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मध्य प्रदेश के रीवा जिले के कॉलेज से एक ऐसा वीडियो सामने आया है जिसने शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। पूरे साल भर मेहनत कर अपने एग्जाम की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए यह वीडियो एक बड़ी दुविधा का विषय बन गया है।
परीक्षा हॉल में शिक्षा के नाम पर मजाक
रीवा जिले के नेहरू स्मारक महाविद्यालय, चाकघाट में भोज मुक्त विश्वविद्यालय की परीक्षाओं के दौरान जो नजारा देखने को मिला, उसने शिक्षा प्रणाली की साख पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। आरोप हैं कि परीक्षा केंद्र में छात्रों से 1 हजार से 3 हजार तक की अवैध वसूली कर नकल की पूरी छूट दी जा रही थी।
वायरल हुए वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है कि छात्र बिना किसी डर के किताबें और मोबाइल लेकर परीक्षा हॉल में बैठे हैं और खुलेआम नकल कर रहे हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि परीक्षा हॉल में केंद्राध्यक्ष सहित अन्य परीक्षा निरीक्षक पूरी तरह मूकदर्शक बने रहे। नकल को रोकने की बजाय, ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो यह पूरा सिस्टम एक सोची-समझी योजना के तहत संचालित किया जा रहा हो।
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बेधड़क चल रही थी नकल
वीडियो फुटेज से साफ है कि परीक्षा केंद्र में नकल किस हद तक हावी थी कि छात्रों को पूरी छूट थी कि वे किताबें और मोबाइल लेकर परीक्षा हॉल में आएं और नकल करें। इसके साथ ही कुछ परीक्षार्थी तो दूसरों की जगह परीक्षा देते हुए भी पकड़े गए, यानी कॉलेज प्रशासन के संरक्षण में फर्जी परीक्षार्थी भी बैठाए जा रहे थे। वीडियो में स्पष्ट देखा गया कि छात्र टेबल पर आराम से किताबें और मोबाइल रखकर उत्तर लिख रहे थे। परीक्षा हाल में कोई भी शिक्षक या परीक्षा नियंत्रक छात्रों को रोकने के लिए मौजूद नहीं था, जिससे यह संदेह गहराता है कि यह नकल सिस्टम कॉलेज प्रबंधन की मिलीभगत से संचालित हो रहा था। इससे साफ है कि यहां परीक्षा महज एक औपचारिकता बनकर रह गई थी और शिक्षा का स्तर रसातल में जा चुका था।
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कॉलेज प्रशासन पर गंभीर आरोप
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में सामने आया है कि इस नकल प्रकरण के पीछे महाविद्यालय प्रशासन की सीधी भूमिका है। आरोप है कि कॉलेज प्रशासन स्वयं छात्रों से पैसे लेकर नकल की व्यवस्था कर रहा था। सूत्रों के मुताबिक, प्रत्येक छात्र से 1 हजार से 15 सौ रूपए तक की राशि वसूली गई, जिससे उन्हें परीक्षा में बिना किसी रुकावट के नकल करने की खुली छूट दी जा सके। यह घटना न केवल शिक्षा व्यवस्था को खोखला करने का प्रयास है, बल्कि उन छात्रों के साथ अन्याय भी है जो मेहनत करके परीक्षा की तैयारी करते हैं।
शिक्षा व्यवस्था पर खड़े हुए गंभीर सवाल
यह घटना यह दर्शाती है कि शिक्षा का स्तर किस तरह गिरता जा रहा है। जिन संस्थानों को छात्रों के भविष्य को संवारने की जिम्मेदारी दी गई है, वही उन्हें गलत राह दिखा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या शिक्षा विभाग इस मामले में कोई सख्त कार्रवाई करेगा या फिर यह मामला अन्य घोटालों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा? ऐसे मामलों से ईमानदारी से पढ़ाई करने वाले छात्रों के आत्मविश्वास को ठेस पहुंचती है। अगर इसी तरह नकल को बढ़ावा मिलता रहा, तो आने वाली पीढ़ी मेहनत की बजाय पैसे देकर डिग्री हासिल करने में ही यकीन करने लगेगी।
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शिक्षा विभाग ने दिए जांच के आदेश
वीडियो वायरल होने के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शिक्षा विभाग और प्रशासन इस पर क्या कदम उठाते हैं। क्या दोषी कॉलेज प्रशासन के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई होगी, या फिर मामला धूल फांकता रहेगा? मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब शिक्षा विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं, और एक टीम गठित कर मामले की पड़ताल शुरू की जा रही है। हालांकि, इससे पहले भी कई मामलों में जांच के नाम पर केवल दिखावा होता रहा है। अब देखना होगा कि इस बार प्रशासन कितनी ईमानदारी से कार्रवाई करता है।
ऐसे शिक्षा तंत्र में क्या होगा देश का भविष्य
अगर ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो शिक्षा का स्तर पूरी तरह गिर जाएगा। मेहनत करने वाले छात्रों के लिए यह सिस्टम बेहद हानिकारक साबित होगा, क्योंकि उनके समर्पण का कोई मूल्य नहीं बचेगा।
यह जरूरी है कि दोषियों पर तत्काल सख्त कार्रवाई हो, परीक्षा केंद्र के संचालन की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए और नकल माफियाओं पर शिकंजा कसा जाए। अब अगर सरकार और प्रशासन इस मामले में निष्क्रिय रहा, तो यह साफ संकेत होगा कि शिक्षा व्यवस्था को बचाने की कोई मंशा नहीं है। अब यह देखना होगा कि यह मामला केवल सोशल मीडिया तक सीमित रहता है या प्रशासन इसमें कोई ठोस कदम उठाता है।
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