रीवा जिले की पंचायतों में कुछ युवा और ग्रामीण अब समूह बनाकर चोरी हुए अमृत सरोबर, खेत तालाब और बांध वाले तालाबों के आसपास चौकसी करते हुए नजर आ रहे हैं। इस तरह के वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं।
पूर्वा मनीराम पंचायत और अमिलिया पंचायत के ग्रामीणों का कहना है कि वे कल तक लबालब भरे अमृत सरोबर में मछली पकड़ते थे। लेकिन जब वे सुबह पहुंचे तो तालाब गायब था। इसका मतलब यह है कि उसकी चोरी हो चुकी थी। इन ग्रामीणों ने लिखित में थाने में शिकायत दर्ज कराई है। इसमें उनके गांवों में सरकारी योजना के तहत करीब 28 लाख रुपये की लागत से खोदी गई तीन अमृत सरोवर चोरी हो गए हैं।
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जानें पूरा मामला
रीवा जिले के पूर्वा मनीराम पंचायत के कठोली गांव में कुछ समय पहले सरकारी योजना के तहत लगभग 25 लाख रुपये की लागत से अमृत सरोवर और बांध का निर्माण किया गया था। यह बांध राजस्व दस्तावेजों में भूमि रकबा क्रमांक 117 पर दर्ज है और 9 अगस्त 2023 को इसका काम पूरा हो गया था।
इसी तरह अमिलिया ग्राम पंचायत में किसान सरस्वती पाल और मिश्रीलाल पाल के खेतों में खेत तालाब योजना के तहत अलग-अलग तालाबों का निर्माण किया गया था। गड़रियान टोला में लगभग ढाई लाख रुपये की लागत से ये तालाब बनाए गए थे। अमिलिया पंचायत में मिश्रीलाल पाल और सरस्वती पाल के नाम पर खेत तालाब योजना के तहत दो तालाबों का निर्माण हुआ था, जिनकी कुल लागत 2 लाख 56 हजार रुपये थी। ये तालाब गड़रियान टोला में बनवाए गए थे।
तालाब केवल कागजों पर
असल में अमृत सरोवर बांध और खेतों में तालाब केवल कागजों पर ही बनाए गए थे। जमीन पर इनका कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं था। एक नाले के पास मिट्टी डालकर उसे बांध के आकार का रूप दे दिया गया था और उसे अमृत सरोवर बांध के रूप में पेश किया गया। लेकिन बारिश के पानी में मिट्टी बह जाने के बाद वह पूरी तरह से गायब हो गया। इस प्रकार इन पंचायतों में सरकारी योजनाओं के तहत तालाबों के नाम पर भ्रष्टाचार और गबन किया गया है।
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दावा- गांवों में अमृत सरोवर और खेत तालाब मौजूद
इस मामले में पहले जनपद से लेकर जिला प्रशासन तक शिकायतें की गई थीं और जांच भी हुई थी। लेकिन सरकारी सिस्टम ने सबकुछ सही बताया। रिपोर्ट में यह बताया गया कि गांवों में अमृत सरोवर और खेत तालाब मौजूद हैं और इनमें पानी भी भरा हुआ है। लेकिन जब गांव के जागरूक युवाओं को इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने तालाब चोरी होने की मुनादी करने, लोगों को जागरूक करने और अपनी बात प्रशासन तक पहुंचाने के लिए अनोखे तरीके अपनाए।
मामले पर शिकायत दर्ज
पुलिस थाने में बाल कुमार आदिवासी ने शिकायत की है कि वह रोज अमृत सरोवर बांध में मछली पकड़ता था। एक शाम मछलियां पकड़ने के बाद जब वह सुबह लौटा तो पाया कि तालाब गायब हो चुका था। उन्होंने यह भी बताया कि आसपास के दो अन्य तालाब भी चोरी हो गए हैं। इसी तरह अखिलेश सिंह ने अपनी शिकायत में कहा कि 25 लाख रुपये की लागत से बने अमृत सरोवर का लापता होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। जहां पहले पानी भरा था, अब वहां झाड़ियां उगी हैं। उनका यह भी कहना है कि पड़ोसी गांवों में भी तालाब गायब हैं और अगर जांच करवाई जाए, तो आसपास की 8 से 10 पंचायतों में भी ऐसे मामलों का पता चल सकता है।
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ललित कुमार ने कहा कि उनके गांव में 25 लाख रुपये की लागत से बने अमृत सरोवर बांध रातों-रात गायब हो गया। यह बांध बहुत ही सुंदर और शानदार था। उन्होंने यह भी कहा कि जो व्यक्ति बांध को ढूंढकर लाएगा, उसे वह इनाम देंगे।
कलेक्टर प्रतिभा पाल ने इस मामले में मीडिया को बताया कि तालाब चोरी की शिकायत उनके संज्ञान में आई है और जांच चल रही है। पहले पहल में यह मामला अनियमितताओं से जुड़ा हुआ प्रतीत हो रहा है।
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अमृत सरोवर तालाब | अमृत सरोवर योजना