MP Weather : गर्मी में तपते और सर्दी में इतने क्यों ठिठुरते हैं प्रदेश के ये शहर

पूरे मध्‍य प्रदेश में इस समय भीषण गर्मी का दौर जारी है। वहीं पश्चिमी विक्षोभ के असर से प्रदेश में बारिश-आंधी का सिलसिला बना हुआ है। प्रदेश की जलवायु और मौसम परिवर्तन को लेकर पढ़िए द सूत्र की खास रिपोर्ट...

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Vikram Jain
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संजय शर्मा@BHOPAL. तपती दोपहरी और चिलचिती धूप हर किसी को बेचैन कर रही है। ऐसे में हर किसी के मुंह से बस यही निकलता है आखिर हमारे शहर में इतनी गर्मी क्यों पड़ रही है। लोग यह भी जानना चाहते हैं कि आखिर हमारे प्रदेश में सबसे ज्यादा गर्मी किस शहर में पड़ती है। ये सवाल ऐसा है जो हर किसी के जेहन में आता है, लेकिन जवाब शायद लोगों के पास नहीं होता। द सूत्र कि ये खबर आपको बता रही है कि मध्यप्रदेश के वे शहर कौन से है जो गर्मी में जमकर तपते हैं। यही नहीं ये शहर गर्मी में जितने तपते हैं उतने ही सर्दियों में ठंडे भी रहते हैं। कई बार तो इन शहरों में पारा शून्य डिग्री तक भी गिर जाता है। जानिए आपके ये शहर कौन से हैं। 

किन हिस्सों में पड़ती है सबसे ज्यादा गर्मी और ठंडी

पहले ये जान लीजिए प्रदेश में सबसे ज्यादा गर्मी किन हिस्सों में पड़ती है। असल में मध्यप्रदेश को जलवायु के अध्ययन के लिहाज से चार क्लाइमेट जोन उत्तरी मैदान, मालवा पठार, विंध्य पठार और नर्मदा घाटी में विभाजित किया गया है। वहीं प्रदेश के बीच से कर्क रेखा गुजरती है जो जलवायु पर भी प्रभाव पड़ता है। प्रदेश में कर्क रेखा के नीचे निमाड़ अंचल के बड़वानी- खरगोन और कर्क रेखा के ऊपर बुंदेलखंड के नौगांव एवं खजुराहो सर्दी और गर्मी के मामले में टॉप पर रहते हैं। मई में खजुराहो में तापमान 49 डिग्री तो नौगांव में 48 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है। जबकि सर्दियों में दोनों शहरों में ठंड भी कड़ाके की पड़ती है कि पारा शून्य डिग्री तक गिर जाता है।

तापमान में बाकी शहरों से अलग क्यों ?

प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित बुंदेलखंड के इन दोनों शहरों के तापमान में प्रदेश के बाकी शहरों से भिन्नता क्यों है, अब इसको समझाते हैं। दरअसल, दोनों शहर पठारी भू-भाग पर स्थित हैं। ग्रेनाइट की चट्टानों के इन पठारों के नीचे धातुओं के भी विशाल भंडार दबे हैं। बस यही बुंदेलखंड के दोनों शहरों को तापमान के मामले में सबसे अलग बनाता है। अब इसे और विस्तार से बताते हैं। भौगोलिक दृष्टि से देखें तो कर्क रेखा और धातुओं से भरे पठारों के कारण ये अंचल गर्मी आते ही तमतमाने लगता है। क्योंकि धातु और ग्रेनाइट की चट्टानें सूरज की गर्मी को सोख लेती हैं। इससे जमीन अंदर और बाहर दोनों ओर से तपती है। पिछले 5 सालों में मई- जून में अकसर खजुराहो और नौगांव में तापमान 46 से 49 डिग्री सेल्सियस तक उछलता रहा है। साल 2024 में मई माह में खजुराहो- नौगांव और खरगोन में तापमान 46 डिग्री से ऊपर जा चुका है। अगले सप्ताह तक यह उछलकर 49 डिग्री तक पहुंच सकता है।

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खूब ठिठुरन और जमकर गर्मी

इस सीजन में रतलाम- खरगोन का तापमान 41 से 42 डिग्री रह चुका है। गर्मी में होश उड़ा देने वाले तापमान वाले इन शहरों में सर्दियां काटना भी उतना ही कष्ट देने वाला है। इस साल 24 जनवरी को नौगांव में न्यूनतम तापमान 6 डिग्री सेल्सियस जबकि  खजुराहो का मिनिमम टैम्परेचर 25-26 जनवरी में 6 से 7 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया था। उधर, खरगोन में इसी साल 19 जनवरी को न्यूनतम तापमान 7 डिग्री जबकि रतलाम में 21 जनवरी को न्यूनतम तापमान 9 डिग्री रहा था। यानी बुंदेलखंड और निमाड़ के ये चारों शहर प्रदेश के दूसरे सभी छोटे- बड़े शहरों के मुकाबले सर्दियों में खूब ठिठुरते हैं और गर्मी में जमकर उबलते हैं।

     नौगांव में तापमान की स्थिति : (डिग्री सेल्सियस)

        वर्ष           दिनांक   न्यूनतम तापमान     दिनांक  अधिकतम तापमान
       2023   17 जनवरी    1 डिग्री       15 मई   44 डिग्री
       2022     18 दिसंबर   5.5 डिग्री   13 मई   48 डिग्री
       2021     21 दिसंबर   1.3 डिग्री   29 मई   46 डिग्री
       2020     19 दिसंबर    3.9 डिग्री   23 मई   46 डिग्री
       2019   28 दिसंबर    3.1 डिग्री   10 जून   49 डिग्री

खजुराहो में तापमान के आंकड़े : (डिग्री सेल्सियस)

        वर्ष       दिनांक  न्यूनतम तापमान    दिनांकअधिकतम तापमान
      2023   17 जनवरी     1 डिग्री    20 मई    46 डिग्री
      2022   20 नवंबर     6  डिग्री     14 मई     47.6 डिग्री
      2021   20 दिसंबर     2 डिग्री   28 मई   44.6 डिग्री
      2020   18 दिसंबर    4.8 डिग्री   25 मई   46.6 डिग्री
      2019   31 दिसंबर    3.5 डिग्री  11 जून   48.8 डिग्री

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जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

मध्य प्रदेश के मौसम को लेकर खजुराहो मौसम केंद्र के प्रभारी आरएस परिहार ने बताया कि नौगांव व खजुराहो की लोकेशन व पहाड़ों के चलते सर्दी व गर्मी में तापमान सबसे कम और ज्यादा रहता है। लोकेशन के चलते सूर्य की किरणों का ठंड में असर कम होने से उत्तर से आने वाली हवाएं का असर ज्यादा पड़ता है।

महाराजा छत्रसाल विश्वविद्यालय के भूगर्भ शास्त्र प्रोफेसर डॉ. पीके जैन ने बताया कि झांसी, नौगांव, खजुराहो की टोपोग्राफी के कारण से मौसम का असर दूसरे क्षेत्रों से ज्यादा होता है। ग्रेनाइट और भूमिगत धातुएं ऊर्जा को जैसे ग्रहण करती हैं वैसे ही बाहर कर देती हैं। इससे असर बढ़ जाता है और तापमान के जरिए रिफ्लेट करता है। mp weather 

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