संजय गुप्ता@INDORE. इंदौर नगर निगम बिल घोटाले ( Indore Municipal Corporation bill scam ) में एक के बाद एक नए नाम जुड़ते जा रहे हैं। अब नया नाम निगम के पुराने भ्रष्टाचारी बेलदार असलम ( beldar aslam ) का जुड़ गया है। इसने अपने रिश्तेदारों के नाम पर फर्जी फर्म बनाकर निगम में करोड़ों रुपए का भुगतान लिया है। जो दो फर्म के ठेकेदार इमरान खान और मौसम व्यास भागे हैं, वह भी इसी के साथ लिंक है। उधर घोटाले के मास्टरमाइंड अभय राठौर ( Abhay Rathore ) की पुलिस रिमांड फिर बढ़ गई है।
बेलदार असलम ने परिजनों को इस तरह फर्म बनाकर किया शामिल
बेलदार असलम के भाई ऐतहाशमास उर्फ एजाज उर्फ काकू की फर्म मेट्रो कंस्ट्रक्शन और एवन इंटरप्राइजेस भी इसमें शामिल है। इसी तरह कास्मो कंस्ट्रक्शन की कर्ताधर्ता असलम के ही परिवार की बिलकिस खान है। क्रिस्टल फर्म जिसका पहले नाम आ चुका है और इसके ठेकेदार इमरान खान फरार है, वह असलम का रिश्तेदार निकला है। इस फर्म को भी पर्दे के पीछे से काकू ही संचालित कर रहा था। वहीं एक अन्य फर्म ईश्वर जिसका संचालक मौसम व्यास फरार है, बताया जाता है कि वह भी असलम के साथ पहले काम किया हुआ है, और उसी का कर्मचारी रहा है। एक अन्य फर्म डायमंड का भी नाम भी इस घोटाले में सामने आ रहा है, जिसके संचालक जाहिद खान है यह भी असलम का रिश्तेदार है।
असलम पर हो चुका लोकायुक्त छापा, ईडी में भी केस
असलम निगम का एक नंबर का भ्रष्टाचारी रहा है। इस पर लोकायुक्त का छापा हुआ जिसमें परिजनों के नाम पर करोड़ों की अकूत संपत्ति सामने आई। इसके बाद ईडी ने भी इस पर केस किया और कई संपत्तियों को अटैच किया। निगम में कोई भी नक्शा पास कराने का ठेका एक समय असलम ही लेता था, भले ही वह बेलदार के पद पर था, लेकिन पूरा कॉलोनी सेल निगम का इसी के हिसाब से चलता था। अभी भी इसका निगम में दबदबा कम नहीं हुआ है और अभी भी रिश्तेदारों और अपने कर्मचारियों के जरिए यह निगम में जुड़ा हुआ है।
घोटाले को दबाने के लिए ही निगमायुक्त सिंह को हटाया गया- चौकसे
वहीं घोटाले को लेकर निगम नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ( Chintu Choukse ) ने कहा कि इस मामले में राजनीतिक खेल कितना और किस तरह से हुआ है इसका अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि निगम आयुक्त के पद पर शिवम वर्मा की पदस्थापना के पश्चात राजनीतिक दबाव में इस घोटाले के मास्टरमाइंड अभय राठौर को बिजली का काम दिया गया। यह काम कमाई वाला काम था इसलिए इस अधिकारी को सौंपा गया। इसके पहले के निगमायुक्त के द्वारा इस अधिकारी के भ्रष्ट कारनामों को देखते हुए उसे इस तरह का कोई काम नहीं दिया गया था।
चौकसे ने आरोप लगाया कि इंदौर नगर निगम की आयुक्त हर्षिका सिंह को यह घोटाला पकड़ लेने के कारण ही राज्य सरकार के द्वारा ताबड़तोड़ तरीके से इंदौर नगर निगम आयुक्त के पद से हटाया गया। इस मामले को पकड़ने के बाद हर्षिका सिंह के द्वारा इतनी ज्यादा लिखा पड़ी कर दी गई थी कि इस मामले को दबाना और छुपाना संभव नहीं था। यही कारण है कि बाद में इस मामले का मुकदमा पुलिस थाने में दर्ज करना पड़ा। चौकसे ने कहा कि जिस दिन तत्कालीन आयुक्त हर्षिका सिंह के द्वारा निगम के अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन को आज ही थाने में मुकदमा दर्ज करने की चेतावनी दी गई थी।
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निगम नेता प्रतिपक्ष ने पूछा कहां गई उच्च स्तरीय जांच समिति ?
निगम नेता प्रतिपक्ष चौकसे ने इंदौर नगर निगम में हुए करोड़ों रुपए के फर्जी फाइल घोटाले को लेकर बुधवार को मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि राज्य सरकार के द्वारा इस मामले की जांच के लिए गठित की गई उच्च स्तरीय समिति अब तक इंदौर नहीं आई है। इतना बड़ा घोटाला इंदौर में हुआ है उसके बावजूद सरकार इस मामले को गंभीरता से लेने के लिए तैयार नहीं है। नाम के लिए उच्च स्तरीय समिति बना दी गई है। यह समिति यदि गंभीर होती तो अब तक इंदौर आकर अपनी जांच कर चुकी होती। उन्होंने कहा कि इस घोटाले में इंदौर नगर निगम के अधिकारियों से लेकर बीजेपी के बड़े नेता तक शामिल है। ऐसे में इस बात की उम्मीद बहुत कम है कि निष्पक्ष जांच हो सकेगी और दोषियों को दंडित किया जा सकेगा।
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उच्च स्तरीय कमेटियों की रिपोर्ट नहीं आती है सामने
चौकसे ने कहा कि जब भी बड़ा घोटाला होता है अथवा बड़ी घटना होती है तो आरोपियों को बचाने के लिए बीजेपी के नेता सक्रिय हो जाते हैं। उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनती है तो उसकी रिपोर्ट सामने नहीं आती है और रिपोर्ट सामने आ जाती है तो उसमें घटना की पुनरावृत्ति रोकने के सुझाव के अलावा कोई जानकारी नहीं होती है। इंदौर में पटेल नगर में रामनवमी के दिन हुए हादसे में लोगों की जान चली गई लेकिन इस घटना के किसी भी दोषी पर आज तक कार्रवाई नहीं हो सकी है। यह घटना भी वर्तमान परिषद के कार्यकाल की ही है।
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